एसआईपी के बारे में हर बात जो आपको जाननी चाहिए

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21 जून,2021

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एसआईपी के बारे में आपको जो कुछ पता होना चाहिए - स्मार्ट मनी
एसआईपी के बारे में अब तक आप सबने सुन रखा होगा। यह काफी लोकप्रिय शब्द बन गया है - भले ही इसका इस्तेमाल हमेशा सही तरीके न होता हो।

आपने सहकर्मियों को इसके बारे में बात करते हुए सुना होगा जब ऑफिस के अकाउंटेंट आपको टैक्स डेक्लेरेशन फॉर्म देते हैं या किसी ने आपको बताया होगा कि एसआईपी के बारे में इन्वेस्ट के एक ज़रिये के तौर पर। 

तो आइए जानते हैं एसआईपी क्या है। दरअसल, शुरू करते हैं कि क्या एसआईपी नहीं है। 

बहुत से लोग एसआईपी का उल्लेख इस तरह करते हैं जैसे कि यह एक तरह की इन्वेस्टमेंट हो जैसे फिक्स्ड डिपॉजिट या स्टॉक। हालाँकि एसआईपी एक तरह का इन्वेस्टमेंट कहना ऐसा है जैसे इस सवाल का जवाब देना कि "आपका एक्सरसाइज रूटीन क्या है?" इसका जवाब हो सकता है "रोज़ाना" बजाय इसके कि आप यह कहें कि आप रोज़ किस तरह की एक्सरसाइज करते हैं। एसआईपी इन्वेस्टमेंट का एक तरीका है, खासकर म्यूचुअल फंड में। सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान, जिसे संक्षेप में एसआईपी कहते हैं, म्यूचुअल फंड में एकमुश्त इन्वेस्टमेंट के उलट है। एकमुश्त इन्वेस्टमेंट करते हैं तो आप अपने इन्वेस्टमेंट की पूरी पूंजी एक बार में ही लगा देते हैं। इसके उलट एसआईपी में आपकी पूंजी धीरे-धीरे इन्वेस्ट की जाती है। इसके तहत तय राशि, तय दिन को, किसी निश्चित म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट किया जाता है बजाय एक ही बार में इन्वेस्ट करने के। 

आप इसकी तुलना किसी चीज़ की खरीद से कर सकते हैं जिसके लिए भुगतान एकमुश्त या किस्तों में किया जाए। 

तो लोग एकमुश्त इन्वेस्ट करने के बजाय एसआईपी के ज़रिये म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करने का विकल्प क्यों चुनते हैं? क्या उन्हें इसमें कुछ फायदा नजर आता है? हां, वाक़ई इसके कई फायदे हैं, जैसे: 

1. रुपए की कॉस्ट एवरेजिंग 

जब आप किसी म्युचुअल फंड में इन्वेस्ट करते हैं तो आप उस म्यूचुअल फंड की यूनिट खरीदते हैं। तो मान लीजिए कि आपके पास इन्वेस्ट करने के लिए 5,000 रुपये हैं। आपको उस राशि में जो संभव है उतनी यूनिट मिलेगी। मान लें कि किसी म्यूचुअल फंड की इकाई की कीमत 25 रुपये है तो आपको अपनी 5,000 रुपये की इन्वेस्टमेंट पूंजी से 200 यूनिट मिलेंगे। हालांकि, म्यूचुअल फंड की यूनिट की कीमत रोज़-ब-रोज़ बदलती रहती है। यह कुछ हद तक स्टॉक की तरह है कि कीमत वेरिएबल है, लेकिन इस मायने में अलग है कि स्टॉक की कीमत में जहाँ हर क्षण उतार-चढ़ाव होता है, म्यूचुअल फंड की कीमत अगले दिन ही बदलती है।
आपकी कमाई इस पर निर्भर है कि जिस दिन आपने यूनिट खरीदा और जिस दिन आप बेच रहे हैं उनकी कीमत में क्या फर्क रहा।

जब आप तरह की इन्वेस्टमेंट खरीदना चाहते हैं तो हरसंभव कम कीमत पर खरीदना चाहते हैं और हरसंभव अधिक कीमत पर बेचना चाहते हैं। हालांकि, शौकिया इन्वेस्टर जो पहले ही कहीं नौकरी करता है तो आपके पास रोज़ अलग-अलग म्यूचुअल फंडों की कीमतों के लिए बाजार खंगालने का समय नहीं होता। तभी यह धीरे-धीरे इन्वेस्ट करने वाली शैली सामने आती है। अलग-अलग समय पर एक तय राशि कुछ कम यूनिट खरीद सकते हैं लेकिन कुछ दिनों में आपको और यूनिट मिल सकते हैं; या दूसरे शब्दों में कहें तोआपकी कीमत एवरेज आउट हो जाती है। 

नतीजतन, जब आप एसआईपी का विकल्प चुनते हैं तो आम तौर पर किसी म्यूचुअल फंड में हर महीने एक निश्चित दिन तय राशि जाएगी

2. यह उनके लिए उपयुक्त है जिनके पास छोटी, क्रमिक बचत होती है।

जो इन्वेस्टर बड़ी रकम के बजाय अपने मासिक वेतन से बचत का एक छोटा सा हिस्सा ही अलग रख पाते हैं उनके लिए यह तरीका वरदान है। अन्यथा उन्हें इन्वेस्ट के लिए पर्याप्त पूँजी जमा करने के लिए 10 महीने या एक साल तक इंतजार करना पड़ सकता है जिससे उनके बचत खातों में बहुत कम ब्याज मिलता है। इस तरह उनकी कम राशि पर भी ब्याज अच्छा ब्याज मिल सकता है जिससे कोई भी खुश हो सकता है। 

3. यह बचत की आदत डालने के लिए उपयोगी हो सकता है।

लोग अपने म्यूचुअल फंड के लिए अपनी एसआईपी राशि डायरेक्ट-डेबिट इस तरह रख सकते हैं कि यह राशि अपना पूरा वेतन समाप्त करने से पहले किया जाए। यह सबसे बाध्यकारी खर्च करने वालों को भी कुछ बचत विकसित करने में मदद कर सकता है। 

इसके अलावा आप इन बातों पर विचार कर सकते हैं 

4. चीजों को चांस पर छोड़ना 

जब आप किस तय दिन को इन्वेस्ट कर रहे होते हैं तो आप यह नहीं बता सकते कि उस दिन म्यूचुअल फंड की यूनिट की कीमत क्या होगी? दूसरे शब्दों में, आप चीजों को चांस पर छोड़ रहे हैं। संभव है कि जिस दिन आपने खरीदने के लिए साइन अप किया हो उस दिन यूनिट की कीमत शायद ही कभी कम हो लेकिन यदि हर महीने आपके एसआईपी वाले दिन कीमत अक्सर अधिक हो तो? 

5. यदि आपको ज़ोरदार मुनाफा हो 

मान लीजिए कि आपको अभी-अभी बोनस मिला हो या विरासत मिली हो या बड़ी पूंजी मिली हो? इसे अपने बचत खाते में रखने और हर महीने छोटी सी राशि इन्वेस्ट करने का कोई मतलब नहीं है। जब तक आपकी पूंजी आपके बचत खाते में बंधी हुई है, तब तक आप संभावित आय का नुकसान नहीं चाहते हैं। यदि आप अपनी यूनिट अधिक कीमत पर भी खरीदते हैं तब भी यह बचत खाते से मिलने वाले ब्याज से होने वाली मामूली आय से बेहतर रहेगा।

धीरे-धीरे निकासी मुनाफे वाली भी हो सकती है या नुकसानदेह भी। 

आपने जो म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट चुना है यदि उसमें लॉक-इन अवधि है तो आपको धीरे-धीरे निकासी भी करनी होगी या आपको पूरे इन्वेस्ट को भुनाने के लिए अंतिम किस्त के मैच्योर होने का इंतजार करना होगा। उदाहरण के लिए, यदि आप किसी म्यूचुअल फंड में एसआईपी के ज़रिये 5,000 रुपये इन्वेस्ट करते हैं, तो तीन साल तक, एक मई 2021 से दो मई 2024 तक आप पहले 5,000 रुपये निकाल सकते हैं लेकिन अधिक नहीं, क्योंकि बाद की किस्तों को मैच्योर होने अभी वक़्त लगेगा। एक अप्रैल 2024 को जो आपने अंतिम किस्त दी है उसे अप्रैल 2027 में ही भुनाया जा सकता है। 

हालांकि यह उन लोगों के लिए सकारात्मक हो सकता है जो अपने म्यूचुअल फंड इन्वेस्ट की मैच्योरिटी के बाद निरंतर आय की व्यवस्था करना चाहते हैं। वास्तव में कुछ लोग एकमुश्त निकासी के बजाय एसडब्ल्यूपी - या सिस्टेमेटिक विथड्रॉअल - चुनते हैं क्योंकि इस तरह उन्हें अतिरिक्त मासिक होती है। या यदि सेवानिवृत्त हो जाते हैं तो उन्हें मासिक आय मिलती रहती है।

एंजेल ब्रोकिंग के साथ अपना इन्वेस्टमेंट सफ़र शुरू करें। याद रखें कि हर कोई इन्वेस्ट कर सकता है चाहे उम्र, जेंडर या प्रोफेशन कोई भी हो। आपको बस पर्याप्त रिसर्च और होमवर्क करने की ज़रूरत है - ठीक वैसे ही जैसे आप अभी कर रहे हैं। कीप इट अप!

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