टर्मिनल वैल्यू क्या है?
क्या आप जानते हैं कि टर्मिनल वैल्यू क्या है? आइए इसकी परिभाषा, दायरे और इसके रूपों के बारे में जानते हैं ।
28 मई,2021
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कोई किला कितना अभेद्य यह उसके बैटलमेंट, मोट, बार्बीकॉन, टावर, टुरेट और पोर्टकुलिस की मज़बूती से तय होता है। इसलिए, किले का मेटाफर ऐसी कंपनी के लिए एकदम उपयुक्त है जो खुद को प्रतिस्पर्धा से बचाने और बाज़ार में बेहतरीन प्रदर्शन में कामयाब हो। मोट शब्द का इस्तेमाल खास तौर पर किसी कंपनी के इंडस्ट्री की अन्य कंपनियों के मुकाबले प्रतिस्पर्धा में आगे रहने के मामले में प्रतीक के रूप में किया जाता है। प्रतिस्पर्धा में आगे रहने से कंपनी को लॉन्ग-टर्म मुनाफा बनाए रखने और बाजार में अपनी हिस्सेदारी बनाए रखने में मदद मिलती है।
प्रतिस्पर्धा में आगे रहने से कंपनी को इन चीज़ों या सेवाओं के निर्माण करने में मदद मिलती है जो इंडस्ट्री की दूसरी कंपनियां भी बनाती हैं लेकिन वह अन्य कंपनियों के मुकाबले बेहतर मुनाफा दर्ज़ करती है। इस तरह का लाभ प्रोडक्शन की लागत कम रहने, इकॉनमीज़ ऑफ़ स्केल या अन्य फैक्टर से संभव है। जिन इन्वेस्टर को इन फैक्टर की गहरी समझ है, वे उन कंपनियों में पहचान कर इन्वेस्ट कर सकते हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि इनमें "वाइड मोट" है और ये शेयरहोल्डर के लिए लॉन्ग टर्म वैल्यू का निर्माण करते हैं। आम बोल-चाल की भाषा में, ऐसी कंपनियों के शेयरों को बस "मोट स्टॉक" कहते हैं।
लेकिन क्या लॉन्ग टर्म में इन मोट टूट सकते हैं? हाँ। बहुत प्रतिस्पर्धी बाजार ऐसी स्थिति पैदा करेगा जिसमें दूसरी कंपनियां ऐसे तरीकों की नकल करना शुरू कर देंगी जो अब तक किसी कंपनी को आगे रहेने में मदद कर रही थीं। कंपनी अधिक मुनाफा कमाती रहेगी और प्रतिस्पर्धियों को इन मॉडलों की नकल करने का मिलता रहेगा या खुद अपना मोट बना लेंगे जिससे बेहतर परिचालन और ज़्यादा मुनाफे में मदद मिलेगी।
मोट स्टॉक की अवधारणा को मशहूर इन्वेस्टर वॉरेन बफे ने लोकप्रिय बनाया। बफ़े ने 1995 कहा था "सबसे महत्वपूर्ण बात है ऐसी कंपनी की तलाश करना जिसका मोट मज़बूत हो और लम्बे समय तक चलने वाला हो ... जो एक बेहतरीन इकॉनोमिक किले की सुरक्षा कर रहा हो जिसका मालिक ईमानदार हो।"
बफे के मुताबिक, कंपनी अच्छा मोट बना लेती है यदि यह कम लागत पर प्रोडक्शन करती, टेक्नोलॉजी का लाभ उठाती हो, या फिर कोई भी ऐसी वजह हो जिससे उसे प्रतिस्पर्धा में लाभ मिलता हो। तो, हाँ, इन्वेस्टर मोट स्टॉक की पहचान कर सकते हैं।
बफे की राय में ऐसी कंपनी की पहचान करने के बाद, अगला कदम होगा यह समझना कि यह विशेष लाभ क्यों बरकरार रहना चाहिए। बफे ने कहा, "ये मोट किले के स्वामी की प्रतिभा पर कितना निर्भर करते हैं?" यह प्रक्रिया का अंतिम चरण है - मेनेजर की क्षमता को समझना। इन्वेस्टर जब इनसे संतुष्ट हो जाए तो उन्हें कम कीमत पर शेयर खरीदने की कोशिश करनी चाहिए।
हालांकि बफेट ने इस तीन चरण की प्रक्रिया की बात 1995 में की थी, लेकिन यह कमोबेश सालों से वैसी ही बनी हुई है। कुछ कंपनियाँ वाइड मोट के लिए जानी जाती हैं जैसे अमेरिका की आमेज़न और वॉलमार्ट और भारत की ICICI लोम्बार्ड, टाइटन और बायोकॉन। ऐसी दूसरी कंपनियों की पहचान करने के लिए कंपनी और बाजार की गहरी समझ की ज़रुरत होती है।
लागत: अच्छा कारोबारी जानता है कि लागत के साथ गुणवत्ता को कैसे संतुलित किया जाए। यदि कोई उत्पादक कम लागत पर अच्छी गुणवत्ता उत्पाद बना सकता है, तो वह अपने प्रस्पर्धियों के मुकाबले बेहतर प्रॉफिट मार्जिन पर हैं। यह फैक्टर नई कंपनियों को इंडस्ट्री में शामिल होने से रोकता है और उत्पादक को बाज़ार में बड़ी हिस्सेदारी का लाभ उठाने का मौक़ा देता है।
आकार: बड़ी कंपनी अपने विशाल आकार की वजह से ही बाजार पर हावी हो सकती है। बड़े उत्पादकों को एक फायदा होता है वह इकॉनमी ऑफ़ स्केल प्राप्त कर चुका होता है, जिससे कम कीमत पर चीज़ो और सेवाओं के उत्पादन में मदद मिलती है क्योंकि विज्ञापन, फाइनेंसिंग और अन्य चीज़ों की लागत कम होती है। इससे कंपनियों को बाजार में बड़े हिस्से को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इसके अलावा, इतनी बड़ी कंपनी के सप्लायर और कस्टमर प्रतिद्वंद्वी के साथ जुड़ना चाहते हैं तो वह इसकी बड़ी कीमत तय कर सकती है।
ब्रांड वैल्यू और अन्य इन्टैंजिबल चीज़ें: कुछ ब्रांड ग्राहकों के लिए स्टेटस सिंबल बन जाते हैं, या बेहतर गुणवत्ता के वादे के साथ आते हैं। ऐसी कंपनी जिसने अपने प्रतिस्पर्धियों से बेहतर ब्रांड नाम तैयार करने के कोशिश की हो। ब्रांड नाम के अलावा, अन्य इन्टैंजिबल चीज़ें होती, मसलन सरकारी लाइसेंस और पेटेंट किसी कंपनी के शेयर को मोट शेयर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
सॉफ्ट मोट: अच्छे मैनेजमेंट और बेहतरीन वर्क कल्चर प्रतिस्पर्धी कंपनी के मुकाबले बढ़त हासिल करने में मदद कर सकते हैं। इन्हें पहचानना या यहां तक कि इसका ब्योरा देना मुश्किल हो सकता है, लेकिन लॉन्ग-टर्म मुनाफेदारी में मदद कर सकते हैं।
खराब आर्थिक दौरा में परफॉर्मेंस: यदि कोई कंपनी उस समय भी अच्छा परफॉर्म करती है जब अर्थव्यवस्था जूझ रही हो, तो इसका मतलब है कि कारोबार मजबूत है। फर्म का लचीलापन ऐसी आर्थिक नरमी के समय उसे निखारता है।
हाथ में कैश होना: किसी कंपनी के पास कैश, जिसे वह डिविडेंड भुगतान या रीइन्वेस्ट करने के बजाय रख सकता है और यह उसकीआर्थिक स्थिति के लिए अच्छा संकेत हो सकता है। इन्वेस्टर को डिविडेंड का भुगतान अच्छा लगता है लेकिन हाथ में कैश होने से कंपनी को किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने में मदद मिलती है।
इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी: कंपनी के पास इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी का पेटेंट हो तो कंपनी को ऐसा प्रॉडक्ट बनाने में मदद मिलती है जैसा किसी के पास न हो। प्रतिस्पर्धी उस दायरे में आ ही नहीं पाएंगे क्योंकि कस्टमर के पास इस पेटेंट वाले प्रॉडक्ट का उपयोग करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। ऐसे अनोखे प्रॉडक्ट प्रतिस्पर्धा को भी ख़त्म कर देते हैं उनका अनोखापन ही कारोबार के लिए मोट बन जाता है।
कंपनी जब लंबे समय से काम कर रही हो, मोट तभी दिखने शुरू होते हैं। जो फैक्टर उन्हें अलग वनाने हैं वे हो सकता है शुरुआत में इन्वेस्टर को या मैनेजमेंट को भी न दिखें। ये पैटर्न तभी उभर कर सामने आते हैं जब कंपनी के रिकॉर्ड का आकलन किया जाता है। इन्वेस्टर अपना पैसा वृद्धि दर्ज़ करने वाली ऐसी कंपनियों में लगाने की हड़बड़ी में रहता है जिन्होंने सस्टेनेबल, लॉन्ग-टर्म मोट तैयार किया हो।
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