एलआईसी आईपीओ: संभावित तारीख, प्राइस, डीआरएचपी
विशाल कंपनी एलआईसी आईपीओ का मूल्य लगभग 15 ट्रिलियन रुपये हो सकता है। आप यहाँ एलआईसी की इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग के बारे में सारी जानकारी पा सकते हैं।
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04 जुलाई,2021
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ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार, इन्वेस्ट करने का मतलब है "फिनांशियल स्कीम, शेयर, प्रॉपर्टी, या किसी कमर्शियल वेंचर में मुनाफे की उम्मीद के साथ पैसा लगाना"।
किसी इन्वेस्टमेंट की अवधि के आखिर में कमाई जिंतनी अच्छी हो इन्वेस्टमेंट उतना ही बेहतर माना जाता है। बेशक, सब कुछ निवेशक के हाथ में नहीं है - आप समझदारी से निवेश कर सकते हैं लेकिन कुछ दूसरे फैक्टर बीच में आ सकते हैं और आपकी सोची-समझी योजनाओं पर पानी फेर सकते हैं। इसमें यही जोखिम है: कोई गड़बड़ हो सकती हैं और निवेशक को नुकसान हो सकता है, भले ही उसने सब कुछ ठीक किया हो। ज्यादातर मामलों में, जोखिम पूरी तरह से समाप्त नहीं किया जा सकता - इसे केवल कम किया जा सकता है। और फिर जोखिम-मुनाफे के बीच अपने किस्म का संबंध होता है। ज्यादातर मामलों में, कम जोखिम का मतलब पूंजी वृद्धि की क्षमता कम होगी। ज़्यादा मुनाफा अक्सर ज़्यादा जोखिम के साथ आता है।
तो इन्वेस्टर अपने जोखिम को कैसे ख़त्म करता है और अपने लिए बड़ा मुनाफा तय करता है? खैर, हम आपको पहले ही बता दें कि ऐसा कर पाने का कोई तरीका नहीं है। हालाँकि, जब आप बड़े मुनाफे के साथ आप अपने जोखिम को कम कर सकते हैं। दरअसल, यहीं आता है हमारा पहला उपाय।
याद रखें कि यह पता लगाना कि हाउ टू में मनी इन द स्टॉक मार्केट, यह एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। और यह समझ कि हाउ तो अर्न इन स्टॉक मार्केट, यह रिसर्च और इन्वेस्ट करके सीखने की प्रक्रिया है। अपने थ्योरेटिकल और प्रैक्टिकल दोनों किस्म को ज्ञान में निरंतर इज़ाफा करना ज़रूरी है।
शेयर बाजार में यदि कोई गारंटीशुदा रिटर्न का वादा कर रहा है तो वह झूठ बोल रहा है। शेयर बाजार विभिन्न किस्म की ताकतों से प्रभावित होता है - सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक। क्या कोई गारंटी दे सकता है कि किसी साल इसी दिन मानसून आएगा? नहीं - क्योंकि हम साउथ-वेस्ट मानसूनी हवा को ट्रैक करते हैं और जून से सितंबर तक मानसून आने की उम्मीद करते हैं, तब भी यह पक्का अनुमान लगाने का कोई तरीका नहीं है कि पहली बौछार किस दिन होगी। ठीक ऐसा ही शेयर बाजार के साथ है। कंपनियों को उनकी वित्तीय स्थिति के आधार पर ट्रैक करें। मांग और आपूर्ति का अर्थशास्त्र ज़रूर इस पर असर होगा लेकिन साथ ही कई अन्य फैक्टर का भी असर होता है।
जो लोग आपको रिटर्न की गारंटी देते हैं, वे अक्सर 50-50 का खेल खेलते हैं। जैसे मान लें: लोग भारत-ऑस्ट्रेलिया मैच पर दांव लगा रहे हैं। मिस्टर सस्पियस 50 प्रतिशत लोगों को बताता है कि ऑस्ट्रेलिया भारत-ऑस्ट्रेलिया मैच हार जाएगा और वह बाकी 50 प्रतिशत से कहता है कि भारत जीतेगा। वह उनसे कहता है कि अगर वह गलत है तो वह उनके पैसे वापस कर देगा। उसे पता नहीं है कि कौन जीतेगा, लेकिन यदि भारत हारता है, तो 50 प्रतिशत लोग उसे भुगतान करेंगे। यदि भारत जीतता है, तब भी 50 प्रतिशत लोग उसे भुगतान करेंगे - आपको बात समझ में आई।
अपने ज्ञान और जागरूकता बढ़ाने में समय लगाएं - विभिन्न प्रकार के इन्वेस्टमेंट ( जिन्हें एसेट क्लास कहा जाता है) को समझें, अपने पोर्टफोलियो पर नजर रखें और जानकारी रखें। हर इन्वेस्टमेंट में सावधानी बरतें और इन्वेस्ट करने से पहले कंपनी की मुनाफा कमा कर देने की क्षमता, ट्रैक रिकॉर्ड, कम्पटीशन, सेक्टर विशेष से जुड़े माहौल और नज़रिए का मूल्यांकन करें।
डाइवर्सीफाईड पोर्टफोलियो में कुछ पूंजी इक्विटी में, कुछ म्यूचुअल फंड में, कुछ पूंजी फिक्स्ड इन्कम इन्वेस्टमेंट में, कुछ कमॉडिटी में डाला जाता है और इससे बाद भी यदि इन्वेस्टर के पास ठीक-ठाक पूंजी बची है, तो वह रियल एस्टेट और प्राइवेट इक्विटी पर भी विचार कर सकता है। आइए इसे इस तरह समझते हैं
यह इन्वेस्टर को बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाता है। इसका सबसे अधिक उपयोग म्यूचुअल फंड होता है। जब कोई इन्वेस्टर म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करता है, तो वह म्यूचुअल फंड की यूनिट खरीद रहा होता है। इन इकाइयों की कीमत में रोज़ाना उतार-चढ़ाव होता है और लॉन्ग टर्म में इनमें (आमतौर पर) मज़बूती से बढ़त होती है। इन्वेस्टर आम तौर पर हर संभव कम कीमत पर यूनिट खरीदना और अधिकतम कीमत पर बेचना चाहता है ताकि बेचने/रिडीम करने की कीमत और खरीदने/इन्वेस्टमेंट की कीमत के बीच बड़ा अंतर हो। अंतर जितना व्यापक होगा; कमाई जितनी अधिक होगी।
नतीजतन, कई निवेशक निश्चित अंतराल पर एक निश्चित राशि निवेश करने की कोशिश करते हैं, भले ही बाजार ऊंचा हो या कम। चूंकि राशि निश्चित है, इसलिए बाजार कम होने पर कोई भी स्वचालित रूप से अधिक इकाइयाँ खरीदता है और जब बाज़ार अधिक होता है तो कम इकाइयाँ खरीदता है। लॉन्ग टर्म में, इन इकाइयों को खरीदने की लागत औसत से बाहर हो जाती है।
वैल्यू इन्वेस्टिंग का मतलब है केवल उन स्टॉक को खरीदना जो अपनी वास्तविक कीमत या अपने वास्तविक मूल्य से नीचे कारोबार कर रहे हैं। बिल्कुल उन खरीदारों की तरह जो रेफ्रिजरेटर और टीवी खरीदने के लिए दिवाली की बिक्री का इंतजार करते हैं, वैल्यू इनवेस्टर्स स्टॉक की कीमत (जिस कंपनी के स्टॉक में जबरदस्त मूल्य है) गिरने तक इंतजार करते हैं और उसके बाद ही ऐसी कंपनी में इन्वेस्ट करते हैं। इस कॉन्सेप्ट का फायदा उठाने के लिए इंट्रिन्ज़िक वैल्यू और पीई रेशियो (कीमत के मुकाबले अर्निंग का रेशियो) के कॉन्सेप्ट की स्टडी करने की ज़रुरत है। हालांकि, इस कॉन्सेप्ट का उपयोग वॉरेन बफे और उनके प्रोफेसर बेंजामिन ग्राहम जैसे मशहूर सफल इन्वेस्टर करते हैं। दरअसल ग्राहम ने वैल्यू इन्वेस्टिंग की तकनीक के ज़रिये स्टॉक से पैसे कैसे कमायें विषय पर पूरी किताब लिखी है। मूल रूप से आप एक ऐसे स्टॉक की तलाश में हैं जिसकी कीमत कंपनी की कमाई से कम हो।
यदि आपने रणनीति बनाने के लिए पर्याप्त रिसर्च किया है, तो आप चुनिंदा शेयरों की मदद के लिए एल्गोरिदम-आधारित टेक्नोलॉजी का उपयोग कर सकते हैं। उदाहरण के लिए एंजेल ब्रोकिंग का स्मार्टएपीआई आपको अंग्रेजी में अपनी रणनीति डालने में मदद करता है और फिर आपके लिए एल्गोरिदम तैयार करता है। आप उपयोग करने से पहले एल्गोरिदम को बैकटेस्ट भी कर सकते हैं कि यह आपके लिए उचित है या नहीं।
फ्री-फॉर-यूज़ एंजेल ब्रोकिंग ऐप का उपयोग कर अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाय सकते हैं, रिसर्च कर सकते हैं, कॉन्सेप्ट समझ सकते हैं और कुछ ही घंटों में अपना ट्रेडिंग खाता शुरू कर सकते हैं। आपको विभिन्न शेयरों और म्यूचुअल फंडों पर एक्सपर्ट की सलाह, कंपनी का फिनांशियल और ऐतिहासिक डाटा भी मिल सकता है - सब कुछ एक ही जगह पर और सीधे आपके हाथ में। एंजेल ब्रोकिंग के साथ अपनी इन्वेस्टमेंट यात्रा शुरू करें - हर कोई निवेश कर सकता है, चाहे उम्र, जेंडर या प्रोफेशन कुछ भी हो।
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