स्टॉक डिविडेंड पर टैक्स कैसे लगता है?
इस आर्टिकल में यह समझाने की कोशिश की गई है कि डिविडेंड क्या है, इस पर कैसे टैक्स लगता है और क्या कुछ जुड़ा है।
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07 फरवरी,2022
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अधिकांश नागरिक अपने टैक्स का भुगतान नियमपूर्वक हैं, और यह भी छुपा नहीं है कि सबसे अधिक नियमपूर्वक भुगतान करने वाले नागरिक भी अपनी मेहनत की कमाई का एक हिस्सा देने की बात से नाखुश रहते हैं। हर कोई घंटों इस पर बात टैक्ससकता है कि किस तरह वे चाहते हैं कि टैक्स के तौर पर कम भुगतान करना पड़े, यह टैक्सेशन ब्लॉग उन विचारों और कैलकुलेशन के बारे में है जिसका इस्तेमाल इन्वेस्टर्स को नए टैक्स की घोषणा करते समय करने की ज़रुरत होती है।
टैक्सेशन का मुख्य लक्ष्य सरकार को रेवेन्यू प्रदान करना है जिसकी ज़रुरत उसे जनता के लिए आवश्यक सर्विसेज़ की व्यवस्था के लिए होती है, जिनमें इंफ्रास्ट्रक्चर का ग्रोथ और पब्लिक हेल्थ और वेलफेयर प्रोग्राम आदि शामिल हैं। लेकिन मुश्किल तब होने लगती हैं जब कोई नया टैक्स पेश किया जाता है क्योंकि आप कह सकते हैं कि यह एक तरह से कई तरह के प्लान पर रोक लगा देता है। डिमांड और सप्लाय का सुचारू स्वरूप प्रभावित होता है और यह इकॉनोमिक ग्रोथ की समग्र गति और दिशा को प्रभावित कर सकता है। डिमांड और सप्लाय की लय में इस हस्तक्षेप को डेडवेट लॉस के रूप में जाना जाता है।
आइये डेडवेट लॉस के अर्थ को पूरी तरह से समझने के लिए, हम अंदाज़ा लगाएं कि जब नया टैक्स पेश किया जाता है तो क्या होता है। दरअसल, आपको इससे अपने जीवन में नए टैक्स लागू होने के समय से जुड़े कुछ विशिष्ट इकॉनोमिक रेस्पोंस की याद आ सकते हैं।
सप्लायर्स: नया टैक्स सीधे तौर पर बढ़े प्रोडक्शन कॉस्ट से मेल खाता है। इसका मतलब है, कुछ सप्लायर्स के लिए कैश फ्लो की समस्या हो, भले ही वर्तमान में कैश फ्लो की समस्या मौजूद हो या न हो, उच्चतर प्राइसिंग (जो प्रोडक्शन कॉस्ट में वृद्धि का परिणाम होगा) से डिमांड कम होने की आशंका से प्रोडक्शन कम हो सकता है और परिणामस्वरूप सप्लाय कम हो सकता है।
कंपनियां भी दूसरी जगह ध्यान दे सकती हैं: वे ऐसे प्रॉडक्ट का प्रोडक्शन कम कर सकती हैं जिस पर टैक्स ज़्यादा हो और संभव है कि इसके उलट कम टैक्स वाले प्रॉडक्ट का प्रोडक्शन बढ़ा दें।
नया टैक्स तनावपूर्ण कारोबारी माहौल तैयार करता है और कंपनियों की जोखिम लेने की संभावना कम हो जाती है। छोटी कंपनियों और स्टार्टअप्स को लॉन्च में बाधा आ सकती है और ऐसे माहौल में जोखिम अधिक होने के कारण संभव है कि हर तरह की कंपनियां विस्तार योजनाओं को आगे नहीं बढायें।
खरीदार: नए टैक्स का भुगतान करने के लिए धन डायवर्ट करने के कारण डिस्पोजेबल आय कम होने के कारण लोग खर्च में कटौती कर सकते हैं। खरीदार उन प्रॉडक्ट और सर्विसेज़ की खपत भी कम कर सकते हैं जो नए टैक्स के कारण अधिक महंगे हो गए हैं।
वैकल्पिक रूप से, वे अन्य प्रॉडक्ट भी चुन सकते हैं जिनमें कम टैक्स होता है। पर्यटन और आतिथ्य को प्रभावित करने वाले टैक्स के मामले में व्यापार/मांग भी देश छोड़ सकती है: उदाहरण के लिए, लोग बस दूसरे देशों में छुट्टियां मनाने का विकल्प चुन सकते हैं।
टैक्स पेयर्स को भी अपने टैक्सके बोझ को कम करने के लिए एक रास्ता खोजने की कोशिश में समय और पैसा खर्च करने की संभावना है; फिर से यह वह पैसा है जिसे इस तरह से खर्च किया जा सकता था जिससे अर्थव्यवस्था को फलने-फूलने में मदद मिली।
सरकार: सरकार वास्तव में वह रेवेन्यू अर्जित नहीं कर सकती है जो उसने नया टैक्स लगाकर हासिल करना चाहा था और ऐसा डायवर्ट / कम डिमांड और कम प्रोडक्शन के कारण होता है। इसके अलावा, सरकार टैक्स लागू करने, जागरूकता पैदा करने, कार्यशाला और प्रशिक्षण आयोजित करने, रिकॉर्ड रखने और टैक्स चोरी करने वालों का पीछा करने पर होने वाले खर्च भी बोझ उठाती है। आखिरकार सरकार को खर्च की तुलना में कम टैक्स मिल सकता है, और डिमांड और सप्लाय में कमी के कारण अर्थव्यवस्था की गति धीमी हो सकती है।
इन्वेस्टर्स के लिए डेडवेट लॉस समझना इसलिए ज़रूरी है कि इससे आपका इन्वेस्टमेंट प्रभावित हो सकता है:
निष्कर्ष: नागरिक/करदाता के रूप में नया टैक्स आपके लिए टैक्स के बोझ से कहीं अधिक है। यह आपके इन्वेस्टमेंट को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। हमेशा पूरी तरह नज़र रखें कि आपके इन्वेस्टमेंट पर नए टैक्स का क्या असर होगा और इसके मुताबिक अपने पोर्टफोलियो को संतुलित करते रहें।
डिस्क्लेमर: इस ब्लॉग का उद्देश्य है जानकारी देना, न कि इन्वेस्टमेंट के लिए कोई सलाह/टिप्स देना और न ही किसी स्टॉक को खरीदने या बेचने की सिफारिश करना।
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