भारत के कमॉडिटी मार्केट से जुड़ी पूरी जानकारी

20 सितम्बर,2021

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इस पेज में कमॉडिटी ट्रेडिंग बेसिक्स और साथ ही भारत में विभिन्न कमॉडिटी मार्केट्स का ब्योरा है।

कमॉडिटी ट्रेडिंग मार्केट

कमॉडिटी मार्केट ऐसे प्लेटफॉर्म हैं जो कच्चे माल या प्राइमरी प्रॉडक्ट जैसी कमॉडिटी की खरीद-बिक्री, ट्रेडिंग में मदद करते हैं। कमॉडिटी ट्रेडिंग का इतिहास हजारों साल पुराना है। आज, लगभग 50 प्रमुख वैश्विक कमॉडिटी मार्केट हैं। इन फिजिकल और वर्चुअल दोनों रूपों में करीब 100 कमॉडिटी की ट्रेडिंग होती है। अमेरिका का शिकागो मर्केंटाइल एक्सचेंज दुनिया का सबसे बड़ा कमॉडिटी मार्केट है, जिसमें हर साल करीब 3 अरब कॉन्ट्रैक्ट का ट्रेड होता है।

कमॉडिटी के प्रकार

मेटल, एग्रीकल्चर प्रोड्यूस, क्रूड ऑयल जैसे प्रॉडक्ट को कमॉडिटी कहते हैं जिनका उपयोग लोग और इंडस्ट्री दोनों करते हैं। स्टॉक्स की तरह, कमॉडिटी का भी मार्केट में ट्रेड होता है ताकि फेयर प्राइस तय हो सके और जोखिम से बचाव हो। वैश्विक मार्केटों में कारोबार की जाने वाली विभिन्न कमॉडिटी को 4 प्रमुख केटेगरी में बांटा गया है।

  1. मेटल - सोना, प्लैटिनम, चांदी आदि।
  2. एनर्जी - नेचुरल गैस, क्रूड ऑयल, थर्मल कोल, गैसोलीन आदि।
  3. एग्रीकल्चर - मसाले, दाल, तेल, अनाज, गेहूं, चावल आदि। 
  4. मीट और लाइवस्टॉक- अंडे, फीडर कैटल, मीट आदि।

भारत में कमॉडिटी ट्रेडिंग

भारत में कमॉडिटी ट्रेडिंग सदियों पुरानी है। भारतीय व्यापारियों को पूरे इतिहास में वैश्विक कमॉडिटी के कारोबार के प्रमुख भागीदार के तौर पर जाना जाता था। हालाँकि, भारत में मॉडर्न कमॉडिटी व्यापार की ग्रोथ 2000 के दशक से हुई। डीमटरियलाइज्ड ट्रेडिंग और ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म की शुरूआत भारत में कमॉडिटी मार्केटों के लिए एक गेमचेंजर साबित हुई, यहां तक कि छोटे इन्वेस्टर को भी कमॉडिटी ट्रेडिंग में भाग लेने की अनुमति मिली।

भारत में कमॉडिटी ट्रेडिंग को 2015 तक फॉरवर्ड मार्केट्स कमीशन (एफएमसी) ने रेग्युलेट किया।  सितंबर 2015 में, फॉरवर्ड मार्केट्स कमीशन (एफएमसी) और सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया (सेबी) का मर्जर हुआ। मर्जर के बाद से, भारत में कमॉडिटी ट्रेडिंग को सेबी रेग्युलेट कर रही है।

भारत के कमॉडिटी ट्रेडिंग एक्सचेंज

कमॉडिटी ट्रेडिंग एक्सचेंज, स्टॉक एक्सचेंज की तरह ही एक प्लेटफॉर्म है जो कमॉडिटीज़ के बायर और सेलर को कमॉडिटी में ट्रेड करने की सुविधा प्रदान करता है। भारत में कई कमॉडिटी ट्रेडिंग एक्सचेंज हैं।  प्रमुख कमॉडिटी ट्रेडिंग एक्सचेंज में शामिल हैं:

  1. मल्टी कमॉडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) - इसकी स्थापना नवंबर 2003 में हुई थी और इसका हेडक्वार्टर मुंबई है।
  2. इंडियन कमॉडिटी एक्सचेंज (आईसीईएक्स) - इसकी स्थापना नवंबर 2009 में हुई थी और यह गुड़गांव में स्थित है।
  3. नेशनल कमॉडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) - यह दिसंबर 2003 में स्थापित एक प्राइवेट ओनरशिप वाला एक्सचेंज है और यह मुंबई में है।
  4. नेशनल मल्टी कमॉडिटी एक्सचेंज (एनएमसीई) - इसकी स्थापना 2002 में हुई थी और इसका हेडक्वार्टर अहमदाबाद में है।

इनमें से एमसीएक्स और एनसीडीईएक्स सबसे प्रमुख एक्सचेंज हैं। इन दोनों के बारे में नीचे विस्तार से चर्चा की गई है।

एमसीएक्स में ट्रेड होने वाली कमॉडिटी

2003 में स्थापित, एमसीएक्स भारत का सबसे बड़ा कमॉडिटी मार्केट है, जिसका रोजाना औसत टर्नओवर 2019-20 में 32,000 करोड़ रूपये था। एमसीएक्स की प्रमुख रूप से ट्रेड होने वाली कमॉडिटी में शामिल हैं:

  • बुलियन जिनमें सोना, चांदी और प्लेटिनम शामिल हैं; 
  • गैसोलीन, क्रूड ऑयल, नेचुरल गैस, पेट्रोकेमिकल्स जैसे एनर्जी प्रॉडक्ट; 
  • दाल, केस्टर सीड, काली मिर्च, कॉटन, इलायची जैसे एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस;
  • तांबा, निकल, जस्ता जैसे मेटल।

एनसीडीईएक्स में ट्रेड होने वाली कमॉडिटी

एनसीडीईएक्स भारत में एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस के लिहाज़ सेों प्रमुख कमॉडिटी एक्सचेंज है। 2021 में इसका रोजाना औसत ट्रेड 2139 करोड़ रूपये, पिछले कुछ साल में इसमें काफी तेज़ी आई है। एनसीडीईएक्स में 23 कमॉडिटी का ट्रेड होता है। दुनिया भर के कमॉडिटी ट्रेडिंग मार्केट में यह अकेला एक्सचेंज हैं जहाँ इतनी कमॉडिटी का ट्रेड होता है।  एनसीडीईएक्स पर मुख्य रूप से ट्रेड की जाने वाली कमॉडिटी हैं:

  • फाइबर - कपास, 29 मिमी कॉटन।
  • मसाले - धनिया, जीरा, हल्दी।
  • अनाज और दाल - बाजरा, जौ, चना, मक्का, मूंग, धान (बासमती), गेहूं।
  • सॉफ्ट - गुड़ 
  • ग्वार कॉम्प्लेक्स - ग्वार गम रिफाइंड स्प्लिट्स, ग्वार सीड (10 एमटी)
  • तेल और तिलहन - कैस्टर ऑयल, कॉटन सीड ऑयल केक, क्रूड पाम ऑयल, मस्टर्ड सीड, रिफाइंड सोया ऑयल, तिल, सोयाबीन। 
  • इंडेक्स प्रॉडक्ट्स - एग्रीडेक्स

एनसीडीईएक्स में सेंसेक्स के की तरह एक इंडेक्स है जिसे एनसीडीईएक्स एग्रीडेक्स के तौर पर जाना जाता है।  जिस तरह सेंसेक्स 30 चुनिंदा शेयरों से जुड़ा बेंचमार्क इंडेक्स है, उसी तरह एनसीडीईएक्स एग्रीडेक्स अपने प्लेटफॉर्म पर चना, सोयाबीन आदि जैसे 10 प्रमुख लिक्विड कमॉडिटी से जुड़ा इंडेक्स है।   इसमें एनसीडीईएक्स मॉनसून इंडेक्स और एनसीडीईएक्स रेन इंडेक्स भी है जो सालाना 1 जून से 30 सितंबर के बीच भारत में मानसून को ट्रैक करता है क्योंकि मानसून एग्रीकल्चरल प्रोडक्टिविटी के लिए और भारत की इकॉनमी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

कमॉडिटी मार्केट के भागीदार

आम तौर पर ज़्यादातर कमॉडिटी मार्केटों में के प्रतिभागी होते हैं:

  1. हेजर्स - ये आमतौर पर इंडस्ट्रीज़ या मैन्युफैक्चरर्स होते हैं जो कच्चे माल के तौर पर कमॉडिटी पर निर्भर होते हैं जो जोखिम कम करने के लिए मार्केट में आते हैं। मिसाल के लिए, कोई बड़ा कॉपर वायरिंग मैन्युफैक्चरर चाहेगा कि वह किसी तय प्राइस पर कॉपर का स्टॉक खरीदे ताकि आने वाले दिनों में तांबे की कीमत बढ़ने के जोखिम से बचा जा सके। 
  2. स्पेक्युलेटर - शेयर मार्केट की तरह, स्पेक्युलेटर को अंडरलायिंग कमॉडिटी नहीं चाहिए होती है। वे सिर्फ प्राइस में उतार-चढ़ाव से मुनाफा कमाने के लिए ही मार्केट में आते हैं।
  3. आर्बिट्रेजर - आर्बिट्रेजर सोफिस्टिकेटेड ट्रेडर होते हैं जो अलग-अलग एक्सचेंज में ट्रेड हो रही कमॉडिटी की प्राइस के फर्क की तलाश करते हैं। ज़्यादातर एक्सचेंज अब ऑनलाइन हैं और रियल टाइम के आधार पर अपडेटेड होते हैं सो इन एक्सचेंज में इस तरह की प्राइस में फर्क बहुत मामूली होता है। इसलिए आर्बिट्रेजर इस तरह के बारीक फर्क को पहचानने के लिए सोफिस्टिकेटेड टेक्नोलॉजी और एल्गोरिदम का फायदा उठाते हैं और बड़ी पोजीशन लेकर मुनाफा कमाते हैं।

भारत में कमॉडिटी मार्केट में इन्वेस्ट करने के 5 तरीके

तेजी से बढ़ते भारत के कमॉडिटी मार्केट में भाग लेने के इच्छुक इन्वेस्टर इनमें से किसी भी ज़रिये से ऐसा कर सकते हैं:

  1. कमॉडिटी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ)
    कमॉडिटी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड बिल्कुल म्यूचुअल फंड जैसे हैं, सिर्फ इतना फर्क है कि वे कमॉडिटी में इन्वेस्ट करते हैं और इन्हें पूरे दिन एक्सचेंज ट्रेड किया जा सकता है। कमॉडिटी ईटीएफ में इन्वेस्टमेंट करने से आपको या तो एक कमॉडिटी में या एक कमॉडिटी बास्केट में इन्वेस्ट करने की सुविधा होती है।
  2. कमॉडिटी म्यूचुअल फंड
    कमॉडिटी म्यूचुअल फंड ऐसे फंड होते हैं जो कमॉडिटी में इन्वेस्ट करते हैं और किसी ट्रेडिंग डे के अंत में खरीदे-बेचे जाते हैं। इन्हें प्रोफेशनल फंड मैनेजर मैनेज करते हैं और कमॉडिटी ट्रेडिंग में आने वाले उन नए इन्वेस्टर्स के लिए यह बढ़िया विकल्प हैं जो सीधे कमॉडिटी में इन्वेस्ट नहीं करना चाहते हैं।
  3. कमॉडिटी ऑप्शंस
    कमॉडिटी के अलग-अलग ऑप्शंस में इन्वेस्ट करने से आपको पहले से तय तारीख और प्राइस पर कमॉडिटी खरीदने-बेचने का राईट मिलता है। यह सिर्फ राईट है और ऑब्लिगेशन नहीं है। इस तरह, जब आप कमॉडिटी ऑप्शंस में ट्रेड करते हैं, तो आप चाहें तो इस राईट का उपयोग न करने का विकल्प चुन सकते हैं।
  4. कमॉडिटी फ्यूचर्स
    कमॉडिटी फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट में इन्वेस्ट करने का मतलब है कि आप फ्यूचर में तय तारीख और प्राइस पर कमॉडिटी खरीदने-बेचने के लिए अग्रीमेंट कर रहे हैं। ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट के उलट, यहां किसी तय तारीख और प्राइस पर कमॉडिटी खरीदने या बेचने के सम्बन्ध में आपका ऑब्लिगेशन है।
  5. फिजिकल कमॉडिटीज़
    यह आमतौर पर इंडस्ट्रीज़ या मैन्युफैक्चरर्स करते हैं क्योंकि उन्हें प्रॉडक्शन के लिए कच्चे माल के तौर पर कमॉडिटी की ज़रुरत हो सकती है। स्पेकुलेटर्स आम तौर पर फिजिकल कमॉडिटीओं की खरीद-बिक्री से दूर रहते हैं क्योंकि कमॉडिटी की डिलीवरी के लिए स्टोरेज स्पेस की ज़रुरत होती है और इंश्योरेंस कॉस्ट का भी ध्यान रखना होता है जो स्पेकुलेटर्स की क्षमता से बाहर होता है। 

आपको भारत में कमॉडिटी मार्केट क्यों ट्रेड करना चाहिए?

भारतीय कमॉडिटी मार्केट ने अपनी मामूली शुरुआत से लेकर अब तक काफी लंबा सफर तय किया है। आज भारतीय कमॉडिटी एक्सचेंज बेहद सोफिस्टिकेटेड हैं और दुनिया में सबसे अच्छे माने जाते हैं। यहाँ कमॉडिटी ट्रेडिंग से जुड़े हर तरह के इन्वेस्टमेंट ऑप्शंस और कॉन्ट्रैक्ट की सुविधा है।

कमॉडिटी आपके पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाय करने और जोखिम को अलग-अलग एसेट क्लास में बांटने का अच्छा तरीका है।  हालाँकि कमॉडिटी में इन्वेस्ट करने में जोखिम होता है क्योंकि कमॉडिटी प्राइस ग्लोबल मैक्रोइकॉनोमिक और जियोपोलिटिकल हालात के प्रति बहुत सेंसिटिव होती हैं। यदि आप कमॉडिटी ट्रेडिंग में नए हैं, तो बेहतर होगा कि आप कमॉडिटीज में इन्वेस्ट करने से पहले खुद इसकी जांच-परख कर लें।

निष्कर्ष

भारत में कमॉडिटी ट्रेडिंग तेजी से बढ़ रही है क्योंकि मैन्युफैक्चरर्स कमॉडिटी फ्यूचर्स के ज़रिये जोखिम की हेजिंग की तलाश में रहते हैं और इन्वेस्टर अपने पोर्टफोलियो डायवर्सिफाय करना चाहते हैं। भारतीय एक्सचेंजेज़ का रेग्युलेशन बहुत बढ़िया हैं, दुनिया में बेहतरीन स्तर के बराबर। यदि आप भारत में कमॉडिटी ट्रेडिंग शुरू करना चाहते हैं, तो हमारी सलाह होगी कि आप सीधे इन्वेस्ट करने के बजाय कमॉडिटी म्यूचुअल फंड या ईटीएफ के माध्यम से इन्वेस्टमेंट शुरू करें।  यह भी महत्वपूर्ण है कि आप मार्केट में अपनी पूंजी को जोखिम में डालने से पहले खुद को कमॉडिटी ट्रेडिंग के सभी पहलुओं के बारे में ठीक से एजुकेट करें। एंजेल ब्रोकिंग के स्मार्टमनी जैसे कई मुफ्त और कॉम्प्रिहेंसिव लर्निंग रिसोर्सेज़ ऑनलाइन उपलब्ध हैं जिनका उपयोग आप भारत में कमॉडिटी ट्रेडिंग के बारे में जानने के लिए कर सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या मुझे स्टॉक और कमॉडिटी में इन्वेस्ट करने के लिए अलग-अलग डीमैट अकाउंट खोलना होगा?

नहीं, आप केवल एक ही डीमैट अकाउंट के ज़रिये इक्विटी और कमॉडिटी दोनों में ट्रेड कर सकते हैं। सबसे ज़रूरी है कि किसी अच्छे ब्रोकिंग फर्म के साथ एक डीमैट अकाउंट खोलें जो अपने ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म से इक्विटी और कमॉडिटी ट्रेडिंग दोनों की सुविधा प्रदान करता है।

क्या कमॉडिटी ट्रेडिंग जोखिम भरा है?

इक्विटी और कमॉडिटी में मार्केट से जुड़े अन्य इंस्ट्रूमेंट की तरह ही जोखिम होता है और इन्वेस्टर्स को इनमें इन्वेस्ट करने से पहले इन्हें पूरी तरह से समझना चाहिए।

मैंने पहले इक्विटी में इन्वेस्ट किया है लेकिन मुझे कमॉडिटी के बारे में कुछ नहीं पता है। तो क्या मुझे कमॉडिटी में इन्वेस्ट करना चाहिए?

कमॉडिटीज में इन्वेस्ट करना आपके पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन लाने और जोखिम का दायरा फैलाने का अच्छा तरीका है। हमारी सलाह है कि इन्वेस्ट करने से कमॉडिटीज़ के बारे में जानने के लिए आप पहले किसी अच्छे ऑनलाइन लर्निंग रिसोर्स का इस्तेमाल करें।

यदि मैं एमसीएक्स में सोना खरीदने का ऑर्डर दूँ, तो क्या मेरे घर में इसकी डिलीवरी हो जायेगी?

नहीं। एक्सपायरी डेट से पहले यदि आप कॉन्ट्रैक्ट से बाहर नहीं निकलते तो यह अपने-आप ख़त्म हो जायेगा।

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