ब्लू इकॉनमिक पालिसी पर एक नज़र
आपने ख़बरों में ब्लू इकॉनमिक पालिसी के बारे में सुना होगा। आपने कभी सोचा है कि ये क्या है, और इसका भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर क्या असर होता और …
22 मई,2021
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आईपीओ सेंट्रल द्वारा प्रकाशित एक सूची के अनुसार, 2020 में आठ महीने के दौरान कम से कम 15 आईपीओ आये। मध्य मार्च और दिसंबर 2020 के अंत के बीच, एसबीआई कार्ड्स, सीएएमएस, बर्गर किंग जैसे बड़े नाम और हमने एंजेल ब्रोकिंग का आईपीओ भारत में लाया। अखबारों ने यह माना कि ये आईपीओ सफल रहे और इनमें से ज़्यादातर इन्वेस्टर के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो रहे हैं। निवेशकों के बीच भारी मांग है क्योंकि 2020 के कुछ आईपीओ को 150 गुना सब्सक्राइब किया गया था।
लेकिन इन्वेस्टर को मुनाफा प्रदान करने की उनकी क्षमता और इसके रोमांच के अलावा आईपीओ एक और काम करता है और वह है आर्थिक सुधार में भूमिका अदा करता है। आइए जानें कि पब्लिक होने वाली कंपनियां देश की आर्थिक बेहतरी से कैसे जुड़ती हैं:
आईपीओ अक्सर विस्तार योजनाओं या नए कारोबारी वर्टिकल को फंड करने के लिए लाया जाता है। ये वेंचर आमतौर पर नए विनिर्माण, लॉजिस्टिकल, असेंबली या खुदरा केंद्रों के लिए होते हैं और इस तरह नौकरी के अवसर पैदा होते हैं। आर्थिक सुधार के लिए सबसे कारगर उपायों में से एक है बेरोजगारी कम करना। अलग-अलग रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि 2020 के अंतिम चार महीनों में लगभग एक करोड़ भारतीयों को अपने रोज़गार से हाथ धोना पड़ा और देश में बेरोजगारी बढ़ रही है। यह स्पष्ट है कि कंपनियों को रोज़गार के मौके पैदा करने की ज़रुरत है और आईपीओ कंपनियों को विकास को आगे बढ़ाने के लिए पूंजी देते हैं जिससे रोज़गार के मौके बढ़ते हैं।
बाज़ार में अलग-अलग क्षेत्रों की अधिक कंपनियों का मतलब है कि संभावित इन्वेस्टर का तबका है जो एक विशिष्ट क्षेत्र या एक विशिष्ट कंपनी में निवेश करने में सहज महसूस कर सकता है। उदाहरण के लिए, एक इन्वेस्टर जो एफएंडबी में काम करता है वह एफएंडबी क्षेत्र को बेहतर समझ सकता है और बर्गर किंग की वित्तीय स्थिति को समझने के लिए उसके पास थोड़ा अनुभव होगा - ऐसे इन्वेस्टर ने पिछले साल घोषित बर्गर किंग के आईपीओ में थोड़ी संभावना देखी होगी।
शेयर बाजार में अधिक निवेशकों को लाने का सीधा मतलब ज़्यादा पूँजी से होता है जिससे रोज़गार सृजन होता है आर्थिक विकासहोता है, जिसकी हमने ऊपर चर्चा की।
जब कोई कंपनी आईपीओ के लिए तैयार हो रही होती है तो इसकी स्थिति वैसी होती है जैसी आपकी किसी बड़े इंटरव्यू या बड़े डेट से पहले हो सकती है। जैसे कोई पुरुष या महिला यह तय कर सकते हैं कि वे इंटरव्यूअर या संभावित पार्टनर के सामने अपना सबसे अच्छा रूप पेश करें वैसे ही कंपनियां संभावित इन्वेस्टर के सामने अपना वित्तीय रिकॉर्ड अच्छी तरह पेश करना चाहती हैं। वे एक अच्छा मुनाफा दिखाना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि इन्वेस्टर उनकी भविष्य की योजनाओं और विशेषज्ञता में संभावना देख सकें कि उन्होंने अपने कारोबार को अब तक कैसे मैनेज किया है। वे आईपीओ वाले सबसे अच्छी तरह कारोबार कर रहे होंगे क्योंकि वे जानते हैं कि रेगुलेटर और संभावित इन्वेस्टर दोनों उनकी जाँच-परख करेंगे।
आने वाला आईपीओ कंपनियों को कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोनिस्बिलिटी और नैतिकता को भी उच्च स्तर पर बनाये रखते हुए कारोबार के मौकों को अग्रेसिव तरीके से आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है ताकि लोगों की नज़र में इनकी छवि साफ़-सुथरी हो। यदि किसी सेक्टर की एक कंपनी अग्रेसिव तरीके से आगे बढ़ रही है तो उस सेक्टर में ज़रूर कुछ हलचल पैदा होगी।इससे दूसरी कंपनियों को जागने, रेस में साथ होने, इनोवेट करने और संभवतः आईपीओ लाने पर विचार करने, बाजार में अधिक पूंजी लाने के लिए प्रेरित करती हैं जिससे रोज़गारबढ़ने की संभावना रहती है।
आईपीओ हमेशा सुर्खियां बनते हैं और ज्यादातर लोगों के पास मिनट-दर-मिनट न्यूज़ अपडेट होते हैं सो बहुत सारे संभावित इन्वेस्टर तक इनकी खबर पहुँच जाती है। यदि किसी रीडर को पता भी न हो कि आईपीओ क्या है तब भी जो खबरें आती रहती हैं उससे कुछ जानकारी मिल ही जाती है। अक्सर नौसिखिये या स्केप्टिकल इन्वेस्टर जब अन्य आईपीओ से हुए मुनाफे के बारे में पढ़ते हैं तो उनमें इसके प्रति उत्साह जागता है। कुछ आर्टिकल कंपनी के मुनाफे और नुकसान, बिजनेस ग्रोथ और अन्य वित्तीय आंकड़े पेश करते हैं। रीडर आसानी से इन्वेस्टर में बदल सकता है और इन दिनों जिस तरह ख़बरों का प्रसार होता है उसे देखते हुए इससे एक बड़ा वर्ग प्रभावित हो सकता है। यहां तक कि यदि बाजार के इन्वेस्टर का छोटा सा वर्ग भी वास्तविक इन्वेस्टर का बड़ा तबका बन सकता है।
आईपीओ को दो चीजों के रूप में देखा जाता है:
1) शेयर की तुलना में इन्हें समझना और इन पर नज़र रखना आसान होता है जिनमें पहले से ही उतार चढ़ाव हो रहा होता है।
2) यह कम कीमत पर विकास की संभावना खरीदने जैसा होता है,
इसलिए, आईपीओ ऐसे इन्वेस्टर से नई पूंजी आकर्षित कर सकते हैं जो वैसे हो सकता है कि शेयर बाजार से दूर रहें। दूसरे शब्दों में, वे एक नया वर्ग तैयार करते हैं और ऐसी पूंजी को शेयर बाजार में लाते हैं जो सामान्य हालात में बाज़ार के दायरे से बाहर होते हैं। नई पूंजी का मतलब है कि कंपनियों के लिए विस्तार और रोज़गार पैदा करने के लिए पूंजी में बढ़ोतरी - और इस तरह साइकल जारी रहता है।
यदि आप आईपीओ के बारे में कोई आर्टिकल देखें तो पाएंगे कि इसमें सकारात्मक आंकड़े और आशावादी नज़रिया होता है। कुछ-एक आईपीओ एक साथ आ रहे हों तो सकारात्मक खबरें आने लगती हैं वर्ना सुर्खियाँ अमूमन अर्थव्यवस्था में नरमी की होती हैं। इससे कुल नज़रिये और इन्वेस्टर का खुलेपन पर सकारात्मक असर पड़ता है जो कंज़्यूमर भी होते हैं सो यह अर्थव्यवस्था को भी गति देता है। सकारात्मक और खुले दिमाग वाले लोग अमूमन अधिक इन्वेस्ट और खर्च करते हैं।
यदि आप आईपीओ में इन्वेस्ट करना शुरू करना चाहते हैं या यदि आपको ऐसा लगता है कि आप चाहते हैं कि आप स्टॉक मार्केट इन्वेस्टमेंट की संभावना का पता लगाने के लिए तैयार हैं तो किसी इसके आड़े न आने दें। आज आप अपने स्मार्टफोन के ज़रिये आसानी से चलते-फिरते हुए ट्रेड कर सकते हैं। शेयर बाजार पर थोड़ी मेहनत कर कुछ अतिरिक्त कमाई करने की कोशिश क्यों न करें - खासकर यदि आपने अपनी जोखिम सह पाने की क्षमता का आकलन कर लिया है और आपके पास अतिरिक्त पूंजी है तो? हम आपसे झूठ नहीं बोलेंगे: शेयर बाजार में जोखिम हमेशा रहता है लेकिन आप ऐसे स्टॉक और म्यूचुअल फंडों को चुनकर हमेशा अपने जोखिम को कम कर सकते हैं जिनकी रणनीति आपके जोखिम प्रोफाइल से मेल खाती हो, और वैसे इन्वेस्टमेंट में विविधता का विकल्प तो है ही। एंजेल ब्रोकिंग के साथ अपने इन्वेस्टमेंट का सफ़र शुरू करें और हमेशा याद रखें: हर कोई निवेश कर सकता है, भले ही उसकी उम्र, जेंडर या व्यवसाय कोई भी हो।
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