7 प्रकार की निवेश रणनीतियाँ

12 मई,2022

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नीचे दी गई इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी पर नज़र डालें ताकि आप 2022 में खूब पैसे बना सकें।

2022 में अपने पैसे को कहाँ इन्वेस्ट करें

अपने पैसे को शेयर बाज़ार में लगाकर खूब मुनाफा कमाने का मौका हासिल कर सकते हैं। एक्सपर्ट्स के लिए सुरक्षित और जोखिम भरे डाइवर्सिफिकेशन वाले इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो का सुझाव देना कोई असामान्य बात नहीं है। लॉन्ग टर्म में, इस तरह के पोर्टफोलियो में बहुत वृद्धि होती और बाज़ार के साथ-साथ इकॉनोमिक उतार-चढ़ाव के हालात में भी बेहतर स्थिति बनाए रख सकते हैं। साल 2022 असाधारण रहा जो इन्फ्लेशन से स्पष्ट है। इन्फ्लेशन बॉन्ड के रिटर्न के साथ-साथ बढ़ रहा है जबकि डिपॉजिट रेट के सर्टिफिकेट थमे पड़े हैं। इनमें से हर फैक्टर ने बहुत से लोगों को इस बारे में चिंतित किया है कि पैसा कहां लगाया जाए। नीचे दिए गए सुझावों पर विचार करें ताकि आपके पास अपने फिनांशियल फ्यूचर को सुरक्षित रखने का बेहतर मौका हो।

हाई-यील्ड सेविंग अकाउंट में इन्वेस्ट करें

ऐसे अकाउंट मामूली रिटर्न के साथ लिक्विड मनी रखने की सुविधा देते हैं। हाई-यील्ड सेविंग अकाउंट इन्फ्लेशन की गति का मुकाबला शायद ही कर सकते हैं, लेकिन ये अपना पैसा रखने के लिए उपयुक्त होते हैं क्योंकि ज़रुरत पड़ने पर आसानी से निकाला जा सकता है और इमरजेंसी फंड के तौर पर यह बेहद व्यावहारिक हो सकता है। इसके अलावा, इनमें जोखिम कम होता है इसलिए ये और आकर्षक हो जाते हैं। लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि अच्छे से अच्छा हाई-यील्ड सेविंग अकाउंट कहीं भी सात प्रतिशत इन्फ्लेशन के करीब भुगतान नहीं करता है। इनमें से अधिकतर अकाउंट 0.6 प्रतिशत का रिटर्न देते हैं। यदि इंटरेस्ट रेट में बढ़ोतरी जारी रहती है, तो कई सेविंग अकाउंट में रिटर्न बढ़ सकता है। वेरिएबल-रेट अकाउंट में इन्वेस्ट करते हमेशा ध्यान में रखना चाहिए कि ओपनिंग रेट बदल सकते हैं।

सर्टिफिकेट ऑफ़ डिपॉजिट आसान ज़रिया हो सकता है

यदि आपको लगता है कि आपको जल्दबाज़ी अपनी सेविंग को निकालना नहीं है और आप उन्हें बढ़ते रहने का मौका देना चाहते हैं, तो सर्टिफिकेट ऑफ़ डिपॉजिट आपके काम आ सकता है। अधिकांश सेविंग अकाउंट के मुकाबले बैंक इन अकाउंट को ऊँची इंटरेस्ट रेट पर जारी करते हैं। अमेरिका में जारी किए गए सर्टिफिकेट ऑफ़ डिपॉजिट को एफडीआईसी इन्श्योर और सुरक्षित करती है, जिससे यह उन इन्वेस्टर्स के लिए बढ़िया विकल्प बन जाता है जो जोखिम नहीं उठाना चाहते और इन्फ्लेशन के असर को कम करना चाहते हैं।

कुल मिलाकर, सर्टिफिकेट ऑफ़ डिपॉजिट को शॉर्ट टर्म से मीडियम टर्म का इन्वेस्टमेंट माना जाता है। इसमें पैसा इन्वेस्टमेंट करने के बाद आप मैच्योरिटी से पहले पैसा नहीं निकाल सकते हैं (हालाँकि ज़ुर्माना भर कर ऐसा कर सकते हैं) और यह अवधि छह महीने से लेकर पाँच साल तक हो सकती है। सामान्य रूप से, आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आप ऐसे फंड को इन्वेस्ट न करें जिसकी ज़रूरत आपको निकट भविष्य में हो सकती है।

इन्वेस्टर के तौर पर, आपके पास कई महीनों या साल के दौरान बहुत से सर्टिफिकेट ऑफ़ डिपॉजिट लेने का विकल्प है। इससे आप इंटरेस्ट रेट में बदलाव का लाभ उठा सकते हैं और अपने अकाउंट के मैच्योर होने पर नियमित रूप से पैसे निकाल सकते हैं। तब आपके पास अपने पैसे निकालने या अपने अकाउंट को सर्टिफिकेट ऑफ़ डिपॉजिट में तब्दील करने का विकल्प होता है।

आई-बॉन्ड

आई-बॉन्ड एक तरह के गवर्नमेंट डेट होते हैं जो अमेरिकी ट्रेजरी जारी करता है। ये पारंपरिक सेविंग बॉन्डी से अलग होते हैं क्योंकि वे इन्फ्लेशन के मुताबिक़ अपने आपको तैयार करने के लिए हर छह महीने में अपने इंटरेस्ट रेट को एडजस्ट करते हैं। इस वजह से साल 2022 में इन्फ्लेशन की स्थिति को देखते हुए यह सबसे अच्छे इन्वेस्टमेंट विकल्पों में से एक है।

हालाँकि, आई-बॉन्ड की कुछ सीमा भी है। यदि आप अपने आई-बॉन्ड पर सारे इंटरेस्ट को बरकरार रखना चाहते हैं, तो आपको उन्हें कम से कम पाँच साल के लिए रखने के लिए तैयार रहना चाहिए। इसके अलावा, आप यदि किसी साल सिर्फ 10,000 अमेरिकी डॉलर आई-बॉन्ड खरीद सकते हैं, हालांकि अतिरिक्त 500 अमरीकी डॉलर का अमेरिकन टैक्स रिफंड आई-बॉन्ड में लगाया जा सकता है।

इंडेक्स फंड

इंडेक्स फंड इन्वेस्टमेंट के रूप में काम करते हैं जो कम्पोजीशन और रिटर्न के मामले में कई इंडेक्स से जुड़े होते हैं। इसका मतलब यह है कि यदि आप किसी इंडेक्स फंड में इन्वेस्ट करना चाहते हैं तो आप आपकी पसंद के इंडेक्स, नैस्डैक -100 या एसएंडपी 500 को ट्रैक करने वाला फंड चुन सकते हैं। यहां ध्यान देना चाहिए कि कुछ इंडेक्स फंड विशेष इंडस्ट्री या सेक्टर पर फोकस करते हैं। और आपको उन क्षेत्रों में एक्सपोजर का मौका देते हैं जिनमें आपकी रुचि है।

इंडेक्स फंड में इन्वेस्टमेंट से जुड़े लाभ में लो एक्सपेंस रेशियो, डाइवर्सिटी और व्यक्तिगत इन्वेस्टर्स के लिए आसान पहुंच आदि शामिल है। आपके पास म्यूचुअल फंड या एक्सचेंज ट्रेडेड फंड के रूप में ट्रेड करने वाले फंड खरीदने का विकल्प है। कई ब्रोकरेज कंपनियां मामूली राशि से इंडेक्स फंड में इन्वेस्टमेंट की सुविधा देती हैं।

इंडेक्स फंड में शेयर बाज़ार में इन्वेस्टमेंट करने और इन्फ्लेशन पर काबू पाने के एक सुरक्षित साधन के तौर पर जाने जाने वाले गवर्नमेंट बॉन्ड और सेविंग अकाउंट के मुकाबले अक्सर अधिक उतार-चढ़ाव होता है।

अन्य एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (या ईटीएफ)

एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड भी इंडेक्स फंड की तरह काम करते हैं क्योंकि वे उचित मात्रा में सिक्योरिटीज़ में इन्वेस्ट करते हैं। ऐसा करने के बाद वे अपने इन्वेस्टमेंट को अलग-अलग शेयरों में इकठ्ठा करते हैं जो फिर स्टॉक की तरह ही एक्सचेंज पर ट्रेड करते हैं। बहुत से ईटीएफ किसी निश्चित कमोडिटी, सेक्टर या इंडेक्स के भीतर खरीदारी करते हैं, जिससे इन्वेस्टर्स को अपने पोर्टफोलियो के एक सेगमेंट में विशेषज्ञता हासिल करने की सुविधा मिलती है।

ऐसे कई फायदे हैं जो ईटीएफ और इंडेक्स फंड में एक ही जैसे हैं जिनमें सिंपल पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन और कम लागत शामिल हैं। अलग-अलग सिक्योरिटी के मुकाबले ईटीएफ में टैक्स एफिशिएंसी भी होती है।

डिविडेंड स्टॉक

डिविडेंड उस छोटी नकद रकम को कहते हैं जिसका भुगतान शेयरहोल्डर्स को कंपनी के मुनाफे से किया जाता है और इसके ज़रिये शेयरहोल्डर्स को कंपनी का स्टॉक होल्ड करने के लिए पुरस्कृत किया जाता है। डिविडेंड स्टॉक में इस साल इन्वेस्ट किया जा सकता है क्योंकि ये रिटर्न बढ़ा सकते हैं और इन्फ्लेशन के असर को कम कर सकते हैं।

डिविडेंड स्टॉक इसलिए महत्वपूर्ण हैं कि इससे शॉर्ट टर्म में थोड़ा नकद कमाया जा सकता है, साथ ही इसमें लॉन्ग-टर्म में शेयर में तेज़ी का भी फायदा होता है। ये शेयरहोल्डर्स अपने डिविडेंड को फिर से अपने पोर्टफोलियो में इन्वेस्ट कर सकते हैं।

इसका मतलब यह नहीं है कि डिविडेंड स्टॉक में जोखिम नहीं होता है। नॉन-डिविडेंड या ग्रोथ स्टॉकों के मुकाबले ये सुरक्षित हो सकते हैं, लेकिन डिविडेंड का भुगतान करने वाली हर कंपनी इन्वेस्ट करने लायक नहीं होती।

सामान्य नियम है कि आपको पर्याप्त रिसर्च करना चाहिए और यह देखना चाहिए कि कंपनी नियमित रूप से डिविडेंड का भुगतान करती रही है या नहीं जो समय के साथ बढ़ा हो।

निष्कर्ष

अपनी इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी लागू करने से पहले, आपको हमेशा अपनी जोखिम झेलने की सीमा, इन्वेस्टमेंट की समय सीमा, और अपनी वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखना चाहिए। यह भी समझना चाहिए कि आपके लक्ष्य और इन्वेस्टमेंट का उद्देश्य क्या है और आपकी चुनी गई सिक्योरिटी आपको इसमें मदद करती है या नहीं। इन्वेस्टमेंट के बारे में आपकी जानकारी और सुकून यह तय करेंगे कि आप पैसिव इन्वेस्टमेंट करते हैं या एक्टिव इन्वेस्टमेंट। 

 

डिस्क्लेमर: इस ब्लॉग का उद्देश्य है, महज जानकारी प्रदान करना न कि इन्वेस्टमेंट के बारे में कोई सलाह/सुझाव प्रदान करना और न ही किसी स्टॉक को खरीदने -बेचने की सिफारिश करना।

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