भारत में शीर्ष 9 आगामी लाभांश भुगतान स्टॉक 2022
इस पोस्ट में अपकमिंग डिविडेंड शेयरों को अन्य महत्वपूर्ण डिविडेंड-संबंधित कॉन्सेप्ट्स के साथ समझाया जाएगा।
25 फरवरी,2022
6
885
भारत में अब तक का सबसे बड़ा इनिशियल पब्लिक ऑफर आ रहा है, लेकिन इन्फ्लेशन से जुड़ी आशंकाओं और मुश्किल वैश्विक बाजार से इन्वेस्टर्स के लिए फैसला करना मुश्किल हो गया है। सरकार बजट घाटे को कम करने के लिए लगभग 7.96 अरब डॉलर जुटाने के लिए लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया में पाँच प्रतिशत ब्याज बेचने का प्रस्ताव कर रही है। पिछली योजना, जिसका लक्ष्य एक समय 10 अरब डॉलर से अधिक था, से कमतर स्तर पर भी इस ऑफर को बेचना मुश्किल हो सकता है।
अगले महीने होने वाली लिस्टिंग देश के कैपिटल मार्केट के लिए टेस्ट की तरह होगी जबकि वैश्विक स्तर पर शेयर 5 ट्रिलियन डॉलर तक लुढ़के हैं। घरेलू स्तर पर, स्थिति ऐसी ही उथल-पुथल भरी रही है: विदेशी फंडर्स भारतीय बाजारों से चार महीने से अधिक समय से पैसा खींच रहे हैं, और स्थानीय इन्वेस्टर अभी भी पिछले साल के एक हाई-प्रोफाइल आईपीओ पर घाटे से जूझ रहे हैं।
एलआईसी की लिस्टिंग से लोगों में काफी उत्साह है। कुछ विश्लेषकों ने इस आईपीओ को भारत के लिए एरामको जैसी स्थिति करार दी और 2019 में आये गल्फ ऑयल की दिग्गज कंपनी के रिकॉर्ड तोड़ 29.4 बिलियन डॉलर के आईपीओ से इसकी तुलना की। हालांकि, 65 साल पुरानी इस बीमा कंपनी की बिक्री में शुरू से ही अड़चन रही है। इस कंपनी को अक्सर बैंकों और पब्लिक एसेट को बचाने के लिए कहा जाता रहा है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020 में यह प्रस्ताव पेश किया था, तब से आईपीओ में लगभग एक साल की देरी हो चुकी है। भारत को एंकर इन्वेस्टर्स की भी प्रतिबद्धताओं चाहिए होगी, जिनका एरामको के आईपीओ की तरह ही कुल फंड में लगभग एक तिहाई योगदान होगा।
अनुमानित मूल्य के आधार पर लाखों नियमित इन्वेस्टर्स को अतिरिक्त 35 प्रतिशत या 210 बिलियन रुपये की ऑफरिंग की जाएगी। पिछले साल डिजिटल पेमेंट सर्विस पेटीएम की सफलता को देखते हुए यह कठिन लग रहा है। पेटीएम ने ऑफर को इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स से 2.8 गुना अधिक सब्सक्रिप्शन मिला था जबकि रिटेल बुक 1.7 गुना अधिक सब्सक्राइब हुआ था। एलआईसी का उससे रिटेल बुक 12 गुना अधिक होगा।
विशेषज्ञों के मुताबिक, आईपीओ के लिए भारत का नया लक्ष्य पिछले अनुमानों से कम है। माना जाता है कि सरकार ने पिछले महीने लिस्टिंग से पाँच अरब डॉलर से 13 अरब डॉलर जुटाने का लक्ष्य रखा है। अधिकारियों ने अपनी आकांक्षा कम की क्योंकि उत्साह फीका पड़ गया और वैश्विक बाजार से प्रभावित होने लगे।
विशेषज्ञों ने कहा कि एलआईसी की वित्तीय शक्ति के लिए ज़रूरी होगा बहुत चालाकी से बड़े विदेशी इन्वेस्टर्स को राज़ी किया जाए। एलआईसी आम तौर पर रहस्य है: इसकी बैलेंस शीट साल में केवल एक बार जारी की जाती है। एलआईसी का 8 अरब डॉलर का आईपीओ पिछले साल आईपीओ से जुटाई गई कुल रकम के आधे से ज्यादा है। इतने बड़े उतार-चढ़ाव के साथ, 2022 में जिन 40 से अधिक कंपनियों ने स्टॉक ऑफरिंग की है उनके लिए प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो सकता है।
सामान्य तौर पर, 2021 में शेयर बिक्री से रिकॉर्ड 18 अरब डॉलर का सृजन करने के बावजूद, भारत के शेयर बाजारों में हाल के हफ्तों में तेजी से गिरावट आई है। भारत ने 31 मार्च को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष के लिए अपने एसेट-बिक्री लक्ष्य को घटाकर 780 अरब रुपये (10.4 अरब डॉलर) कर दिया है, जो इसके 1.75 लाख करोड़ रुपये के पिछले लक्ष्य का आधा है।
बीएसई सेंसेक्स इंडेक्स पर करीब एक तिहाई नई लिस्टिंग अपने ऑफर प्राइस से नीचे कारोबार कर रही हैं। भारत के अब तक के सबसे बड़े ऑफर पेटीएम् ने नवम्बर में 2.5 अरब डॉलर जुटाए थे लेकिन आईपीओ खुलने के बाद से करीब 59 प्रतिशत गिर चुका है जिससे बहुत से इन्वेस्टर्स को नुकसान हुआ है।
बाजार की मुश्किल परिस्थिति के दौर से निकलने के लिए, एलआईसी अपने 13 लाख एजेंट और 25 करोड़ से अधिक पॉलिसीधारकों पर भरोसा कर रही है। पिछले साल, भारत के रिटेल इन्वेस्टर्स ने रिकॉर्ड संख्या में नए डीमैट खाते तैयार किये, जिससे देश में इक्विटी इन्वेस्टर्स की कुल संख्या 8.1 करोड़ हो गई, जो आईपीओ के सफल होने के लिए पर्याप्त संख्या है। मजबूत लिस्टिंग भारत को ऐसे समय में बढ़ावा दे सकती है जब देश अभी भी ऑमिक्रोन बढ़ने और लॉकडाउन से उबर रहा है।
एलआईसी में अधिकतम रिटेल भागीदारी सरकार के लिए सफलता का एक महत्वपूर्ण पैमाना है क्योंकि इस महीने सरकार का ध्यान विभिन्न राज्यों में हो रहे चुनावों पर है। सरकार ने आम इन्वेस्टर्स को आवंटन के लिए 0.35 प्रतिशत ब्रोकरेज शुल्क तय किया है। एलआईसी पॉलिसीधारकों के लिए 10 प्रतिशत तक शेयर अलग रखे गए हैं और उन्हें डिस्काउंट पर बेचा जा सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, आईपीओ अंततः भारतीय बाजारों में अधिक जिम्मेदारी और पारदर्शिता ला सकता है। चीन की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी चाइना लाइफ को 2004 में लिस्ट किया गया था और इसके शेयरों में बाकी उद्योग के साथ तेज़ी आई थी। और, अगर चीन में इन्वेस्टमेंट की संभावनाएं कुछ समय के लिए कम हो जाती हैं, तो आईपीओ विशाल वैश्विक इन्वेस्टर्स को भारत में अपना कैपिटल इन्वेस्ट करने के लिए आदर्श अवसर प्रदान कर सकता है। भारत ऐसा देश है जो कई साल से अन्य प्रमुख देशों से पीछे है।
डिस्क्लेमर: इस ब्लॉग का उद्देश्य है सिर्फ जानकारी देना न कि कोई सलाह/इन्वेस्टमेंट के बारे में सुझाव देना या किसी स्टॉक की खरीद-बिक्री की सिफारिश करना।
आप इस अध्याय का मूल्यांकन कैसे करेंगे?
संबंधित ब्लॉग
ज्ञान की शक्ति का क्रिया में अनुवाद करो। मुफ़्त खोलें* डीमैट खाता
#स्मार्टसौदा न्यूज़लेटर की सदस्यता लें