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सभी भारतीय शेयर बाजार हितधारकों के लिए 10 महत्वपूर्ण दिन
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- हर तिमाही का पहला महीना - अप्रैल, जुलाई, अक्टूबर और जनवरी
यह वह समय है जब कंपनियों के तिमाही रिजल्ट सामने आते हैं। जिन कंपनियों के मजबूत वित्तीय परिणाम सामने आने की उम्मीद होती है, उनके शेयर की कीमतों में उछाल देखा जा सकता है। छोटी अवधि के निवेशक दिसंबर या मार्च जैसी तिमाही के अंतिम महीने में शेयर खरीदकर इस ट्रेंड का लाभ उठा सकते हैं। यदि आप सोच रहे हैं कि उन शेयरों को कैसे चुना जाए, तो पिछली तिमाही के दौरान विभिन्न कंपनियों द्वारा दिए गए आंकड़े, अगली तिमाही के लिए प्रबंधन की उम्मीदें, कंपनी के बारे में प्रसारित समाचार और सामान्य तौर पर उद्योग का मिजाज – इन सभी कारकों का अगर सही से अनुसरण किया जाए तो ये आपको संकेत दे सकते हैं।
- फरवरी का अंतिम सप्ताह
जब केंद्रीय बजट पेश किया जाता है। बजट के प्रावधानों से लाभान्वित होने वाली कंपनियों को बजट से पहले अपने शेयर की कीमतों के बढ़ने की उम्मीद रहती है। निवेशक अल्पकालिक लाभ के लिए ऐसे शेयरों में खरीदारी कर सकते हैं। चैनलों और समाचार पत्रों में होने वाली पूर्व बजट चर्चाओं से सामान्य संकेत की मार्गदर्शिका मिल सकती है।
- दिवाली मुहूर्त ट्रेडिंग
शेयर बाजार दिवाली के अवसर पर एक विशेष प्रतीकात्मक व्यापार सत्र आयोजित करते हैं, जिसे मुहूर्त ट्रेडिंग कहा जाता है। एक घंटे के सत्र को पारंपरिक हिंदू लेखा वर्ष की शुरुआत के लिए शुभ माना जाता है, जिसे संवत कहा जाता है।
- उद्योग विशेष डेटा
कुछ उद्योग हर महीने के अंत में बिक्री रिपोर्ट जारी करते हैं। इन रिपोर्ट से शेयर की कीमतों में बदलाव होता है। हर महीने की शुरुआत में जारी की गई उद्योग रिपोर्ट में ऑटोमोबाइल उद्योग की मासिक बिक्री रिपोर्ट और सीमेंट उद्योग के डिस्पैच आंकड़े अहम हैं। ये संख्या इन उद्योगों के विकास के बारे में गाइडेंस देती हैं।
- आरबीआई की समीक्षा तिथि
भारतीय रिजर्व बैंक की क्रेडिट नीति से बैंकिंग शेयर प्रभावित होते हैं। आरबीआई द्वारा ब्याज दरों या लिक्विडिटी को बदलने वाली गतिविधियां हमेशा बैंकिंग शेयरों को प्रभावित करती हैं। आरबीआई की वार्षिक क्रेडिट नीति अप्रैल में घोषित की जाती है। पॉलिसी का मिड-टर्म रिव्यू जुलाई, अक्टूबर और जनवरी में घोषित किया जाता है।
- जीडीपी डाटा
यह हर तिमाही अंतराल पर प्रकाशित किया जाता है। आम तौर पर 1 से 1.5 महीने की देरी होती है। तो 1 तिमाही का डाटा लिए दूसरी तिमाही के मध्य भाग में उपलब्ध होगा।
- महंगाई और आईआईपी डाटा
ये दोनों आंकड़े हर महीने सरकार द्वारा प्रकाशित किए जाते हैं।
- डब्ल्यूपीआई - या थोक मूल्य सूचकांक
भारतीय डब्ल्यूपीआई का आंकड़ा हर हफ्ते कम से कम देरी के साथ जारी किया जाता है। यह पूरे देश में सभी व्यापारिक वस्तुओं की कीमतों में सप्ताह-दर-सप्ताह के उतार-चढ़ाव का अनुमान देता है। थोक मूल्य सूचकांक उपभोक्ताओं द्वारा खरीदे गए सामानों के बजाय, निगमों के बीच कारोबार किए गए सामानों की कीमत पर केंद्रित होता है, जिसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक द्वारा मापा जाता है।
- महीने का अंतिम गुरुवार
वह समय जब भारतीय बाजारों में डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट एक्सपायर होते हैं। आमतौर पर शेयर बाजारों में डेरिवेटिव एक्सपायरी पर भारी अस्थिरता देखी जाती है। स्थिति के आधार पर बाजार ऊपर या नीचे जा सकता है। इस तरह की अस्थिरता का कारण फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट का नकदी निपटान तंत्र और बाजार निर्माताओं द्वारा स्थिति समायोजन है।
- डिविडेंड घोषणा तिथि:
यह वह तारीख है जिस दिन कंपनी का निदेशक मंडल शेयरधारकों के लिए डिविडेंड घोषित करता है। सम्मेलन में डिविडेंड वितरण की तारीख, डिविडेंड का साइज और रिकॉर्ड तिथि शामिल है।
डिविडेंड घोषणा के दिन पर कंपनी रिकॉर्ड तिथि की भी घोषणा करती है। रिकॉर्ड तिथि वह तारीख है जिस पर डिविडेंड प्राप्त करने के लिए आपका नाम कंपनी के शेयरधारकों की सूची यानी रिकॉर्ड बुक में मौजूद होना चाहिए। जो शेयरधारक कंपनी की रिकॉर्ड बुक पर इस तारीख तक पंजीकृत नहीं होते, उन्हें डिविडेंड प्राप्त नहीं होगा। यदि आपका नाम इस रिकॉर्ड तिथि तक उनकी अकाउंट पर है सिर्फ तभी आप कंपनी के अनुसार डिविडेंड प्राप्त करने के योग्य हैं।
एक्स-डिविडेंड तारीख आमतौर पर रिकॉर्ड तिथि से दो दिन पहले होती है। डिविडेंड प्राप्त करने में सक्षम होने के लिए आपको एक्स-डिविडेंड डेट से पहले शेयर खरीदना होगा। यदि आप एक्स-डिविडेंड डेट पर या उसके बाद शेयर खरीदते हैं, तो आपको डिविडेंड नहीं मिलेगा, इसके बजाय पिछले विक्रेता को डिविडेंड मिलेगा।
फिर अंत में, जमा किए गए डिविडेंड भुगतान की तारीख कंपनी द्वारा निर्धारित की जाती है। केवल वे शेयरधारक जो एक्स-डिविडेंड डेट से पहले शेयर खरीदते हैं, डिविडेंड प्राप्त करने के हकदार हैं।
निष्कर्ष
इस अध्याय के अंत के साथ हम शेयर बाजार में व्यापारिक कैलेंडर पर अपने मॉड्यूल को खत्म करते हैं। अधिक जानने के लिए एंजेल ब्रोकिंग द्वारा स्मार्ट मनी पर बने रहें।
अब तक आपने पढ़ा
- भारतीय बाजारों में डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट हर महीने के आखिरी गुरुवार को एक्सपायर होते हैं।
- महंगाई और आईआईपी के आंकड़े हर महीने सरकार द्वारा प्रकाशित किए जाते हैं।
- फरवरी के अंतिम सप्ताह में केंद्र सरकार वार्षिक बजट प्रस्तुत करती है।
- आरबीआई की वार्षिक क्रेडिट नीति अप्रैल में घोषित की जाती है। पॉलिसी की मध्यावधि समीक्षा जुलाई, अक्टूबर और जनवरी में घोषित की जाती है।
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