मार्जिन कैलकुलेटर का उपयोग कैसे करें पर एक पूर्ण गाइड

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पिछले अध्याय में  हम उन विभिन्न प्रकार के मार्जिन को समझ चुके हैं, जो फ्यूचर्स में कारोबार की शुरुआत के समय आवश्यक होते हैं। मार्जिन अंतर्निहित एसेट की अस्थिरता पर निर्भर करता है, यही कारण है कि ये हर फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट के लिए अलग- अलग होती है।

मार्जिन, व्यापारियों को लाभ उठाने में सक्षम बनाता है। यही कारण है कि मार्जिन फ्यूचर्स ट्रेडिंग में एक आवश्यक भूमिका निभाते हैं। स्पॉट बाजार लेनदेन की तुलना में,  मार्जिन ही है जो फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट को वित्तीय रूप से रोचक बनाती है। इसलिए, मार्जिन और इसके पहलुओं को समझना आवश्यक है।

फ्यूचर्स और ऑप्शंस में व्यापार करते समय मार्जिन की अवधारणा को समझना आवश्यक है, जो सबसे महत्वपूर्ण अवधारणा है। यह सबसे महत्वपूर्ण क्यों है? ऐसा इसलिए है क्योंकि जब आप एफ एंड ओ में कारोबार शुरू करते हैं तो आपको शुरुआती मार्जिन ब्रोकर को जमा करना होगा। प्रारंभिक मार्जिन ब्रोकर को अस्थिरता के दौरान खरीदार या विक्रेता को हुए नुकसान से सुरक्षित रखता है।

आप मार्जिन पर व्यापार कैसे कर सकते हैं?

ट्रेडिंग करते समय, आप अपने द्वारा जमा किए गए मार्जिन के गुणकों में ट्रेड कर सकते हैं। इसे उदाहरण साथ समझते हैं- मान लीजिए कि आप भविष्य में फ्यूचर्स और ऑप्शंस में 10%  मार्जिन पर ₹20,00,000 का निवेश करना चाहते हैं। अब आपको प्रारंभिक मार्जिन के रूप में ब्रोकर को ₹2,00,000 जमा करने की आवश्यकता होगी। वह गुणक जिसे आप ट्रेड इन करते हैं, इसे ही लेवरेज कहा जाता है।

आपके लिए एक व्यापारी के रूप में मार्जिन पर व्यापार करना आसान हो जाता है क्योंकि आपको नकदी के बड़े खर्च के बारे में चिंता नहीं करनी होती जो एक एसेट का अधिग्रहण करने के लिए आवश्यक होती है।

यही कारण है कि मार्जिन ब्याज वह ब्याज है जो व्यापारियों और ब्रोकर के बीच लिए गए ऋण पर चुकाना होता है।

मार्जिन पर ट्रेडिंग

जब आप मार्जिन पर व्यापार करते हैं तो आप ब्रोकर के पास जमा प्रारंभिक मार्जिन के गुणकों में व्यापार कर सकते हैं। आइए इसे समझते हैं- राजेश व्यापार करने का फैसला करता है, वह फ्यूचर्स और ऑप्शन में 10%  मार्जिन पर ₹20,00,000 का निवेश करना चाहता है। उसे ब्रोकर के पास ₹2,00,000 जमा करने होंगे। 

राजेश ने मार्जिन पर ट्रेडिंग का ऑप्शन क्यों चुना? उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि एक व्यापारी के रूप में मार्जिन के माध्यम से व्यापारिक अवसरों का फायदा उठाना आसान हो जाता है। आखिरकार, अब उसे नकदी के बड़े हिस्से के बारे में चिंतित होने की जरूरत नहीं है, जो उसे किसी एसेट का अधिग्रहण करने लिए आवश्यक होती।

अब राजेश अगर कोई शेयर शॉर्ट सेल करता है, तो उसे पहले इसे मार्जिन पर उधार लेना होगा और फिर एक खरीदार को बेचना चाहिए। या अगर वह मार्जिन पर खरीदता है, तो उसे दिए गए नकद से ज्यादा शेयर खरीदने के लिए अपनी लेवरेज की क्षमता को ऑफर करना होगा।

आइए एक और परिस्थिति पर नजर डालते हैं- जब मार्जिन 10% है और राजेश केवल ₹30,000 से ₹3,00,000 के शेयर खरीद सकते हैं।  ₹2,70,000 रुपए का मार्जिन उसे मार्जिन ऋण के रूप में दिया जाता है, जिसके लिए उसे ब्याज देना होगा।

राजेश एक बुद्धिमान व्यापारी है जब वह जानता है कि उसे ब्याज की गणना करनी होगी क्योंकि उसे जरुरत के वक्त इस गणना की आवश्यकता हो सकती है। राजेश के उदाहरण से हमें पता चलता है कि व्यापार में आने से पहले सभी नियमों और गणनाओं को समझना महत्वपूर्ण है।

जब आप एक गणना कर रहे होते हैं, तो आपको यह पता लगाना होता है कि आपके ब्रोकर-डीलर आपको दिए गए ऋण पर कितनी मार्जिन ब्याज दर चार्ज कर रहा है। आपके ब्रोकर को इस प्रश्न का पारदर्शी रूप से उत्तर देना चाहिए। आपको फर्म की वेबसाइट पर भी जाना चाहिए क्योंकि यहां आपके लिए कुछ मूल्यवान जानकारी हो सकती है। इसके साथ ही आपको खाता पुष्टिकरण विवरण या मासिक या त्रैमासिक खाता विवरण भी खोजना होगा। 

अब विभिन्न प्रकार के मार्जिन पर एक नजर डालते हैं:

 

मार्जिन के प्रकार:

  1. एनआरएमएल (NRML) - जब आप फ्यूचर ट्रेड खरीदने या होल्ड करने का मन बनाते हैं, तो आपको एनआरएमएल का उपयोग करना चाहिए, जो एक स्टेंडर्ड प्रो़डक्ट है। एनआरएमएल का उपयोग करते समय जोखिम प्रबंधन प्रणाली के साथ कोई अतिरिक्त जानकारी उपलब्ध नहीं होती है। एनआरएमएल के मामले में आप एक्सपायरी तक कॉन्ट्रैक्ट को होल्ड कर सकते हैं क्योंकि यहां स्टॉप लॉस की कोई जानकारी नहीं होती। जब आप नुकसान उठाते हैं तो आपको आवश्यक मार्जिन का भुगतान करना होगा। स्पष्टता की कमी के कारण  ब्रोकर का आरएमएस सिस्टम आपको पूर्ण मार्जिन का शुल्क लगाता है, जो कि स्पैन और एक्सपोजर है। जब आप फ्यूचर्स ट्रेड पोजिशन को कई दिनों तक खरीदने और होल्ड का इरादा रखते हैं, तो आपको एनआरएमएल  का उपयोग करना ही चाहिए। आप इंट्राडे के लिए एनआरएमएल प्रोडक्ट टाइप का भी उपयोग कर सकते हैं।
  2. मार्जिन इंट्राडे स्क्वेयर ऑफ (एमआईएस) - एमआईएस एक प्रोडक्ट टाइप है जो आरएमएस सिस्टम के अनुसार इंट्राडे ट्रेड के लिए है। सूचना प्रवाह के मामले में एमआइएस, एनआरएमएल से बेहतर है। एक व्यापारी के रूप में, आपको 1 दिन की अस्थिरता का सामना करना होगा क्योंकि एमआईएस इंट्राडे है। जब आप एमआइएस को ऑर्डर टाइप के तौर पर चुनते हैं तो वह पोजीशन अगले दिन के लिए कैरी फॉर्वड या आगे नहीं बढ़ाई जाती। आपको दोपहर 3:20 बजे तक पोजीशन स्क्वेयर ऑफ करनी होगी वरना आरएमएस सिस्टम इसे अपने आप कर देगा।  यही कारण है कि एमआईएस में मार्जिन की आवश्यकता एनआरएमएल मार्जिन से कम है।
  3. कवर ऑर्डर (सीओ) - कवर ऑर्डर भी एमआईएस  की तरह एक इंट्राडे प्रोडक्ट है। कवर ऑर्डर स्टॉप लॉस पर अतिरिक्त जानकारी के संदर्भ में अलग होता है। सीओ देने के दौरान आपको स्टॉप-लॉस की जानकारी देने की आवश्यकता होगी। सीओ निम्नलिखित जानकारी देगा:

- इंट्राडे ट्रेड की लंबाई। 

- अगर ट्रेड आपके खिलाफ जाता है तो आपको कितना अधिकतम नुकसान उठाना होगा, जिसे स्टॉप लॉस कहा जाता है।

  1. ब्रैकेट ऑर्डर (बीओ) – बीओ, कवर ऑर्डर का एक एडवांस वर्जन है। बीओ बहुमुखी और इंट्राडे ऑर्डर है, इसलिए आपको दिन में 3:20 बजे से पहले ऑर्डर को स्क्वेयर ऑफ करना होगा। बीओ देने के दौरान आपको निम्नलिखित जानकारी देनी होगी: 

- स्टॉप लॉस - वो राशि जिसका नुकसान आपको स्टॉप लॉस के रूप में होगा, अगर ट्रेड के आपके लक्ष्यों के विपरीत जाता है।

- ट्रेलिंग स्टॉप लॉस - बीओ की एक अन्य आवश्यक विशेषता ट्रेलिंग स्टॉप लॉस है जो कि एक डे ट्रेडिंग ऑर्डर है। ट्रेलिंग स्टॉप लॉस के अनुसार, आप किसी ट्रेड पर होने वाले नुकसान का अधिकतम मूल्य या प्रतिशत निर्धारित कर सकते हैं। स्टॉप लॉस वैल्यू सिक्योरिटी की कीमत के आपके पक्ष में ऊपर या नीचे जाने के साथ चलती है। अगर सिक्योरिटी की कीमत आपके पक्ष में नहीं है और यह बढ़ या घट जाती है, तो स्टॉप अपनी जगह पर रहता है। 

- लक्ष्य - आपको उस कीमत की जानकारी देनी होगी जिस पर आप, व्यापार आपके पक्ष में होने पर मुनाफा कमाना चाहेंगे।

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