मामूली क़र्ज़दाता से एशिया के सबसे अमीर...
छोटी कंपनियों को सस्ती दर पर क़र्ज़ देने वाले छोटे से फर्म से शुरुआत कर उदय कोटक ने अपने कारोबार को सफल बैंक में बदल दिया, जो फिलहाल बाज़ार पूंजीकरण के लिह…
01 मार्च,2022
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डिजिटलाइजेशन जिस तेज़ी से सोसाइटी और इकॉनमी के लगभग सभी हिस्से पर हावी हो गया है कि इससे पेमेंट का तरीका भी बदल गया है। बीसवीं शताब्दी में करेंसी अपने पेपर फॉर्म पर निर्भर होने के बजाय, क्रेडिट और डेबिट कार्ड जैसे फिनटेक उत्पादों के रूप में ज़्यादा प्रचलित हो गई। हालाँकि, भारत में उनकी लोकप्रियता 21वीं सदी के बाद ही स्पष्ट होने लगी।
आज, भारतपे जैसी फिनटेक कंपनियों ने इस लोकप्रियता को भुनाया है और छोटे मर्चेंट की जरूरतों को पूरा करने वाले फिनटेक उत्पादों का एक विशिष्ट वर्ग बनाकर इसका लाभ उठाया है। भारतपे की पेशकशों के साथ इन छोटे मर्चेंट के लिए डिजिटल पेमेंट स्वीकार करना संभव है। 2018 में अपनी स्थापना के बाद से, इस कंपनी ने अपने मर्चेंट को कर्ज़ देने में मदद की है जो कुल मिलाकर 3,000 करोड़ रूपये है। इस आर्टिकल में रीडर्स को उन दो लोगों में से एक - अश्नीर ग्रोवर की लाइफ स्टोरी बताने की गई है जिन्होंने यह कंपनी खड़ी की।
एक हिंदू परिवार में 14 जून 1982 को जन्मे अशनीर ग्रोवर आज 39 साल के हैं। कम उम्र में ही साफ़ हो गया था कि अशनीर ग्रोवर के पास कुशल अकादमिक क्षमता है। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, दिल्ली में एडमिशन और वहां से ग्रेजुएशन के बाद उनके इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट से पढ़ाई करने ने इस तथ्य को और पुख्ता किया।
भारतपे बनाने से पहले, अशनीर ग्रोवर ने कई बड़ी कंपनियों में अपना करियर बनाया, जिनमें कोटक इन्वेस्टमेंट बैंक और अमेरिकन एक्सप्रेस शामिल हैं। ग्रोवर ने दरअसल अपने करियर के सात साल (2006 - 2013) कोटक को समर्पित किए, जहां उन्होंने मर्जर-एक्वीजीशन और रिस्ट्रक्चरिंग का ज़िम्मा संभाला और मीडिया, मैन्युफैक्चरिंग और रियल एस्टेट से लेकर ऑयल एवं गैस, रिटेल और टेलीकम्यूनिकेशन तक के क्षेत्रों के 10 डील की ज़िम्मेदारी संभाली जो कुल मिलाकर तीन बिलियन अमरीकी डालर की थीं।
2013 में, ग्रोवर ने कंपनी बदली और अमेरिकन एक्सप्रेस से जुड़ गए जहां उन्होंने कॉर्पोरेट डेवलपमेंट विभाग के डायरेक्टर के तौर पर काम किया। इस कंपनी में दो साल के दौरान उन्होंने 'मोबिक्विक' में सीरीज बी इन्वेस्टमेंट का नेतृत्व किया।
सिविल इंजीनियरिंग के इस ग्रेजुएट ने 2015 में ग्रोफ़र्स (अब ब्लिकिट) के लिए चीफ फिनांशियल ऑफिसर की भूमिका निभाई और वह इस पद पर वह ढाई साल तक रहे। इस दौरान उन्होंने इसके फाउंडर्स के साथ मिलकर फिनांस, लीगल और बिज़नेस व्यापार से लेकर सरकार से संपर्क तक सभी चीजों का ज़िम्मा संभाला।
2017 में, आईआईटी के इस पूर्व छात्र ने पीसी ज्वेलर्स लिमिटेड में काम करने का फैसला किया, जहाँ उन्होंने "हेड ऑफ़ न्यू बिज़नेस" की भूमिका निभाई। उन्होंने इस कंपनी के डिजिटल परिवर्तन में मदद की जो देश की दूसरी सबसे बड़ी ज्वेलरी रिटेलर है। इस भूमिका ने उन्होंने एक ही ब्रांड - पीसीजे के तहत उक्त कंपनी के लिए सभी ईकॉमर्स ऑपरेशन को इकठ्ठा किया सीधे शब्दों में कहें तो, इस दौरान उन्होंने जो बिज़नेस सम्बन्धी पहलें कीं, उससे कंपनी को कंज़्यूमर एक्सपीरियंस बढ़ाने में मदद मिली यानी सम्बद्ध कारोबार में ग्रोथ और डायवर्सिफिकेशन में मदद मिली।
अक्टूबर 2018 में आईआईएम से एमबीए किये हुए इस प्रोफेशनल के लिए चीज़ें काफी बदल गईं। किसी और के लिए काम करने के बजाय, उन्होंने शाश्वत नाकरानी के साथ मिलकर भारतपे की स्थापना की। यह फिनटेक कंपनी आगे चलकर देश की सबसे बड़ी ऑफलाइन मर्चेंट नेटवर्क बन गई। मोबाइल पेमेंट अब स्वतंत्र रूप से और हर जगह स्वीकार किया जाने लगा है। को-फाउंडर के रूप काम करने के अलावा, ग्रोवर ने 2018 से अगस्त 2021 तक चीफ एग्ज़ेक्यूटिव की भूमिका निभाई। अगस्त 2021 में, वह सीईओ का पद छोड़कर मैनेजिंग डायरेक्टर में से एक बन गए। पिछले सात महीनों से वह इस पद पर हैं, जबकि कंपनी अपनी आईपीओ फाइनांसिंग से जुड़ी पेचीदगियां सुलझा रही है।
डिस्क्लेमर: इस ब्लॉग का उद्देश्य है जागरूकता पैदा करना न कि निवेश पर कोई सलाह/सुझाव प्रदान करना या न ही कुछ खरीद-बिक्री की अनुशंसा करना।
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