मार्जिन ट्रेड फंडिंग (एमटीएफ)

13 सितम्बर,2021

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जो शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करना चाहते हैं उनके पास कई तरह के फिनांशियल टूल का फायदा उठाने का मौका होता है जिनसे वे संभावित तरीके से पैसे बना सकते हैं।

परिचय

इनमें से, मार्जिन ट्रेडिंग ऐसा ऑप्शन है जिसका उपयोग इन्वेस्टर  करना चाह सकते हैं। मार्जिन ट्रेडिंग फंड से जुड़ी बातें समझने के लिए आगे पढ़ें।

मार्जिन क्या है?

मार्जिन ट्रेडिंग फंड (या एमटीएफ) क्या है, यह जानने के लिए,सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि मार्जिन क्या है।

मार्जिन का मतलब है वह राशि जो इन्वेस्टर को अपने ब्रोकर या किसी एक्सचेंज में कोलैटरल के तौर पर जमा करनी होती है। यह कोलैटरल इन्वेस्टर को ब्रोकर या एक्सचेंज से जुड़े क्रेडिट जोखिम को कवर करने में मदद करता है। इन्वेस्टर यदि ब्रोकर से पैसे उधार लेकर फिनांशियल इंस्ट्रूमेंट खरीदते हैं, शॉर्ट सेल करने के लिए उधार लेते हैं, या इन्वेस्टर डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट में उतरना चाहता है तो क्रेडिट जोखिम पैदा हो सकता है।

मार्जिन पर खरीदारी तब होती है जब इन्वेस्टर ब्रोकर के ज़रिये अपनी शेष राशि पर उधार लिए गए पैसे की मदद से कुछ खरीदता है। इसलिए मार्जिन पर ख़रीदना ब्रोकर को एसेट या सिक्योरिटी के लिए दिया गया शुरूआती पेमेंट माना जा सकता है। जो कोलैटरल के रूप में काम करता है वह मार्जिनल सिक्योरिटीज़ हैं और यह इन्वेस्टर के ब्रोकरेज खाते में निहित है।

मार्जिन ट्रेड फंडिंग क्या है?

सीधे शब्दों में कहें तो मार्जिन ट्रेडिंग से आप ऐसे शेयर खरीद सकते हैं जिन्हें आम तौर पर आपके लिए खरीदना संभव नहीं है।

इस तरह की खरीद की अनुमति इसलिए है कि क्योंकि आपको शेयरों की पूरी कीमत के मुकाबले मामूली राशि का पेमेंट करना होता है। 

यह पेमेंट कैश या दूसरे शेयरों के ज़रिये किया जाता है जो सिक्योरिटी के रूप में काम करता है।

इसलिए मार्जिन ट्रेड फंडिंग का मतलब है आप अपने ही पैसे के एक हिस्से से शेयर खरीदते हैं और बाकी पैसा आपका ब्रोकर देता है। 

इन्वेस्टर के तौर पर, आप पोजीशन बेचते समय हिसाब-किताब कर सकते हैं।

यदि आपको मार्जिन से अधिक फायदा होता है तो ऐसी पोजीशन में आपको फायदा होता है। यदि ऐसा नहीं होता है, तो आपको नुकसान होता है।

मार्जिन फंडिंग की विशेषताएं

मार्जिन फंडिंग की कई तरह की विशेषताएं हैं जिनका ज़िक्र नीचे किया गया है। 

  • इन्वेस्टर्स के पास ऐसी सिक्योरिटी पोजीशन का फायदा उठाने का मौका होता है जो डेरिवेटिव के दायरे से बाहर होते हैं। 
  • सेबी के नियमों के अनुसार, केवल ऑथराइज्ड ब्रोकर्स के पास ही मार्जिन ट्रेड अकाउंट प्रदान करने का अधिकार है।
  • सेबी अन्य कई स्टॉक एक्सचेंज के साथ उन सिक्योरिटीज़ को परिभाषित करती है जिनकी मार्जिन ट्रेडिंग हो सकती है।
  • इन्वेस्टर्स को नकद या स्टॉक्स के कोलैटरल के ज़रिये ऐसी पोजीशन तैयार करने की आज़ादी है जो मार्जिन के खिलाफ जाने जा सकती है।
  • मार्जिन से तैयार इन पोजीशन को अधिकतम एन + टी दिनों तक बढ़ाया जा सकता है। एन का यहाँ मतलब है दिनों की संख्किया तब तक इस पोजीशन को बढ़ाया जा सकता है। अलग-अलग ब्रोकर अलग-अलग समय सीमा तय कर सकते हैं। टी का मतलब है ट्रेडिंग डे।
  • वे इन्वेस्टर जो मार्जिन ट्रेडिंग करना चाहते हैं, उन्हें अपने ब्रोकर्स के साथ एक एमटीएफ खाता बनाना चाहिए। इन्वेस्टर्स को तय करना चाहिए कि वे इससे जुड़े नियम और शर्त स्वीकार करते हैं और इसमें शामिल फायदे और जोखिम से अवगत हैं।

मार्जिन ट्रेडिंग करने के फायदे 

मार्जिन ट्रेडिंग कई वजह से फायदेमंद है, जिनमें से कुछ के बारे में नीचे चर्चा की गई है। 

  • मार्जिन ट्रेडिंग उन इन्वेस्टर्स के लिए आइडियल ऑप्शन है जो कम समय में कीमतों में उतार-चढ़ाव से मुनाफा कमाना चाहते हैं, लेकिन उनके पास पर्याप्त पैसा नहीं है।
  • इन्वेस्टर के तौर पर, आप अपने पोर्टफोलियो या डीमैट खाते में मौजूद स्टॉक्स का उपयोग सिक्योरिटी या कोलैटरल के रूप में कर सकते हैं।
  • यदि आप मार्जिन ट्रेडिंग फंड का उपयोग कर रहे हैं, तो आप अपनी इन्वेस्टमेंट की गई पूंजी पर रिटर्न बढ़ा सकते हैं।
  • इन्वेस्टर के रूप में मार्जिन ट्रेडिंग फंड का इस्तेमाल कर आप अपनी पर्चेज़िंग पॉवर बढ़ा सकते हैं।
  • सेबी और स्टॉक एक्सचेंज मार्जिन ट्रेड फंडिंग पर लगातार नजर रखते हैं।

मार्जिन ट्रेडिंग से जुड़े जोखिम

सभी इन्वेस्टर्स को मार्जिन ट्रेडिंग से जुड़े संभावित जोखिम के बारे में पता होना चाहिए।

भारी-भरकम नुकसान - ज़ोरदार मुनाफे की तरह ही भारी-भरकम नुकसान की भी आशंका होती है। इसका मतलब यह है कि आपने जितना इन्वेस्ट किया है, उससे अधिक खोने की आशंका होती है। आप सोच सकते हैं कि ब्रोकर्स से निपटना आसान है, लेकिन वे बैंकों की तरह की आपको अपनी गिरफ्त में रखते हैं।

मिनिमम बैलेंस - मार्जिन ट्रेडिंग अकाउंट रखने के लिए हर समय यह बनाए रखना आवश्यक है। यदि आपका मार्जिन इस स्तर से कम हो जाता है तो आपका ब्रोकर आपको न्यूनतम बैलेंस बनाए रखने के लिए कहेगा। नहीं तो आपको इस मिनिमम बैलेंस को बनाए रखने के लिए कुछ या सारे एसेट बेचने पड़ सकते हैं।

लिक्विडेशन - यदि आप इन्वेस्टर के रूप में अपने मार्जिन ट्रेड अग्रीमेंट का पालन नहीं कर पाते हैं, तो आपके ब्रोकर को आपके खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है। इसका मतलब यह है कि यदि आप मार्जिन कॉल पूरा नहीं कर सकते तो आपका ब्रोकर आपके एसेट बेच कर अपना पैसा वसूल कर सकता है।

निष्कर्ष 

शेयर बाजारों में सावधानी से कारोबार करना ज़रूरी है। इसका मतलब है कि आपको समझदारी से इन्वेस्ट करना चाहिए और यदि आप मार्जिन ट्रेडिंग करने का फैसला करते हैं तो हमेशा अपने लिए तय सीमा से कम उधार लेने करने की कोशिश करें।इसके अलावा, कम समय के लिए उधार लेने की कोशिश करें ताकि हाई इंटरेस्ट से बच सकें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न 

प्रश्न1. एमटीएफ का फुल फॉर्म क्या है?
उत्तर1. एमटीएफ का मतलब है मार्जिन ट्रेड फंडिंग।

प्रश्न 2. क्या मार्जिन ट्रेडिंग फंडिंग की पेशकश करने वाले ब्रोकर्स पर नज़र रखी जाती है ताकि हमेशा पारदर्शिता बनी रहे?
उत्तर 2. हां, भारतीय सिक्योरिटी और विनिमय बोर्ड (या सेबी) उपयुक्त स्टॉक एक्सचेंजों के साथ मिलकर ऐसी गतिविधियों को रेगुलेट और मॉनिटर करता है।

प्रश्न3. क्या आप एमटीएफ में भाग लेकर अपनी पूंजी बढ़ा सकते हैं?
उत्तर3. हां, आप एमटीएफ के जरिए इन्वेस्ट की गई पूंजी पर रिटर्न की दर बढ़ा सकते हैं। यह आपकी पर्चेज़िंग पॉवर भी बढ़ाता है।

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