ओमिक्रॉन के प्रकोप के बीच ध्यान देने लायक पाँच स्टॉक

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06 जनवरी,2022

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ओमिक्रॉन के नए वर्ज़न के बीच इन शेयरों पर नजर रखें। अधिक जानने के लिए पढ़े!

शुरूआती रिसर्च के अनुसार, यह नया ओमिक्रॉन वर्ज़न डेल्टा टाइप के मुकाबले तेज़ी से फैलने वाला और अधिक संक्रामक है। इसके अलावा, हो सकता है कि मौजूदा वैक्सीन वायरस की इस नई किस्म के खिलाफ कम प्रभावी हो सकती हैं, हालांकि यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध नहीं हुआ है। भारत दूसरी लहर के प्रभाव से उबर ही रहा था कि कोविड की नई किस्म ने अनिश्चितता पैदा कर दी। वित्त वर्ष 2022 की जुलाई-सितंबर तिमाही के जीडीपी के आंकड़े पिछले हफ्ते ही जारी किए गए, जिसमें 8.4 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। पिछले साल दो तिमाहियों में गिरावट के बाद, यह लगातार चौथी तिमाही है जिसमें वृद्धि दर्ज़ हुई है।

एनालिस्टों का अनुमान है कि भारत वित्त वर्ष 2023 तक दुनिया की सबसे तेजी से वृद्धि दर्ज़ करने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में अपनी जगह बनाए रखेगा। उनका मानना है कि सभी सीमाएं ख़त्म हो जाएँगी और वृद्धि तेज़ी से जारी रहेगी। हालांकि, अतिरिक्त दबाव के परिणामस्वरूप, यदि चीज़ें हाथ से निकल जाती हैं, तो सरकार को सीमाएं बहाल करने के लिए बाध्य होना पड़ सकता है। कम गतिविधि के कारण, सभी प्रमुख उद्योग प्रभावित हो सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप वृद्धि धीमी हो सकती है। हालांकि, कुछ उद्योग ऐसे हैं जो एक और लॉकडाउन के खिलाफ हैं।

ध्यान देने लायक स्टॉक:

  • सिप्ला

सिप्ला एक बहुराष्ट्रीय फार्मास्युटिकल कॉरपोरेशन है जो 80 से अधिक देशों में परिचालन करती है और इसकी 46 विनिर्माण इकाइयां हैं जहाँ 1,500 से अधिक दवाओं का उत्पादन होता है। महत्वपूर्ण थेराप्यूटिक श्रेणी में प्रॉडक्ट पोर्टफोलियो में जेनरिक और फार्मास्यूटिकल्स शामिल हैं। सिप्ला भारत की अग्रणी फार्मास्युटिकल फर्मों में से एक है, साथ ही उभरते देशों के लिए यहाँ की सबसे बड़ी सप्लायर है।

इसने महामारी के दौरान अपनी कोविड -19 लाइन के हिस्से के रूप में सात दवाएं जारी कीं। इनमें ड्रग्स, सैनिटाइज़र और एंटीजन एवं एंटीबॉडी परीक्षण किट शामिल हैं। महामारी के बावजूद, इसने कैंसर, बायोसिमिलर और मेटाबॉलिक डिसऑर्डर से जुड़े प्रॉडक्ट को कमर्शियलाइज़ करने के लिए कई समझौते किए।

अमेरिका और उसके कोविड पोर्टफोलियो में रेस्पिरेटरी अनलॉकिंग के कारण, वित्त वर्ष 2021 में सिप्ला के रेवेन्यू में सालाना स्तर पर 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इंटरेस्ट, टैक्स और डेप्रिसिएशन मार्जिन पूर्व सिप्ला की अर्निंग इसी अवधि में 18.9 प्रतिशत से 350 आधार अंक से अधिक बढ़कर 22.5 प्रतिशत हो गई। लागत में कटौती की पहल के कारण कम खर्च और लॉकडाउन के कारण ऑन-ग्राउंड संचालन कम होने से मार्जिन बढ़ने में मदद मिली।

  • डॉ. लाल पैथलैब्स

डॉ लाल पैथलैब्स भारत की प्रमुख डायग्नोस्टिक चेन में से एक है। कंपनी 3,705 लोकेशन पर 5,000 से अधिक डायग्नोस्टिक टेस्ट, संबद्ध हेल्थकेयर टेस्ट और सर्विसेज प्रदान करती है। महामारी के दौरान, टेस्टिंग में सुधार के लिए कंपनी ने अपनी डिजिटल और फिजिकल पहुंच बढ़ाई। महामारी के बावजूद, कंपनी ने वित्त वर्ष 2021 में विस्तार किया, जिसमें 15 लैब, 600 कलेक्शन सेंटर और 2,200 पिकअप पॉइंट शामिल हैं।

वित्त वर्ष 2021 में डॉ लाल पैथलैब्स के रेवेन्यू में 18.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि वित्त वर्ष 2020 में वृद्धि दर 10.6प्रतिशत थी। रेवेन्यू में बढ़ोतरी मुख्य तौर पर नॉन-कोविड रेवेन्यू बढ़ने से हुई। वित्त वर्ष 2021 में एबिट्डा मार्जिन 29.3 प्रतिशत रहा जो पिछले वर्ष के 27.5 प्रतिशत था। लॉजिस्टिक्स और इन्फॉर्मेशन एंड टेक्नोलॉजी के इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च में बढ़ोतरी के कारण मार्जिन ग्रोथ में मामूली बढ़ोतरी हुई।

ऊंची लागत के बावजूद, कंपनी के नेट प्रॉफिट में साल दर साल स्तर पर 30.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई। नेट प्रॉफिट मार्जिन बढ़कर 18.8 प्रतिशत हो गया जो पिछले साल 17.1 प्रतिशत था। डायग्नोस्टिक उद्योग में बहुत से असंगठित प्रतिस्पर्धी हैं, इसलिए डॉ लाल पैथलैब्स जैसी संगठित फर्मों के पास बड़ी बाज़ार हिस्सेदारी हासिल करने का बेहतर मौका है।

  • एल्केम लेबोरेटरीज

बाज़ार हिस्सेदारी के लिहाज़ से एल्केम लेबोरेटरीज भारत की छठी सबसे बड़ी फार्मास्युटिकल फर्म है। भारत और अमेरिका में इसकी 20 प्रोडक्शन और आरएंडडी इकाइयां हैं। यह 40 से अधिक विभिन्न देशों को एक्सपोर्ट भी करता है। कंपनी के प्रोडक्ट पोर्टफोलियो में 800 से अधिक ब्रांड हैं। इनमें से बारह ब्रांड की सालाना सेल 1 अरब डॉलर से अधिक है।

लॉकडाउन के दौरान कंपनी की गतिविधियों में थोड़ी बाधा आई। अनलॉकिंग चरण के दौरान इसने जल्दी रिकवर कर लिया। वित्त वर्ष 2021 में एल्केम लैब्स के रेवेन्यू में 6.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि पिछले वर्ष यह 13.4 प्रतिशत थी। कंपनी का विस्तार भारत में एक्यूट ट्रीटमेंट प्रिस्क्रिप्शन दवाओं की बिक्री में कमी के कारण धीमा हो गया था। हालांकि, रेवेन्यू में बढ़ोतरी में मुख्य भूमिका इसके विदेशी कारोबार की रही।

वित्त वर्ष 2021 के लिए एबिटडा मार्जिन 21.9 फीसदी रहा। साल भर पहले मार्जिन 17.72 प्रतिशत था। मार्जिन बढ़ने की मुख्य वजह रही लॉकडाउन के कारण मार्केटिंग और यात्रा खर्चों में कमी।

  • थायरोकेयर टेक्नोलॉजीज

थायरोकेयर बीमारियों की एक विस्तृत श्रृंखला को डायग्नोस करने के लिए 279 से अधिक टेस्ट और 79 टेस्ट प्रोफाइल के साथ अखिल भारतीय स्तर पर परिचालन करने वाली डायग्नोस्टिक चेन है। यह अपने ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए दिन में 24 घंटे, सप्ताह में सातों दिन अपनी सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग लेबोरेटरी चलाती है। तेज़ी से प्रोसेस करने के लिए कंपनी ने प्रमुख शहरों में क्षेत्रीय प्रोसेसिंग लेबोरेटरी भी खोली हैं।

थायरोकेयर का कलेक्टिंग नेटवर्क पूरे देश में है, जो एक ही लॉजिस्टिक्स नेटवर्क और आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर के ज़रिये काम करता है। कंपनी ने महामारी के दौरान, टेस्टिंग व अन्य सोफिस्टिकेटेड टेस्ट के लिए जोनल प्रोसेसिंग लैबोरेटरी बनाई। हालांकि, लॉकडाउन के कारण कंपनी के कुछ कलेक्शन सेंटर पूरी तरह से बंद भी हुए।

  • मोरपेन लैब्स

मोरपेन लैब्स भारतीय फार्मास्युटिकल फर्म है जो एपीआई, जेनेरिक और ब्रांडेड फॉर्मूलेशन के साथ-साथ घरेलू स्वास्थ्य और डायग्नोस्टिक उपकरणों का उत्पादन करती है। इसका माल 80 से अधिक देशों को एक्सपोर्ट किया जाता है, और यह कुछ एपीआई के प्रोडक्शन में मार्केट लीडर है।

वित्त वर्ष 2021 में कंपनी की सेल में 39.6 प्रतिशत बढ़ी जो पिछले साल 11.7 प्रतिशत थी। डायग्नोस्टिक्स और एपीआई रेवेन्यू कंपनी के बाकी हिस्सों की तुलना में तेज़ी से बढ़ा। चालू वित्त वर्ष में कंपनी अपने खर्चे को पिछले साल की तरह ही बनाए रखा। इसकी वजह से सालाना स्तर पर एबिट्डा में 67 प्रतिशत और एबिट्डा मार्जिन में 1.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।

कंपनी के नेट प्रॉफिट में सालाना स्तर पर 189 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि पिछले स्तर पर यह बढ़ोतरी 16 प्रतिशत थी। वित्त वर्ष 2020 में, नेट प्रॉफिट मार्जिन आठ प्रतिशत रहा जो पिछले वर्ष में चार प्रतिशतथा। महामारी के बावजूद, कंपनी के विभिन्न किस्म के पोर्टफोलियो से इसका रेवेन्यू बढ़ा। इसका लक्ष्य है बेहतर हेल्थकेयर की बढ़ती मांग का लाभ उठाने साथ-साथ अपनी गतिविधियों में बढ़ोतरी।

निष्कर्ष

हेल्थकेयर और डायग्नोस्टिक उन कई उद्योगों में से दो हैं जिनके बारे में माना जाता है कि वे एक और लॉकडाउन का सामना कर सकते हैं। यदि आशंका बढ़ती है तो निश्चित रूप से शॉर्ट-टर्म के लिए असर हो सकता है और कंपनियों को उनसे निपटने के लिए इसके अनुकूल योजनाएं बनानी चाहिए। FMCG, पैकेजिंग और ईकामर्स उद्योग सभी तूफान का सामना करने में सक्षम हो सकते हैं।

महामारी ने व्यवसायों के संचालन के तरीके को बदल दिया है। यदि आप अभी इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं, तो उन कंपनियों की तलाश करें जो अपनी दीर्घकालिक विकास क्षमता को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक बदलाव का लाभ उठा सकें। कोई जल्दबाजी न करें या मार्केट को समय देने का प्रयास न करें। इसके बजाय, एक बार जब अल्पकालिक अस्थिरता कम हो जाती है, तो लंबी अवधि के लिए इसमें शामिल रहने की कोशिश करें। संक्षेप में, ओमिक्रॉनसे डरने की कोई बात नहीं है। अगर चीजें बिगड़ती हैं, तो आपके पास असमानताओं में इन्वेस्टमेंट करने का एक शानदार अवसर होगा।

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