लेंसकार्ट स्टार्टअप की स्टोरी
इस आर्टिकल में लेंसकार्ट के शुरुआती दौर की बात की गई है और यह भी बताया गया है कि इसने कैसे लोकप्रियता हासिल की और अपेक्षाकृत कम समय में कैसे ग्रोथ दर्ज़ की।
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29 दिसम्बर,2021
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दस साल के कम समय में स्टार्टअप से आईपीओ और इसके 81 गुना से अधिक सब्सक्राइब किये जाने का सफ़र कैसे तय होता है? आज के ब्लॉग पोस्ट में हम यही समझने की कोशिश करने वाले हैं। हम नायका पर बात कर रहे हैं जो भारत का सबसे बड़ा फैशन और लाइफस्टाइल पोर्टल है - यह 2012 में स्थापित हुआ था और 28 अक्टूबर से 2 नवंबर, 2021 के बीच इसका आईपीओ आया।
कंपनी का आईपीओ ऐसा रहा जिसे अखबार "ब्लॉकबस्टर आईपीओ" कहते हैं, बिल्कुल चिरपरिचित कंपनी ज़ोमैटो, इक्सिगो और देवयानी इंटरनेशनल (जो पिज्जा हट और कोस्टा कॉफी की फ्रेंचाइजी हैं) के आईपीओ की तरह जो ओवरसब्सक्राइब हुए थे।
आज की पोस्ट में हम नायका की अब तक की यात्रा, कंपनी से संबंधित प्रमुख आंकड़े और प्रॉफिट में गिरावट की सुर्खियाँ बनने की वजह जैसे कुछ प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा करेंगे।
नायका का ऑपरेशन एफएसएन ई-वेंचर्स करती है और इसका स्वामित्व फाल्गुनी नय्यर के पास है, जो इन्वेस्टमेंट-निवेश बैंकर रही हैं और इन्होंने कंपनी की शुरुआत 2012 में की थी। दरअसल ठीक-ठीक कहा जाए जो नय्यर की अपने पति संजय नय्यर और उनके दो बच्चों अद्वैत एवं अंचित नय्यर के साथ कंपनी की 54 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
नायका महिलाओं और पुरुषों दोनों के बीच समान रूप से लोकप्रिय ब्रांड है क्योंकि यह कंपनी न केवल कॉस्मेटिक्स बेचती है बल्कि अन्य चीजों के साथ-साथ बाथ प्रॉडक्ट भी बेचती है। कंपनी के पास ऑनलाइन और ऑफलाइन खुदरा विकल्प हैं और इसका मुख्यालय मुंबई में है।
नायका का रेवेन्यू के आंकड़े आम तौर पर ग्रॉस मर्केन्डाइज़ वैल्यू या जीएमवी के तौर पर प्रस्तुत किए जाते हैं, जो टोटल सेल का प्रतिनिधित्व करता है। इसे फीस और चार्जेज़ घटाए बगैर कैलकुलेट करते हैं।
नायका न केवल अपने खरीदारों को बेहतरीन गुणवत्ता और विभिन्न किस्म के विकल्प प्रदान करने के अलावा संभावित ग्राहकों को ज्ञान और जानकारी भी प्रदान करती है। जैसे आपको एंजेल वन ब्लॉग पर इस सूचनाप्रद पोस्ट को पढ़ते हुए और इन्वेस्टमेंट के बारे में अधिक आत्मविश्वास महसूस होता होगा, वैसे ही नायका के ग्राहकों को कंपनी का ब्लॉग पढ़कर कॉस्मेटिक और वेलनेस प्रॉडक्ट खरीदने के बारे में बेहतर जानकारी से लैस होने का अहसास होता होगा। इससे निश्चित रूप से, बाजार में डीमांड बढ़ाने में मदद मिलती है - और नायका प्लेटफॉर्म के बारे में जागरूकता पैदा होती है। दूसरी ओर नायका ने सुनिश्चित किया कि हर तरह के प्रॉडक्ट की पर्याप्त आपूर्ति के ज़रिये डीमांड पूरी की जाए और अपने प्लेटफॉर्म पर बेचे जाने वाले उत्पादों की प्रामाणिकता पर बहुत ध्यान दिया गया।
फाल्गुनी नैय्यर ने अखबारों को बताया कि आईपीओ का लक्ष्य था, "एक अधिक टिकाऊ संगठन का निर्माण और मौजूदा शेयरधारकों को बाहर निकलने का अवसर प्रदान करना।" कंपनी को संभावित रूप से बेहतर मूल्यांकन प्राप्त हो सकता था यदि प्राइवेट फंडिंग का रास्ता अख्तियार किया होता।लेकिन स्पष्ट रूप से इसके सीईओ ने पब्लिक फंडिंग को बेहतर माना।
कंपनी का लक्ष्य 5,352 करोड़ रुपये जुटाने का था जिससे इसका मूल्यांकन 53,200 करोड़ रूपये से अधिक या 7.1 बिलियन डॉलर हो जाता और वह इस लक्ष्य को हासिल करने में सफल रही।
आईपीओ के तहत 630 करोड़ रुपये के शेयरों का फ्रेश इशु और 41.97 मिलियन शेयरों का ऑफर फॉर सेल जारी किया गया।
नायका का शेयर 80 प्रतिशत से अधिक की मज़बूती के साथ खुला। शेयर फिलहाल 2,000 रुपये से ऊपर के स्तर पर स्थिर है, हालांकि यह 2,300 रुपये और 2,400 रुपये से कुछ अधिक के पहले के उच्च स्तर से गिरकर 2,000 रुपये से थोड़ा अधिक के स्तर पर आ गया।
इतने सफल आईपीओ के बाद, नायका प्रॉफिट में 96 प्रतिशत की गिरावट के साथ सुर्खियों में कैसे आ गई? सो यदि आपने सुर्खियों पर ध्यान देना बंद कर बंद कर दिया है तो आपने महसूस किया होगा कि प्रॉफिट में गिरावट की खबर जुलाई से सितंबर की तिमाही से जुड़ी है, न कि दिसंबर की तिमाही से ( यह तिमाही दिसंबर में समाप्त होती है और इसलिएअभी मापा नहीं जा सकता)। सीईओ फाल्गुनी नय्यर ने कहा है कि प्रॉफिट में गिरावट मुख्यतः आईपीओ की मार्केटिंग के लिए फंड के उपयोग के कारण हुई।
नायका के पास विस्तार की योजना है जिसमें उसका अपना ब्रांड ( इसके तहत कंपनी स्केलेबल ब्रांड की पहचान करेगी और फिर उन्हें उनके उच्चतम स्तर पर ले जाएगी) और इसके अलावा लाइफ स्टाइल से जुड़े नए उत्पाद और अतिरिक्त बिक्री चैनल शामिल है।
इससे पहले कि इन्वेस्टर नायका के शेयर खरीदने या उन शेयरों को बेचने का फैसला करें , उन्हें चालू तिमाही में कंपनी की प्रॉफिटेबिलिटी पर गौर करना चाहिए, और प्राइस टू अर्निंग जैसे तरीकों से यह पता लगाना चाहिए कि स्टॉक की कीमत उचित स्तर पर है या नहीं, कहीं इसका वैल्यूएशन गलत तो नहीं है या कहीं इन्फ्लेटेड तो नहीं है। इससे उन्हें यह फैसला करने में मदद मिल सकती है कब शेयर खरीदने का समय ठीक है। स्टॉक प्राइस चार्ट पर गौर कर और टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग कर इन्वेस्टर्स को अपने इन्वेस्टमेंट की रणनीति ठीक से बनाने में मदद मिल सकती है। इन्वेस्टर्स को अपने पूरे पोर्टफोलियो (यदि उनके पास अन्य स्टॉक पहले से हैं) पर विचार करना चाहिए और यह तय करना चाहिए कि यह खुदरा / ई-कॉमर्स स्टॉक उनके पूरे पोर्टफोलियो के डायवर्सिफिकेशन के साथ फिट बैठता है।
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