कच्चा तेल: बाजार और उसके खिलाड़ी

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पिछले अध्याय में, हमने कच्चे तेल के दिलचस्प इतिहास और इससे जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में पढ़ा। इस अध्याय में हम कच्चे तेल के बाज़ार से जुड़े कुछ अहम किरदारों के बारे में जानेंगे। इससे आप बेहतर तरीके से समझ पाएंगे कि कच्चे तेल का बाज़ार कैसे काम करता है और इसकी कीमत में बदलाव से बाज़ार के अहम किरदारों पर क्या प्रभाव पड़ता है|

तो, बिना किसी देरी के, चलिए इसे समझते हैं।

कच्चा तेल: प्रमुख किरदार

कच्चे तेल को निकालना और रिफाइन करके अक्सर इस्तेमाल होने वाले पेट्रोलियम उत्पादों में बदलना कोई आसान काम नहीं है। इसके लिए बहुत ज़्यादा मात्रा में निवेश की आवश्यकता होती है और यह एक बहुत ही मुश्किल प्रक्रिया है।

कच्चे तेल को वायबल ईंधन और अन्य पेट्रोकेमिकल उत्पादों में बदलने की प्रक्रिया में तीन अलग-अलग प्रकार की कंपनियों शामिल होती हैं - अपस्ट्रीम कंपनियां, मिडस्ट्रीम कंपनियां और डाउनस्ट्रीम कंपनियां। आइए, इन पर एक नज़र डालते हैं।

अपस्ट्रीम कंपनियां

कच्चे तेल को निकालने के लिए सही जगह ढूंढना उतना आसान नहीं है, जितना कि बस ज़मीन में एक छेद कर देना। इसमें कई चीज़ें शामिल हैं जैसे जगह की मॉनिटरिंग, जियोलॉजिकल सर्वे, सीस्मिक सर्वे, नमूनों का निरीक्षण वगैरह। तेल के कुएं का पता चलने के बाद ड्रिलिंग और तेल रिग की सेटिंग शुरू की जाती है।

तेल के कुएं से कच्चे तेल को खोजने में, उसे पहचानने में और फिर  निकालने में कई साल लग जाते हैं। जो कंपनियां इन गतिविधियों में शामिल होती हैं, उन्हें आमतौर पर अपस्ट्रीम कंपनियों के रूप में जाना जाता है। क्योंकि इस प्रक्रिया में बहुत ज़्यादा पूंजी की ज़रूरत होती है, इसे करने के लिए ऐसी अपस्ट्रीम कंपनियों आगे आती हैं जिनके पास बहुत सारे ऐसेट्स और एक बड़ा कैपिटल एक्सपेंडिचर बजट होता है। रिलायंस इंडस्ट्रीज, ओएनजीसी और केयर्न इंडिया भारत में अपस्ट्रीम कंपनियों के कुछ उदाहरण हैं।

कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें से अपस्ट्रीम कंपनियों को फायदा होता है, क्योंकि वो क्रूड ऑयल के बैरल ज़्यादा कीमत पर डाउनस्ट्रीम कंपनियों को बेच सकती हैं। इससे उनके प्रॉफिट मार्जिन में बढ़ोतरी होती है। अगर कच्चे तेल की कीमतें कम होती हैं, तो अपस्ट्रीम कंपनियों को घाटा होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रत्येक कंपनी का एक ब्रेक इवन पॉइंट होता है और जब तेल की कीमत उस बिंदु से नीचे गिरती है, तो उन्हें नुकसान होने लगता है।

मिडस्ट्रीम कंपनियां

मिडस्ट्रीम कंपनियां का काम अपस्ट्रीम कंपनियों द्वारा निकाले गए कच्चे तेल को इकठ्ठा करके रखना है| साथ ही वो तेल की प्रोसेसिंग और रिफाइनमेंट के लिए उसे डाउनस्ट्रीम कंपनियों तक पहुंचाती है| परिवहन के तीन प्राथमिक चैनल हैं - पाइपलाइन, तेल टैंकर और जहाज़|

मिडस्ट्रीम कंपनियां तेल को निकालने और उसके रिफाइनमेंट के बीच की कड़ी हैं, इसलिए वे न तो ज़्यादा और न ही कम तेल की कीमतों को पसंद करती हैं। उनके लिए कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता ही बेहतर है| अगर तेल की कीमतों के कारण अपस्ट्रीम या डाउनस्ट्रीम कंपनियां प्रभावित होती हैं, तो मिडस्ट्रीम कंपनियों को भी इसका खामियाज़ा भुगतना पड़ता है।

डाउनस्ट्रीम कंपनियां

अब तक आपको डाउनस्ट्रीम कंपनियों के बारे में अंदाज़ा हो गया होगा| कच्चे तेल को विभिन्न पेट्रोकेमिकल उत्पादों में रिफाइन करने वाली कंपनियों को आमतौर पर डाउनस्ट्रीम कंपनियों के रूप में जाना जाता है।

डाउनस्ट्रीम कंपनियों का काम केवल कच्चे तेल को रिफाइन करने तक ही सीमित नहीं है| उनका कार्य अपने उत्पादों की मार्केटिंग करना और उन्हें अन्य व्यक्तियों और व्यापारियों तक पहुंचाना भी है| बीपीसीएल, एचपीसीएल और इंडियन ऑयल भारतीय डाउनस्ट्रीम कंपनियों के कुछ उदाहरण हैं। यदि आप उन पर एक नज़र डालें, तो आप आसानी से पता लगा सकते हैं कि ये कंपनियां न केवल कच्चे तेल को रिफाइन करती हैं, बल्कि उपभोक्ताओं को पेट्रोल, डीज़ल और लिक्विड पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) जैसे बाय प्रोडक्ट्स यानी उप-उत्पाद भी बेचती हैं।

इन कंपनियों को कच्चे तेल की कम कीमतों से बहुत फायदा होता है क्योंकि वे अपस्ट्रीम कंपनियों से सस्ते में तेल खरीद सकती हैं। तेल की कम कीमतों का लाभ आमतौर पर उपभोक्ताओं को जल्दी नहीं दिया जाता है, इसलिए डाउनस्ट्रीम कंपनियों अपने लाभ मार्जिन को बढ़ा सकती हैं|

कच्चा तेल: बाज़ार में विभिन्न प्रकार

कच्चे तेल की विशेषताएं जैसे चिपचिपापन, रंग, मोटाई और अस्थिरता अलग अलग हो सकती हैं| ये इस बात पर निर्भर करता है कि तेल का कुआं कहां है या फिर वहां की भौगोलिक स्थितियां कैसी हैं| कच्चे तेल के कुछ प्रकार मोटे और काले दिखते हैं, जबकि अन्य पतले और थोड़े पीले रंग के होते हैं।

कच्चे तेल के बाज़ार में दो प्राथमिक प्रकार हैं - ब्रेंट क्रूड और वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI)। इनका व्यापार एक्सचेंज में डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स द्वारा किया जाता है| आइए, इन दोनों के बीच के अंतर पर एक नज़र डालते हैं।

ब्रेंट क्रूड

ब्रेंट क्रूड कई तेल कुओं से निकाले गए विभिन्न कच्चे तेलों का मिश्रण है।  इसमें सल्फर की मात्रा कम होती है (लगभग 0.37%) और एपीआई ग्रेविटी लेवल 38.06 होता है। 10 से अधिक एपीआई ग्रेविटी स्तर का मतलब है कि तेल हल्का है और पानी पर तैर सकता है। क्योंकि ब्रेंट का एपीआई ग्रेविटी स्तर 10 से अधिक है, तो ये पानी पर आसानी से तैर सकता है।

एमसीएक्स वेबसाइट पर आप जो क्रूड ऑयल डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट देखते हैं, वह दरअसल ब्रेंट क्रूड पर आधारित है क्योंकि इसे व्यापक रूप से कच्चे तेल के लिए अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क माना जाता है।

वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI)

WTI की विशेषताएं ब्रेंट क्रूड की तुलना में काफी बेहतर हैं। इसमें सल्फर की मात्रा बहुत कम है (केवल 0.26% के आसपास) और इसका एपीआई ग्रेविटी स्तर 39.6 है। इसलिए WTI को ब्रेंट क्रूड से कहीं बेहतर क्रूड ऑयल वेरिएंट माना जाता है। WTI को U.S.A. में तेल के कुओं से निकाला जाता है, जो कि इसके नाम से ही काफी स्पष्ट है। यह विशेष रूप से यू.एस. एक्सचेंजों पर कारोबार करता है और भारत में उपलब्ध नहीं है।

Wrapping up (समापन)

इसके साथ, हम कच्चे तेल पर आधारित एक और अध्याय के अंत में आ गए हैं। इससे आपको कच्चे तेल के बाज़ार की संरचना का अच्छा अंदाज़ा हो गया होगा। अगले अध्याय में, हम कच्चे तेल के डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट के बारे में जानेंगे| तब तक, हमारे साथ बने रहें!

 ए क्विक रीकैप

  • कच्चे तेल को वायबल ईंधन और अन्य पेट्रोकेमिकल उत्पादों में बदलने की प्रक्रिया में तीन अलग-अलग प्रकार की कंपनियां शामिल होती हैं - अपस्ट्रीम कंपनियां, मिडस्ट्रीम कंपनियां और डाउनस्ट्रीम कंपनियां।
  • तेल के कुएं से कच्चे तेल को खोजने में, उसे पहचानने में और फिर  निकालने में कई साल लग जाते हैं। जो कंपनियां इन गतिविधियों में शामिल होती हैं, उन्हें आमतौर पर अपस्ट्रीम कंपनियों के रूप में जाना जाता है।
  • मिडस्ट्रीम कंपनियां का काम अपस्ट्रीम कंपनियों द्वारा निकाले गए कच्चे तेल को इकठ्ठा करके रखना है| साथ ही वे तेल की प्रोसेसिंग और रिफाईनमेंट के लिए उसे डाउनस्ट्रीम कंपनियों तक पहुंचाती हैं| 
  • कच्चे तेल को विभिन्न पेट्रोकेमिकल उत्पादों में रिफाइन करने वाली कंपनियों को आमतौर पर डाउनस्ट्रीम कंपनियों के रूप में जाना जाता है।
  • कच्चे तेल के बाज़ार में दो प्राथमिक प्रकार हैं - ब्रेंट क्रूड और वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI)। एक्सचेंज में इनका व्यापार डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स के द्वारा किया जाता है|
  • एमसीएक्स वेबसाइट पर आप जो क्रूड ऑयल डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट देखते हैं, वह ब्रेंट क्रूड पर आधारित है क्योंकि इसे व्यापक रूप से कच्चे तेल के लिए अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क माना जाता है।
  • WTI को U.S.A. में तेल के कुओं से निकाला जाता है, जो कि इसके नाम से ही स्पष्ट है। यह विशेष रूप से यू.एस. एक्सचेंजों पर कारोबार करता है और भारत में उपलब्ध नहीं है।
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