गौतम अडानी की सफलता की कहानी
जब हम एक सफल व्यक्तित्व की जीवन कहानी पढ़ते हैं, तो यह हमें इस बात की अत्यधिक जानकारी देता है कि उन्होंने अपने जीवन की चुनौतियों का कैसे प्रबंधन किया और उनक…
11 अगस्त,2022
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लक्ष्मी नारायण मित्तल का जन्म 15 जुलाई 1950 को राजस्थान भारत के सादुलपुर जिले में हुआ था। उन्होंने शुरुआत में दुनिया के सबसे बड़े स्टील और खनन निर्माता - आर्सेलर मित्तल के सीईओ के रूप में कार्य किया। 2021 तक, वह इसके अध्यक्ष के रूप में कार्य करते रहे। 2021 में ही उन्हें भारत के छठे सबसे धनी व्यक्ति के रूप में पहचाना गया। 2022 में उनकी कुल संपत्ति 18.5 बिलियन अमरीकी डॉलर है|
लक्ष्मी के पिता कलकत्ता में एक स्टील मिल चलाते थे, इसलिए उनका परिवार 1960 के दशक में वहां चला गया। सेंट जेवियर्स कॉलेज में विज्ञान की शिक्षा लेने के दौरान लक्ष्मी ने यहां काम किया। उन्होंने 1970 में ग्रेजुएशन की और मिल में एक ट्रेनी के रूप में काम करना शुरू किया।
छह साल बाद उन्होंने इंडोनेशिया में अपनी खुद की एक स्टील मिल खोली। यहां उन्होंने अपने जीवन के दस साल समर्पित किए और मिल को चलाने का सबसे कुशल तरीका समझा। 1989 तक, उन्होंने त्रिनिदाद और टोबैगो के राज्य के स्वामित्व वाले स्टीलवर्क्स का स्वामित्व प्राप्त कर लिया था, जिसे बड़ा नुकसान हो रहा था। मित्तल के नेतृत्व में, इस फैसिलिटी को लाभ होने लगा था और इसने अपना उत्पादन दोगुना कर दिया था। मित्तल ने इसी तरह राज्य द्वारा संचालित कई संगठनों को खरीदा जो टूटने की कगार पर खड़ी थी और व्यवसाय को पुनर्जीवित करने के लिए विशेष मैनेजमेंट टीम्स भेजी। यह मॉडल आगे चलकर स्टील इंडस्ट्री का बिज़नेस मॉडल बन गया जिसे पूरे विश्व में अपनाया गया।
मित्तल ने कंसोलिडेशन पर ध्यान दिया, जिससे उन्हें अलग-अलग भागों में बंटते बाकी उद्योगों से एक अलग पहचान मिली। हालांकि स्टील सबसे ज़्यादा इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं में से एक है, लेकिन छोटे पैमाने पर काम करने वाली कई स्टील कंपनियां बड़े क्लाइंट्स के साथ काम करने में विफल रहीं, जिनमें से ज़्यादातर उपकरण निर्माण और ऑटोमोटिव कंपनियां शामिल थीं।
कार बनाने में इस्तेमाल किये जाने वाले फ्लैट-रोल्ड स्टील के अमेरिकी बाज़ार में लक्ष्मी की कंपनी की पकड़ लगभग 40 प्रतिशत थी। इसलिए वे बेहतर कीमतें हासिल करने में सफल रहे|
2004 में, लक्ष्मी ने अपनी कंपनियों एलएनएम होल्डिंग्स और इस्पात इंटरनेशनल को मर्ज करने का फैसला किया और अपने रोस्टर में इंटरनेशनल स्टील ग्रुप को भी शामिल कर लिया। उनकी नई कंपनी का नाम मित्तल स्टील कंपनी एनवी था और इसे अब दुनिया के सबसे बड़े स्टील निर्माता के रूप में जाना जाता था।
2006 में, एक और मर्जर हुआ जिसमें मित्तल स्टील आर्सेलर के साथ जुड़ गया और आर्सेलर मित्तल का गठन हुआ। पद छोड़ने से पहले मित्तल ने 2021 तक इस कंपनी के सीईओ के रूप में कार्य किया।
यह कंपनी विभिन्न रूपों में स्टील का उत्पादन करती है जिसका इस्तेमाल मोबिलिटी, औद्योगिक, इंफ्रास्ट्रक्चर, निर्माण और ऊर्जा के क्षेत्रों में किया जाता है। कंपनी के रिसर्च सेंटर दुनिया भर में फैले हैं, जहां नए स्टील प्रोडक्ट्स और उनकी प्रक्रियाओं का परीक्षण किया जाता है और परीक्षण और सुधार के ज़रिये समाधान खोजे जाते हैं। आर्सेलर मित्तल जानता है कि नेट-ज़ीरो इमिशन में स्टील का योगदान एक प्रमुख भूमिका निभा सकता है। 2021 में, कंपनी की नेट इनकम लगभग INR 15 बिलियन थी। कंपनी को इस साल अपने स्टील शिपमेंट में 3 फीसदी बढ़ोतरी की उम्मीद है।
वर्तमान में, आर्सेलर मित्तल के स्टील निर्माण का कार्य 17 देशों में किया जाता है और इसकी औद्योगिक उपस्थिति 59 देशों में है। इसका संचालन उत्तर और दक्षिण अमेरिका, सीआईएस, यूरोप और अफ्रीका में किया जाता है।
स्टील उद्योग के लीडर के रूप में, लक्ष्मी को 1996 में न्यू स्टील द्वारा "स्टीलमेकर ऑफ़ द ईयर" का सम्मान दिया गया। 2004 में उन्हें फॉर्च्यून पत्रिका ने "यूरोपियन बिजनेसमैन ऑफ द ईयर" का ख़िताब दिया। 2006 में फाइनेंशियल टाइम्स ने उन्हें "पर्सन ऑफ द ईयर" पुरस्कार दिया। 2010 में, लक्ष्मी मित्तल को ग्लोबल स्टील इंडस्ट्री के सस्टेनेबल विकास के प्रयासों के लिए वर्ल्ड स्टील एसोसिएशन के पदक से सम्मानित किया गया। 2013 में, पोलैंड के एजीएच यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने स्टील टाइकून को डॉक्टर ऑनरिस काउसा की उपाधि से सम्मानित किया।
लक्ष्मी मित्तल लोकोपकार में बहुत विश्वास रखते हैं और उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और यूनिसेफ को कई बार दान दिया है। उनके परिवार ने यूनाइटेड किंगडम के ग्रेट ऑरमंड स्ट्रीट अस्पताल को भी दान दिया है। मित्तल की उदारता और उनका महत्वाकांक्षी व्यक्तित्व सचमुच प्रशंसनीय है। उनके और उनकी तरह अन्य प्रेरणादायक व्यक्तियों के बारे में जानने के लिए एंजेल वन की वेबसाइट पर जाएं|
डिस्क्लेमर: इस ब्लॉग का उद्देश्य है, महज़ जानकारी प्रदान करना न कि इन्वेस्टमेंट के बारे में कोई सलाह/सुझाव प्रदान करना और न ही किसी स्टॉक को खरीदने -बेचने की सिफारिश करना।
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