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विकल्प और वायदा का परिचय

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सामान्य ऑप्शन ट्रेडिंग रणनीतियां

4.1

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हम ऑप्शंस के बारे में काफी कुछ जान चुके हैं, है ना? हमने कॉल और पुट ऑप्शंस और उनसे जुड़े भुगतान की गणनाओं पर गहराई से ध्यान दिया है, यहां तक ​​कि एक ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट की मौद्रिकता के बारे में भी बताया है।

आइए अब कुछ ऑप्शन ट्रेडिंग रणनीतियों को देखें। अगर आप इनका ठीक तरह से इस्तेमाल करें तो वास्तव में ऑप्शन ट्रेडिंग, अच्छा रिटर्न कमाने का एक बढ़िया तरीका हो सकती है। आज हम इसी बारे में बात कर रहे हैं। इस अध्याय में हम कुछ अलग-अलग ऑप्शन ट्रेडिंग रणनीतियों पर नज़र डालेंगे और उन्हें विस्तार से समझेंगे।  

लाॉन्ग कॉल

ऑप्शन ट्रेडिंग रणनीतियों में सबसे सरल, लॉन्ग कॉल, उन निवेशकों के लिए एक शानदार रणनीति है, जो कॉन्ट्रैक्ट की एक्सपायरी तक शेयर की कीमत बढ़ने की उम्मीद करते हैं। जब आप भारत में ऑप्शन ट्रेडिंग कर रहे हों तो इस रणनीति का उपयोग करने के लिए कुछ अहम जानकारियों पर ध्यान दें: 

  • निष्पादन/ एग्ज़िक्यूशन: एक लॉन्ग कॉल को एग्ज़िक्यूट करने के लिए आपको शेयर का कॉल ऑप्शन खरीदने की आवश्यकता होती है।
  • बाज़ार की अपेक्षित चाल: जब आप शेयर की कीमत के बढ़ने की उम्मीद करते हैं, तो आपका बाज़ार का नज़रिया तेज़ी का होता है। 

लॉन्ग कॉल ट्रेडिंग रणनीति को बेहतर ढंग से समझने के लिए अब हम एक उदाहरण लेंगे।

मानिए कि लार्सन एंड टुब्रो का शेयर वर्तमान में ₹1,000 पर कारोबार कर रहा है। आप निम्नलिखित विवरण के साथ  L&T का एक कॉल ऑप्शन खरीदते हैं:

  • लॉट साइज 100 शेयर है।
  • कॉल ऑप्शन का स्ट्राइक प्राइस भी ₹1,000 प्रति शेयर है।
  • कॉल ऑप्शन की लागत (या प्रीमियम) ₹10,000 है।

अब हम L&T के शेयरों की विभिन्न संभावित कीमतों के लिए एक्सपायरी पर होने वाले मुनाफ़े की गणना करेंगे।

Column ए

Column बी

Column सी

Column डी

Column ई

Column एफ

एक्सपायरी पर एक शेयर का स्पॉट प्राइस

एक्सपायरी पर स्पॉट प्राइस पर 100 शेयर खरीदने की लागत

(लॉट साइज़ के अनुसार)

कॉल ऑप्शन के अनुसार स्ट्राइक प्राइस पर 100 शेयर खरीदने की लागत

(₹1,000 x 100 शेयर)

क्या कॉल ऑप्शन का प्रयोग किया जाता है?

(हां, अगर बी> सी)

(नहीं, अगर बी<सी)

कॉल ऑप्शन के लिए भुगतान किया गया प्रीमियम

लॉन्ग कॉल पोज़ीशन से मुुनाफ़ा

(बी-सी-ई, अगर ऑप्शन का प्रयोग किया जाता है)

(ई, अगर ऑप्शन का प्रयोग नहीं किया जाता है)

1,500

1,50,000

1,00,000

हां 

10,000

40,000

1,400

1,40,000

1,00,000

हां

10,000

30,000

1,300

1,30,000

1,00,000

हां

10,000

20,000

1,200

1,20,000

1,00,000

हां

10,000

10,000

1,100

1,10,000

1,00,000

हां

10,000

0

1,000

1,00,000

1,00,000

हां/नहीं

10,000

(10,000)

900

90,000

1,00,000

नहीं

10,000

(10,000)

800

80,000

1,00,000

नहीं

10,000

(10,000)

700

70,000

1,00,000

नहीं

10,000

(10,000)

एक ग्राफ पर मुुनाफ़े के स्तर को प्लॉट करते हुए, हमे ये लाइन मिलती है।

यहां देखें कि कैसे शेयर की कीमत गिरने पर भी घाटा ₹10,000 (प्रीमियम का भुगतान) तक सीमित है और शेयर की कीमत बढ़ने पर मुुनाफ़ा कैसे असीमित रूप से बढ़ता रहता है? इसके हिसाब से, एक लॉन्ग कॉल रणनीति से होने वाले मुनाफ़े/घाटे का विवरण कुछ ऐसा है: 

  • मुुनाफ़े की संभावना: तकनीकी रूप से लॉन्ग कॉल में मुनाफ़े की राशि की कोई सीमा नहीं है, क्योंकि शेयर की कीमत कितनी ऊंची हो सकती है इसकी कोई सीमा नहीं है।
  • घाटे की संभावना: अगर शेयर की कीमत आपकी अपेक्षाओं के अनुसार नहीं चलती, तो आपका नुकसान सीमित है। वास्तव में आपको जो अधिकतम नुकसान होने की संभावना है, वह प्रीमियम की राशि है, जिसे आपने कॉल ऑप्शन खरीदने के लिए भुगतान किया था। 

लॉन्ग पुट

लॉन्ग पुट, लॉन्ग कॉल का विपरीत है। अगर आप कॉन्ट्रैक्ट की एक्सपायरी तक किसी शेयर की कीमत के गिरने की अपेक्षा करते हैं तो आप इस रणनीति को काम में ले सकते हैं। लॉन्ग पुट रणनीति के लिए ये मुख्य विवरण हैं:

  • निष्पादन/ एग्ज़िक्यूशन: एक लॉन्ग पुट को एग्ज़िक्यूट करने के लिए आपको एक शेयर के पुट ऑप्शन को खरीदना होगा।
  • बाज़ार की अपेक्षित  चाल: आपका बाज़ार का नज़रिया मंदी का है क्योंकि आप शेयर की कीमत कम होने की उम्मीद कर रहे हैं।

चलिए, लॉन्ग पुट ट्रेडिंग रणनीति को बेहतर ढंग से समझने के लिए फिर से एक उदाहरण लेते हैं।

फिर से लार्सन एंड टुब्रो के शेयर वर्तमान में ₹1,000 पर कारोबार कर रहे हैं। आप निम्नलिखित विवरण के साथ L&T का एक पुट ऑप्शन खरीदते हैं:

  • लॉट साइज़ 100 शेयर है।
  • पुट ऑप्शन का स्ट्राइक प्राइस भी प्रति शेयर ₹1,000 है। 
  • पुट ऑप्शन की लागत (या प्रीमियम) ₹10,000 है।

आइए अब हम L&T के शेयरों की विभिन्न संभावित कीमतों के लिए एक्सपायरी पर होने वाले मुनाफ़े या घाटे की गणना करते हैं।

Column ए

Column बी

Column  सी

Column डी

Column ई

Column एफ

एक्सपायरी पर शेयर का स्पॉट प्राइस

एक्सपायरी पर स्पॉट प्राइस पर 100 शेयर बेचने की लागत

(लॉट साइज़ अनुसार)

पुट ऑप्शन के अनुसार स्ट्राइक प्राइस पर 100 शेयर बेचने की लागत

(₹1,000 x 100 शेयर)

क्या पुट ऑप्शन का प्रयोग किया जाता है?

(नहीं, अगर बी> सी)

(हां, अगर बी<सी)

पुट ऑप्शन के लिए भुगतान किया गया प्रीमियम

लॉन्ग पुट की पोज़ीशन से मुुनाफ़ा

(ई, अगर ऑप्शन का प्रयोग नहीं किया जाता है)

(सी-बी-ई, अगर ऑप्शन का प्रयोग किया जाता है)

1,300

1,30,000

1,00,000

नहीं

10,000

(10,000)

1,200

1,20,000

1,00,000

नहीं

10,000

(10,000)

1,100

1,10,000

1,00,000

नहीं

10,000

(10,000)

1,000

1,00,000

1,00,000

नहीं/हां

10,000

(10,000)

900

90,000

1,00,000

हां

10,000

0

800

80,000

1,00,000

हां

10,000

10,000

700

70,000

1,00,000

हां

10,000

20,000

600

60,000

1,00,000

हां

10,000

30,000

500

50,000

1,00,000

हां

10,000

40,000

400

40,000

1,00,000

हां

10,000

50,000

300

30,000

1,00,000

हां

10,000

60,000

एक ग्राफ पर मुनाफ़े के स्तर को प्लॉट करते हुए, हम यह लाइन मिलती है।

यहां देखें कि कैसे शेयर की कीमत बढ़ने पर घाटा ₹10,000 (प्रीमियम का भुगतान) तक सीमित है। और किस तरह शेयर की कीमत इसकी न्यूनतम संभावित कीमत (0) तक घटने पर मुुनाफ़ा ₹90,000 तक बढ़ता रहता है। इसके हिसाब से, एक लॉन्ग पुट रणनीति से होने वाले मुनाफ़े/घाटे का विवरण कुछ ऐसा है:

  • मुुनाफ़े की संभावना: लॉन्ग पुट में मुुनाफ़ा की क्षमता सीमित है क्योंकि शेयर की कीमत केवल एक निश्चित पॉइंच तक गिर सकती है - जो शून्य है।
  • घाटे की संभावना: एक लॉन्ग पुट में, घाटे की अधिकतम राशि आपके पुट ऑप्शन खरीदने के लिए किए गए प्रीमियम के भुगतान तक सीमित होती है।  
 

बुल कॉल स्प्रेड

बुल कॉल स्प्रेड रणनीति में आमतौर पर व्यापारी शेयर की कीमत में बढ़ोतरी की अपेक्षा करते हैं। हालांकि यह रणनीति मुुनाफ़े को सीमित करती है, लेकिन कई व्यापारी इसे पसंद करते हैं क्योंकि यह आउट-ऑफ-पॉकेट लागत को भी कम कर सकती है। एक बुल कॉल स्प्रेड रणनीति के विवरण पर नज़र डालते हैं:

  • निष्पादन/ एग्ज़िक्यूशन: एक बुल कॉल स्प्रेड को अंजाम देने के लिए आप एक एट द मनी (ATM) कॉल ऑप्शन खरीदते हैं और आउट ऑफ द मनी (OTM) कॉल ऑप्शन बेचते हैं। दोनों कॉल ऑप्शनों में एक ही मूलभूत शेयर और एक ही एक्सपायरी डेट होती है।
  • बाज़ार की अपेक्षित चाल: बुल कॉल स्प्रेड में आपका मार्केट व्यू तेज़ी का होता है क्योंकि आप अभी भी शेयर की कीमत बढ़ने की उम्मीद करते हैं, लेकिन बहुत ज़्यादा नहीं।    

आइए इसे बेहतर तरीके से समझने के लिए एक उदाहरण लते हैं।

  • मानिए कि रिलायंस इंडस्ट्रीज़ वर्तमान का शेयर, स्पॉट बाज़ार में ₹1,527 पर कारोबार कर रहा है। 
  • आप एक कॉल ऑप्शन खरीदते हैं  (जिसे लॉन्ग कॉल भी कहा जाता है) जिसका स्ट्राइक प्राइस ₹1,500(एट द मनी) है। इस कॉल ऑप्शन के लिए आपको ₹70 का प्रीमियम देना है। 
  • आप एक कॉल ऑप्शन बेचते हैं  (जिसे शॉर्ट कॉल भी कहा जाता है) जिसका स्ट्राइक प्राइस ₹1,600 (आउट ऑफ द मनी)है। इस कॉल ऑप्शन के लिए आपको ₹40 का प्रीमियम मिलेगा।  
  • तो  इस समय आपकी कुल आउट-ऑफ-पॉकेट लागत सिर्फ ₹30 है। देखें कि यह कैसे घटता है?

आइए अब हम रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के शेयरों के विभिन्न संभावित स्पॉट प्राइस के लिए एक्सपायरी पर इन दो ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट के मुनाफ़े/घाटे की गणना करते हैं।

 

 

बी

सी

डी

एफ

जी

एच

 

एक्सपायरी पर स्पॉट प्राइस

लॉन्ग कॉल का स्ट्राइक प्राइस (जो आपने खरीदा)

शॉर्ट कॉल का स्ट्राइक प्राइस (जो आपने बेचा)

क्या आप लॉन्ग कॉल करते हैं?

(नहीं, अगर ए <बी)

(हां, अगर ए> बी)

लॉन्ग कॉल से मुनाफ़ा

क्या आपकी शॉर्ट

कॉल के खरीदार अपने ऑप्शन का उपयोग करते हैं?

(नहीं, अगर ए <सी)

(हां, अगर ए>सी)

आपकी शॉर्ट कॉल से मुनाफ़ा या घाटा

बुल कॉल स्प्रेड से कुल मुनाफ़ा या घाटा

(ई + जी + 40-70)

1)

1,400

1,500

1,600

नहीं

0

नहीं

0

(30)

2)

1,500

1,500

1,600

नहीं/हां

0

नहीं

0

(30)

3)

1,600

1,500

1,600

हां

100

नहीं/हां

0

70

4)

1,700

1,500

1,600

हां

200

हां

(100)

70

तो  अब  यह समझने में थोड़ा समय दें कि यहां हर कॉलम का क्या मतलब है।

A. कॉलम ए कॉन्ट्रैक्ट की एक्सपायरी  पर रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के शेयर के बाज़ार मूल्य को दर्शाता है।

B. कॉलम बी आपके द्वारा खरीदे गए ATM कॉल ऑप्शन के स्ट्राइक प्राइस को दर्शाता है।

C. कॉलम सी आपके द्वारा बेचे गए OTM कॉल ऑप्शन के स्ट्राइक प्राइस को दर्शाता है।

D. अब आपके पास एक ATM कॉल ऑप्शन है, ठीक? तो एक्सपायरी डेट पर ऑप्शन का प्रयोग करेंगे अगर स्ट्राइक प्राइस, स्पॉट प्राइस से कम है (यानी अगर  कॉलम बी,  कॉलम ए से कम है तो) । कॉलम डी इस चुनाव को  दिखाता है।

E. कॉलम ई में  आप अपने ATM कॉल ऑप्शन का प्रयोग करते हैं या नहीं इसके आधार पर संभावित मुनाफ़ा (प्रीमियम भुगतान को हटाकर) देख सकते हैं।

  • उदाहरण के तौर पर 1 और 2 के मामले में आप अपने कॉल ऑप्शन का प्रयोग नहीं करेंगे। तो आप उस ऑप्शन से कोई मुनाफ़ा नहीं कमाएंगे।
  • 3 के मामले में अगर आप अपने कॉल का उपयोग करते हैं और रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के शेयर को ₹1,600 (स्पॉट प्राइस) के बजाय ₹1,500 में खरीदते हैं। इसका मतलब है कि आप ₹100 का मुुनाफ़ा कमाते हैं। है ना?  
  • और 4 के मामले में आपका मुुनाफ़ा ₹200 (₹1,700-1,500) होगा।

F. इसी तरह, OTM कॉल ऑप्शन याद है जिसे आपने बेचा था? अगर उस ऑप्शन के लिए स्ट्राइक प्राइस, स्पॉट प्राइस से कम है (यानी अगर कॉलम सी, कॉलम ए से कम है) तो उस ऑप्शन को खरीदने वाले व्यापारी इसे चुनना पसंद करेंगे। कॉलम F यही दर्शाता है।

G. कॉलम जी में आप उस OTM कॉल को खरीदने वाले व्यापारी के ऑप्शन को प्रयोग करने या ना करने के फैसले के आधार पर संभावित मुुनाफ़ा या घाटा (प्रिमियम हटाकर) देख सकते हैं।

  • उदाहरण के तौर पर, 1, 2 और 3 के मामले में भी वे अपने कॉल ऑप्शन का प्रयोग नहीं करेंगे। तो उस ऑप्शन से आपको कोई मुनाफ़ा/घाटा नहीं होगा।
  • लेकिन 4 के मामले में,  वे ऑप्शन का उपयोग करेंगे क्योंकि वे ₹1,700 स्पॉट प्राइस के बदले ₹1,600 में शेयर खरीद सकते हैं। इसलिए आपको उस शेयर को ₹100 के नुकसान पर बेचना होगा। 

H. कॉलम एच में  हम रणनीति से हुए कुल मुुनाफ़ा/घाटा देखते हैं। इसकी गणना निम्नानुसार की जाती है:

ATM कॉल ऑप्शन से मुनाफ़ा + OTM कॉल से मुनाफ़ा या घाटा+ आपको प्राप्त प्रीमियम (₹40) - आपके द्वारा भुगतान किया गया प्रीमियम (₹70)

आइए एक ग्राफ पर कॉलम एच से पूरे मुनाफ़े/घाटे को देखते हैं कि बुल कॉल स्प्रेड का पैटर्न कैसा दिखता है

इस ट्रेंड के आधार पर यह बुल कॉल स्प्रेड रणनीति से होने वाले मुनाफ़े/घाटे का विवरण यह है:

  • मुुनाफ़े की संभावना: बुल कॉल स्प्रेड से आप जो मुनाफ़ा कमा सकते हैं वह सीमित है। एक बार जब शेयर का स्पॉट प्राइस आपके द्वारा बेचे गए OTM कॉल ऑप्शन के ऊपर बढ़ जाता है तो आपका मुुनाफ़ा रुक जाता है और आप उससे अधिक मुनाफा नहीं कमा सकते। 
  • घाटे की संभावना: जिस तरह से मुनाफ़ा की क्षमता प्रतिबंधित है, ठीक उसी प्रकार अधिकतम घाटा जो आपको झेलना है वह भी सीमित है। अगर बाज़ार की चाल आपकी अपेक्षाओं से मेल नहीं खाती है, तो आप केवल दो कॉल ऑप्शनंस को खरीदने के लिए  दिए गए प्रीमियम की राशि खो देंगे।      

बेयर पुट स्प्रेड

बेयर पुट स्प्रेड रणनीति बुल कॉल स्प्रेड का विपरीत है। यह आमतौर पर उन व्यापारियों द्वारा उपयोग किया जाती है जो शेयर की कीमत में गिरावट की उम्मीद कर रहे हैं। भले ही यह रणनीति मुनाफ़े को सीमित करती है, लेकिन अभी भी यह बहुत सारे लोगों द्वारा पसंद की जाती है क्योंकि यह पूरे आउट-ऑफ-पॉकेट लागत को भी कम कर सकती है। बेयर पुट स्प्रेड रणनीति पर एक नज़र डालते हैं: 

  • निष्पादन/ एग़्जिक्यूशन: बेयर पुट स्प्रेड को अंजाम देने के लिए आप इन द मनी (ITM) पुट ऑप्शन खरीदते हैं और आउट ऑफ द मनी (OTM) पुट ऑप्शन बेच देते हैं।
  • बाज़ार की अपेक्षित चाल: बेयर पुट स्प्रेड में आपका मार्केट व्यू मंदी का होता है क्योंकि आप अभी भी शेयर की कीमत गिरने की उम्मीद करते हैं, लेकिन बहुत ज़्यादा नहीं। 

 इस रणनीति को बेहतर ढंग से समझने के लिए यहां एक उदाहरण है।

  • मानिए कि रिलायंस इंडस्ट्रीज़ का शेयर वर्तमान में स्पॉट बाज़ार में ₹1,527 पर कारोबार कर रहा है। 
  • आप एक पुट ऑप्शन खरीदते हैं  (जिसे लॉन्ग पुट भी कहा जाता है) जिसका स्ट्राइक प्राइस ₹1,600(एट द मनी) है। इस पुट ऑप्शन के लिए आपको ₹70 का प्रीमियम देना होता है। 
  • आप एक पुट ऑप्शन बेचते हैं  (जिसे शॉर्ट पुट भी कहा जाता है) जिसका स्ट्राइक प्राइस ₹1,500(आउट ऑफ द मनी) है। इस पुट ऑप्शन के लिए आपको ₹40 का प्रीमियम देना होता है। 
  • तो अब आपकी कुल आउट-ऑफ-पॉकेट लागत एक बार फिर ₹30 है।

आइए अब हम रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के विभिन्न संभावित शेयर मूल्यों के लिए एक्सपायरी पर, इन दो ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट से होने वाले मुनाफ़े/घाटे की गणना करते हैं।

 

बी

सी

डी

एफ

जी

एच

 

एक्सपायरी पर स्पॉट प्राइस

लॉन्ग पुट का स्ट्राइक प्राइस (जो आपने खरीदा)

शॉर्ट पुट का स्ट्राइक प्राइस (जो आपने बेचा)

क्या आप लॉन्ग पुट का उपयोग करते हैं?


(नहीं, अगर ए> बी)

(हां, अगर ए <बी)



आपके लॉन्ग पुट से मुनाफ़ा

क्या आपके शॉर्ट पुट के खरीदार ने अपने ऑप्शन का उपयोग किया है?


(नहीं, अगर ए> सी)

(हां, अगर ए<सी)

आपके शॉर्ट पुट से मुनाफ़ा या घाटा

बेयर पुट स्प्रेड से कुल मुनाफ़ा या घाटा

(ई + जी + 40-70)

1)

1,700

1,600

1,500

नहीं

0

नहीं

0

(30)

2)

1,600

1,600

1,500

नहीं/हां

0

नहीं

0

(30)

3)

1,500

1,600

1,500

हां

100

नहीं/हां

0

70

4)

1,400

1,600

1,500

हां

200

हां

(100)

70

तो अब यह समझते हैं कि यहां हर कॉलम का क्या मतलब है।

A. कॉलम ए कॉन्ट्रैक्ट की एक्सपायरी पर रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के शेयर के बाज़ार मूल्य को दर्शाता है।

B. कॉलम बी आपके द्वारा खरीदे गए ITM पुट ऑप्शन का स्ट्राइक प्राइस दर्शाता है।

C. कॉलम सी आपके द्वारा बेचे गए OTM पुट ऑप्शन का स्ट्राइक प्राइस दिखाता है।

D. अब आपके पास एक ITM पुट ऑप्शन है, है ना? एक्सपायरी की तारीख  पर आप इस ऑप्शन को बेचने का फैसला करेंगे अगर स्ट्राइक प्राइस, स्पॉट प्राइस से अधिक है (यानी अगर कॉलम बी  कॉलम ए से अधिक है तो)। कॉलम डी आपके इस फैसले को ही दिखाता है।

E. कॉलम ई  में आप अपने ITM पुट ऑप्शन का प्रयोग करते हैं या नहीं, इसके आधार पर संभावित मुनाफ़ा (प्रीमियम हटाकर) देख सकते हैं।

  • उदाहरण के तौर पर,  1 और 2 के मामले में, आप अपने पुट ऑप्शन का प्रयोग नहीं करेंगे। तो आप उस ऑप्शन से कोई मुनाफ़ा नहीं कमाएंगे।
  • 3 के मामले में अगर आप अपने पुट का उपयोग करते हैं  तो आप रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के शेयर को ₹1,500 (स्पॉट प्राइस) के बदले ₹1,600 में बचेंगे। इसका मतलब है कि आप ₹100 का मुनाफ़ा कमाते हैं। है ना?
  • और 4 के मामले में आपका मुनाफ़ा ₹200 (₹1,600-₹1,400) होगा। 

F. इसी तरह, OTM पुट ऑप्शन याद है ना, जिसे आपने बेचा था? अगर उस ऑप्शन के लिए स्ट्राइक प्राइस, स्पॉट प्राइस से अधिक है (यानी अगर कॉलम सी,  कॉलम ए  से अधिक है) तो उस ऑप्शन को खरीदने वाले व्यापारी इसे चुनना पसंद करेंगे। कॉलम F यही दर्शाता है।

G. कॉलम जी में आपके OTM को खरीदने वाले व्यापारी ने उस ऑप्शन का प्रयोग किया है या नहीं, इस आधार पर आप संभावित मुनाफ़ा या घाटा ( प्रीमियम को हटाकर) को देख सकते हैं।

  • उदाहरण के तौर पर 1, 2 और 3 के मामले में भी वे अपने पुट ऑप्शन का प्रयोग नहीं करेंगे। तो आपको उस ऑप्शन से कोई मुनाफ़ा/घाटा नहीं होगा।
  • लेकिन 4 के मामले में  वे ऑप्शन का उपयोग करेंगे क्योंकि वे शेयर आपको 1,400 के स्पॉट प्राइस के बदले ₹1,500 में बेच सकते हैं। तो आपको उस शेयर को ₹100 के घाटे पर खरीदना होगा।

H. कॉलम एच में हम इस रणनीति से हुए कुल मुनाफ़े/घाटे को देखते हैं। इसकी गणना निम्नानुसार की जाती है:

ITM पुट ऑप्शन से मुनाफ़ा + OTM पुट से होने वाला मुनाफ़ा या घाटा+ प्राप्त प्रीमियम (₹40) - आपके द्वारा भुगतान किया गया प्रीमियम (₹70)

आइए एक ग्राफ पर कॉलम एच से पूरे मुनाफ़े/घाटे को प्लॉट करते हैं और जानते हैं कि बेयर पुट स्प्रेड का पैटर्न कैसा दिखता है।

इस उदाहरण के आधार पर बेयर पुट स्प्रेड रणनीति से होने वाले मुनाफ़े/घाटे का विवरण :

  • मुुनाफ़े की संभावना: एक बेयर पुट स्प्रेड से आप जो मुनाफ़ा कमा सकते हैं वह सीमित है। एक बार जब शेयर का स्पॉट प्राइस, आपके द्वारा बेचे गए OTM पुट ऑप्शन की कीमत से कम हो जाता है, तो आपका मुनाफ़ा रुक जाता है और आप उससे अधिक मुनाफ़े का आनंद नहीं उठा सकते।
  • घाटे की संभावना: इस रणनीति से आपका अधिकतम नुकसान भी सीमित होता है। अगर बाज़ार आपकी अपेक्षाओं के अनुसार नहीं चलता है, तो आप केवल दो पुट ऑप्शनों को खरीदने के लिए दिए गए प्रीमियम की राशि खो देंगे।

निष्कर्ष

अब हम भारत में ऑप्शन ट्रेडिंग की रणनीतियों पर इस अध्याय के अंत में आ गए हैं। ये चार, सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली व्यापारिक रणनीतियों में से हैं। अपने ट्रेड के लिए सही रणनीति के बारे में अधिक जानने के लिए, ऑप्शन ग्रीक के बारे में आपको ज़रूर पढ़ना चाहिए। अगर आप यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि यह क्या हैं? तो अगला अध्याय इसके बारे में ही है।

अब तक आपने पढ़ा

  • लॉन्ग कॉल ऑप्शन, ट्रेडिंग रणनीतियों में से सबसे सरल है। यह उन निवेशकों के लिए एक शानदार रणनीति है, जो कॉन्ट्रैक्ट की एक्सपायरी तक शेयर की कीमत बढ़ने की उम्मीद करते हैं।
  • किसी लॉन्ग कॉल को एग्ज़िक्यूट करने के लिए  आपको शेयर का कॉल ऑप्शन खरीदने की आवश्यकता है। और जब आप शेयर की कीमत के बढ़ने की उम्मीद करते हैं, तो आपका मार्केट व्यू तेज़ी का होता है।
  • लॉन्ग पुट, एक लॉन्ग कॉल का विपरीत है। अगर आप कॉन्ट्रैक्ट की एक्सपायरी तक किसी शेयर की कीमत के गिरने की अपेक्षा करते हैं तो आप इस रणनीति का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • एक लॉन्ग पुट को एग्ज़िक्यूट करने के लिए आपको बस एक शेयर के पुट ऑप्शन को खरीदना होगा।
  • आपका मार्केट व्यू यहां मंदी का है क्योंकि आप शेयर की कीमत के कम होने की उम्मीद कर रहे हैं।
  • बुल कॉल स्प्रेड रणनीति में आमतौर पर व्यापारी शेयर की कीमत में बढ़ोतरी की अपेक्षा करते हैं। हालांकि यह रणनीति मुनाफ़े को सीमित करती है, लेकिन बहुत सारे व्यापारी इसे पसंद करते हैं क्योंकि यह पूरे आउट-ऑफ-पॉकेट लागत को भी कम कर सकता है।
  • एक बुल कॉल स्प्रेड को एग्ज़िक्यूट करने के लिए आप इन द मनी  (ITM) कॉल ऑप्शन की खरीदारी करते हैं और आउट ऑफ मनी (OTM) कॉल ऑप्शन बेचते हैं। दोनों कॉल ऑप्शनों के लिए एक ही मूलभूत शेयर और एक ही एक्सपायरी डेट होती है।
  • बुल कॉल स्प्रेड के साथ आपके बाज़ार का व्यू मध्यम रूप से बुलिश होता है क्योंकि आप अभी भी शेयर की कीमत  के बढ़ने की उम्मीद करते हैं लेकिन बहुत ज़्यादा नहीं।
  • बेयर पुट स्प्रेड रणनीति बुल कॉल स्प्रेड के विपरीत है। यह आमतौर पर उन व्यापारियों द्वारा उपयोग की जाती है जो शेयर की कीमत में गिरावट की उम्मीद कर रहे हैं। भले ही यह रणनीति मुनाफ़े को सीमित करती है, लेकिन यह अभी भी कई लोगों द्वारा पसंद की जाती है, क्योंकि यह पूरे आउट-ऑफ-पॉकेट लागत को भी कम कर सकती है।
  • एक बेयर पुट स्प्रेड को एग्ज़िक्यूट करने के लिए आप इन द मनी(ITM) पुट ऑप्शन खरीदते हैं और आउट ऑफ मनी (OTM) पुट ऑप्शन बेचते हैं।
  • बेयर पुट स्प्रेड में आपका मार्केट व्यू मंदी का होता है क्योंकि आप अभी भी शेयर की कीमत गिरने की उम्मीद करते हैं, लेकिन बहुत ज्यादा नहीं।
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