एलआईसी आईपीओ: पॉलिसीहोल्डर्स के लिए बेनिफिट
सभी पॉलिसीहोल्डर्स को आने वाले पब्लिक ऑफर में पात्र पॉलिसीहोल्डर साबित करने के लिए उन्हें अपना पैन डाटा पॉलिसी रिकॉर्ड में अपडेट करना होगा।
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22 जून,2021
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एसआईपी के आने और लोकप्रिय होने से पहले, ज़्यादातर इन्वेस्टमेंट एकमुश्त किए जाते थे, लेकिन किसी ने भी इसे एकमुश्त नहीं कहा क्योंकि तब इन्वेस्टमेंट का कोई दूसरा तरीका नहीं था।
आप इसकी तुलना इस बात से कर सकते हैं कि जैसे आज लोग कहें "अरे, मैंने अब तक वैक्सीन नहीं लिया।" आज के दौर में यह कहने का मतलब है - 2019 में इसका शायद ही कोई मतलब होता। उस वक़्त किसी को भी वैक्सीन नहीं लगा था। लेकिन अब क्योंकि लोग वैक्सीन लगवा रहे हैं इसलिए कोई यह कह सकता है कि उसे वैक्सीन नहीं लगा है।
जब आप एकमुश्त इन्वेस्ट करते हैं, तो आपकी मंशा पूरी उपलब्ध पूंजी इन्वेस्ट करने की होती है। इसके उलट है एसआईपी, जिसमें आप किसी म्यूचुअल फंड में नियमित अंतराल पर तय राशि इन्वेस्ट करते हैं। एकमुश्त इन्वेस्टमेंट पारंपरिक इन्वेस्टमेंट जैसे सोना, रियल एस्टेट, फिक्स्ड डिपॉजिट और म्यूचुअल फंड दोनों में होता है। हालांकि एसआईपी विशिष्ट रूप से म्यूचुअल फंड में होता है।
एकमुश्त इन्वेस्ट करते समय ध्यान रखने लायक मुख्य बातें
1. अपने इन्वेस्टमेंट पर खूब मुनाफा कमाना
हमने पहले बात की कि एसआईपी का रास्ता अख्तियार करने का मतलब है म्यूचुअल फंड की यूनिट की लागत को एवरेज आउट करना जिनमें रोज़ाना उतार-चढ़ाव होता है। ऐसा इसलिए है कि म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करने पर आप उस म्यूचुअल फंड की यूनिट खरीदते हैं। तो मान लीजिए कि आपके पास इन्वेस्ट करने के लिए 10,000 रुपये हैं। तो आपको उस राशि में उपलब्ध यूनिट मिलेंगी। मान लें कि किसी म्यूचुअल फंड की यूनिट की कीमत 50 रुपये है; आपको अपनी 10,000 रुपये की पूंजी में 200 यूनिट मिलेंगी। हालांकि, यूनिट की कीमतें रोज़ाना बदलती रहती हैं और आपकी आय इस पर निर्भर करती है कि जब आप अपनी सारी यूनिट बेच रहे हैं तो उस उक्त कीमत में कितना अंतर होता है।
साफ़ है कि आप हर संभव बड़ा अंतर बनाए रखना चाहते हैं और इसलिए कम से कम कीमत पर खरीदारी करना ज़रूरी है। इन्वेस्टर एसआईपी के ज़रिये अपनी खरीद को एवरेज आउट करने की कोशिश करते हैं। जब आप एकमुश्त राशि इन्वेस्ट करते हैं तो आप उस एवरेजिंग की संभावना का फायदा नहीं उठा पाते हैं। हालाँकि, आप इससे दो तरह से निपट सकते हैं।
2. अनिश्चितता
मौजूदा हालात में अपने सारे फंडों को जोड़ने से पहले यह सुनिश्चित करना समझदारी होगी कि आपने अपने रोज़मर्रा के खर्च और जीवन शैली को बरकरार रखने के लिए पर्याप्त पूंजी अलग रखें। आप अपने इन्वेस्ट को अनुचित समय पर भुनाना नहीं चाहते हैं क्योंकि इससे शायद नुकसान हो सकता है (यदि आपको ऐसे समय में अपनी पूंजी निकालने की ज़रुरत पड़ती है जब बाजार नीचे होता है)। म्यूचुअल फंड में जोखिम आमतौर पर लंबी अवधि में ख़त्म हो जाता है और इसलिए आपकी इन्वेस्टमेंट योजना भी लम्बे समय के लिए होनी चाहिए। इसके अलावा कुछ किस्म के म्यूचुअल फंड भी लॉक-इन अवधि के साथ आते हैं।
चाहे आप एकमुश्त इन्वेस्ट करना चुनें या एसआईपी इन्वेस्टमेंट, ध्यान रखें हाउस और जिन स्टॉक में म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करते हैं, उन पर रिसर्च करते समय सावधानी बरतें और यह देख लें कि आपकी जोखिम सह पाने की क्षमता और फंड हाउस का जोखिम प्रोफ़ाइल एक दूसरे से मेल खाता है या नहीं। म्युचुअल फंड कम जोखिम या ज़्यादा जोखिम वाला हो सकता है लेकिन शेयर बाजार से जुड़े होने के कारण कुछ हद तक जोखिम हमेशा रहेगा। हालांकि, उनकी लोकप्रियता उनके रिस्क-रिवॉर्ड बेनिफिट पर निर्भर करती है। यदि ठीक से चुना गया तो म्यूचुअल फंड से अच्छी कमाई होती है।
हमेशा याद रखें, इन्वेस्ट कोई भी कर सकता है चाहे उम्र, जेंडर या प्रोफेशन कोई भी हो। एंजेल ब्रोकिंग के साथ अपना इन्वेस्टमेंट सफ़र शुरू करें - यहाँ आपको न केवल इन्वेस्टमेंट मंच मिलता है, बल्कि यह पोस्ट जो आप अभी पढ़ रहे हैं उसकी तरह इन्वेस्टर एजुकेशन से जुड़े ढेरों पोस्ट मिलेंगे। हैप्पी इन्वेस्टिंग!
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