अपने निवेश के पैसे पर अच्छा रिटर्न कैसे प्राप्त करें

18 जुलाई,2022

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भारत में हाई रिटर्न अर्जित करने के कई तरीके हैं, लेकिन आपको पहले अपने फिनेंशिअल लक्ष्य निर्धारित करने होंगे। आपका अगला कदम आपके मंथली कैश फ्लो को निर्धारित करना है, सही फंड चुनना है, और फिर निवेश की शुरुआत करना है।

अच्छा रिटर्न पाने के लिए पैसा कहां इन्वेस्ट करें?

एक सही इन्वेस्टमेंट विकल्प इस बात पर निर्भर करता है कि आपके फाइनेंशियल लक्ष्य कितने समय तक चलेंगे। एक शॉर्ट टर्म पीरियड तीन साल से कम का होता है, जबकि लॉन्ग टर्म पीरियड दस साल से अधिक होता है। निम्नलिखित विकल्प लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म दोनों के लिए उपयुक्त हैं:

रियल एस्टेट

रेरा जैसी रेगुलेटरी बॉडीज़ द्वारा खरीदारों को अधिक सुरक्षा और पारदर्शिता प्रदान की गई है। आज इस क्षेत्र में धोखाधड़ी कम हो गयी है| बढ़ती खपत, बढ़ते शहरीकरण और अधिक आसानी से उपलब्ध लोन के चलते रियल एस्टेट का क्षेत्र एक बार फिर से बढ़ रहा है। इस क्षेत्र में लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल लाभ संभव हैं। अगर आपको 1961 के आयकर अधिनियम की धारा 80C और 24 के तहत एक मॉर्गेज मिलता है, तो इसके कई टैक्स लाभ हैं।

म्यूचुअल फंड्स

जब रिटायरमेंट या प्रॉपर्टी के ओनरशिप जैसे फाइनेंशियल लक्ष्यों को पूरा करने के लिए लॉन्ग टर्म में धन वृद्धि की बात आती है, तो इक्विटी म्यूचुअल फंड को एक आइडियल विकल्प माना जा सकता है। हालांकि, यह सलाह दी जाती है कि इसमें इन्वेस्ट करने के लिए या तो एक इंडिपेंडेंट फिनेंशिअल एक्सपर्ट की सहायता लें या फिर ऑनलाइन जाएं और ऐतिहासिक प्रदर्शन के आधार पर एक अच्छा म्यूचुअल फंड चुनें। जोखिम के आधार पर कई प्रकार के म्यूचुअल फंड आते हैं, जैसे मिड कैप फंड, बिग कैप फंड और स्मॉल कैप फंड| इसलिए आपको अपने जोखिम उठाने की क्षमता को समझना चाहिए। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स फिर से लागू होने के बावजूद, इक्विटी निवेश अधिक टैक्स एफ्फिसिएंट बने हुए हैं और अन्य एसेट क्लास की तुलना में अधिक रिटर्न प्रदान कर सकते हैं। आपको ईएलएसएस जैसे कुछ म्यूचुअल फंडों में धारा 80सी के तहत टैक्स लाभ भी मिल सकता है।

राष्ट्रीय पेंशन योजना

सरकार द्वारा स्पॉन्सर्ड ये प्रोग्राम सब्सक्राइबर को न्यूनतम पेंशन की गारंटी देता है। धारा 80CCD के तहत, सालाना 1.5 लाख रुपये तक के लाभ उपलब्ध हैं। इसमें निवेश के कई विकल्प मौजूद हैं| यदि आप बड़े परिणाम पाना चाहते हैं, तो आप ऐसा एग्रेसिव विकल्प चुन सकते हैं जहां आप अपने पैसे का 50% हिस्सा स्टॉक में, 30% कॉरपोरेट बॉन्ड में और 20% गिल्ट फंड में इन्वेस्ट कर सकते हैं| 

शेयर बाज़ार

यदि आपको शेयर बाज़ार के बारे में अच्छी जानकारी है, तो हाई रिटर्न प्राप्त करने के लिए स्टॉक एक अच्छा विकल्प हो सकता है। ऐसे स्टॉक तलाशें जो अभी अपने असल मूल्य से कम में बिक रहे हैं। समय के साथ धन इकट्ठा करने के लिए आप इन शेयरों में मामूली मात्रा में इन्वेस्ट कर सकते हैं।

इनिशियल (आरंभिक) पब्लिक ऑफरिंग्स  

इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग्स यानी आईपीओ वह होता है जब कोई फर्म पहली बार आम जनता को अपने स्टॉक यूनिट्स खरीदने और बेचने का मौका देती है। किसी फर्म में इन्वेस्ट करने से पहले, उसकी नींव और भविष्य की संभावनाओं को समझना महत्वपूर्ण है। एक सफल आईपीओ में निवेशकों ने अपने मूल इन्वेस्टमेंट से कई गुना अधिक रिटर्न प्राप्त किया है।

पब्लिक प्रोविडेंट फंड (सार्वजनिक भविष्य निधि)

एक पीपीएफ खाता भारत सरकार द्वारा सपोर्टेड है और बैंकों और डाकघरों के माध्यम से उपलब्ध है। इसका पीरियड 15 साल का होता है, हालांकि सातवें वर्ष से विड्रॉल की अनुमति होती है। इनवेस्टेड कैपिटल, ब्याज या मैच्योरिटी राशि पर टैक्स  नहीं लगता है। हर तीन महीने में, सरकारी बॉन्ड की ब्याज दरों के अनुसार इसकी ब्याज दर में बदलाव किया जाता है।

सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लांस (व्यवस्थित निवेश योजनाएं)

म्यूचुअल फंड के सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लांस उन लोगों के लिए हैं जो एक बार में बड़ी मात्रा में पैसा इन्वेस्ट नहीं कर सकते हैं| उनके लिए दैनिक, साप्ताहिक या मासिक आधार पर छोटी रकम इन्वेस्ट करने का विकल्प उपलब्ध है। शेयर बाज़ारों में इन्वेस्ट करके वे लॉन्ग टर्म में पैसा बना सकते हैं| केवल 500 प्रति माह रुपये से शुरू करके अपनी इनकम बढ़ने पर आप इसे धीरे-धीरे बढ़ा सकते हैं। इस तरह के इन्वेस्ट से आपको रुपये की औसत लागत का लाभ मिलता है।

समापन- पैसा कहां निवेश करें?

ऊपर दिए गए इन्वेस्टमेंट में फिक्स्ड इनकम और फाइनेंशियल बाज़ार से जुड़े दोनों तरह के एसेट्स शामिल हैं। संपत्ति बढ़ाने के लिए फिक्स्ड इनकम और फाइनेंशियल बाज़ार से जुड़े एसेट्स मदद करते हैं। बाज़ार से जुड़े इंवेस्टमेंट्स में हाई रिटर्न है, लेकिन साथ ही हाई रिस्क भी है। फिक्स्ड रेट वाले इन्वेस्टमेंट हमें धन राशि इकट्ठा करने में सहायता करते हैं। लॉन्ग टर्म उद्देश्यों को पूरा करने के लिए दोनों तरह के एसेट्स का सही तरीके से लाभ उठाना महत्वपूर्ण है। अपने एसेट को चुनते समय जोखिम, टैक्स और समय सीमा पर विचार करना चाहिए।

 

 


डिस्क्लेमर: इस ब्लॉग का उद्देश्य है, महज़ जानकारी प्रदान करना न कि इन्वेस्टमेंट के बारे में कोई सलाह/सुझाव प्रदान करना और न ही किसी स्टॉक को खरीदने -बेचने की सिफारिश करना।

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