डॉ रेड्डीज़ लेबोरेटरीज़ लिमिटेड - क्या यह...
2020 अजीब साल था विशेष तौर पर ऐसे उद्योगों के लिहाज़ से जो कंपनियों और बाज़ार में लॉकडाउन और सामाजिक दूरी की पहलों से पेश चुनौतियों के बावजूद फलने-फूलने…
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09 जून,2021
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होटल, रेस्तरां और ऑफलाइन रिटेल ब्रांड जो कारोबार के लिए लोगों के आने-जाने पर निर्भर हैं, वे महामारी के पहले कुछ हफ्तों में सबसे खराब स्थिति में थे। खाने की डिलीवरी की अनुमति के बावजूद, लॉकडाउन कितने समय तक चलेगा, संकट की भयावहता के बारे में अनिश्चितता के मद्देनज़र खाने का कारोबार करने वालों के पास राज्य या नगर निगम अधिकारियों की ओर से स्वास्थ्य सुरक्षा प्रोटोकॉल के मामले में कोई स्पष्ट आदेश नहीं था। इस भ्रम के बीच कई एफ एंड बी कंपनियों ने स्थिति में सुधार होने तक दुकान बंद करने का फैसला किया। होटल क्वारंटीन सेंटर बने और बिज़नेस या सैर-सपाटे के लिए पूरी तरह बंद हो गए। पहले लॉकडाउन में हॉस्पिटैलिटी उद्योग को गहरा झटका लगा, लेकिन इस बार दूसरी लहर ने जहां भारत के हेल्थ केयर सिस्टम को हिलाकर रख दिया है इसके बावजूद होटल उद्योग के शेयरों में तेजी है। इन्वेस्टर का रुझान मजबूत बना हुआ है क्योंकि एफएंडबी उद्योग के साथ-साथ होटल पिछले लॉकडाउन के असर से उबर चुके हैं और उनके पास अगली कुछ तिमाहियों में कम मुनाफे के आधार पर इम्प्रोवाइज्ड बिज़नेस प्लान हैं जिससे इनमें धीमा लेकिन स्थिर सुधार हो रहा है।
सितंबर 2020 से फरवरी 2021 के बीच लिस्टेड हॉस्पिटैलिटी कंपनियों के शेयरों के प्रदर्शन पर एक नज़र।
कंपनी |
पिछले छह महीनों में शेयर की कीमत में बदलाव |
आईएचसीएल |
+36.77 प्रतिशत |
लेमन ट्री होटल्स |
+50 प्रतिशत |
चैलेट होटल्स |
+27.6 प्रतिशत |
ईआईएच होटल्स |
+28.5 प्रतिशत |
महिंद्रा हॉलीडेज़ एंड रिसॉर्ट्स |
+40 प्रतिशत |
हॉस्पिटैलिटी उद्योग को उबारने में प्रमुख भूमिका सभी उम्र के वयस्कों के लिए देश भर में शुरू हुए वैक्सीनेशन कार्यक्रम की रही है। न केवल भारत में, बल्कि विदेश में भी सभी उम्र के नागरिकों के लिए वैक्सीन व्यापक रूप से उपलब्ध है, यात्रा और पर्यटन, सामान्य रूप से, अपने कोविड पूर्व स्तर पर आने के लिए तैयार है। भारत में दूसरी लहर को युद्ध के तौर पर देखा जा रहा है और यह तभी जीता जा सकता है जबकि वैक्सीन सार्वजानिक रूप से उपलब्ध है। इस बार लॉकडाउन एफ एंड बी उद्योग के लिए उतना कठोर और भ्रामक नहीं है, और फ़ूड डिलीवरी को निर्बाध तरीके से संचालित करने की अनुमति दी गई है।
होटल को राज्य सरकारों ने फ्रंटलाइन वर्कर और विदेश से आने वाले प्री-सिम्पटोमैटिक और एसिम्पटोमैटिक लोगों के लिए क्वारंटीन केन्द्रों की भी भूमिका निभा रहे हैं। अस्पतालों ने भी अपनी क्वारंटीन सुविधाओं के विस्तार के लिए होटलों के साथ भी करार किया है। लॉकडाउन के दौरान भी होटलों में ऑक्यूपेंसी बढ़ी है, लेकिन कमरे में ठहरने की कीमतें सरकार द्वारा नियंत्रित हैं। मुंबई में करीब 200 होटलों को क्वारंटीन सेंटर में बदल दिया गया है।
यह शब्द लॉकडाउन ख़त्म होने के बाद घरेलू यात्रा में बढ़ोतरी के लिए चीन में गढ़ा गया था। जो परिवार और कपल लॉकडाउन के दौरान घरों में बंद थे, वे अब अपने देश के भीतर सैर-सपाटे के लिए ब्रेक ले रहे थे। भारतीय पर्यटकों के बीच भी इंटरसिटी स्टेकेशन और वर्केशन बहुत लोकप्रिय हो गए हैं।
साल 2020 की दूसरी छमाही में मालदीव भारत के शीर्ष पर्यटन स्थलों में से एक था। जैसे ही फ्लाइट शुरू हुईं, कई लोग विदेश में छुट्टियां मनाने निकल पड़े। यह केवल इस बात का संकेत है कि वैश्विक महामारी की स्थिति में भी ट्रेवल और टूरिज्म इंडस्ट्री कितनी जल्दी उबर सकती है। जैसा कि वैक्सीन को रोल आउट किया जा रहा है, जल्द ही इनबाउंड टूरिज्म के बढ़ने की उम्मीद की जा सकती है। पिछले साल भारतीय शेयर बाजार में जो पैटर्न रहा है उसके हिसाब से एक रुझान है कि बगैर फंडामेंटल के कुछ सेक्टर और इंडस्ट्री में तेज़ी से साथ इन्वेस्टमेंट बढ़ता है और कीमत बढ़ती जाती है।
हॉस्पिटैलिटी उद्योग सक्रिय रूप से राज्य और केंद्र सरकारों से रेंट वेवर, टैक्स ब्रेक और अन्य रियायतों की मांग करता रहा है। इस इंडस्ट्री की कंपनियों को भारत सरकार से प्रत्यक्ष रूप से कोई प्रोत्साहन नहीं दिया गया है। इसके बावजूद शैलेट होटल्स और लेमन ट्री जैसी कंपनियों ने 2022 में पूरे होने वाले नए प्रोजेक्ट की घोषणा की है। आईएचसीएल ने तीसरी तिमाही में छह नए होटलों के अधिग्रहण की घोषणा की है।
होटलों ने बेहद कठिन परिस्थिति का फायदा उठाने का जो तरीका ढूँढ निकाला, वह सराहनीय है, हालांकि अभी इसका जवाब मिलना बाकी है कि क्या पिछला साल मुनाफे वाला रहा और क्या निकट भविष्य में भी ऐसा ही रहेगा।
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