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फंडामेंटल विश्लेषण और तकनीकी विश्लेषण के बीच अंतर
4.2
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पिछले अध्याय की बात करें, तो आपको याद होगा कि हमने वहाँ टेक्निकल एनालिसिस पर संक्षेप में बात की थी। आइए, इस तकनीक के बारे में और जानें और देखें कि यह फंडामेंटल एनालिसिस से कैसे अलग है।
चलिए, आम भाषा में फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस के अंतर को समझने के लिए सूरज और पंकज का उदाहरण लेते हैं।
ये दोनों रियल एस्टेट बाज़ार में मकान की तलाश कर रहे हैं। हालांकि, सूरज घर खरीदना चाहता है और पंकज केवल किराए पर घर लेना चाहता है।
घर खरीदने से पहले सूरज किन बातों पर ध्यान देना चाहेगा, यहां देख लेते हैं:
- क्या घर खरीदने के लिए शहर में यह इलाक़ा बढ़िया है?
- क्या इस इलाके की ज़मीन की कीमत भविष्य में बढ़ेगी?
- आसपास कैसा माहौल है?
- क्या घर की कीमत उचित है और बाज़ार की कीमतों के अनुरूप है, या यह अधिक है?
- क्या यह निवेश समय के साथ बढ़ता जाएगा?
इस बीच, पंकज के दिमाग में कुछ अन्य चीजें हैं, क्योंकि वह घर सिर्फ किराए पर ले रहा है:
- कितना एडवांस देना पड़ सकता है?
- पिछले कुछ वर्षों में किराए के ट्रेंड क्या रहे हैं?
- अगले साल किराया बढ़ने की कितनी संभावना है?
- मकान के किराए में बढ़ोतरी के क्या उप-नियम हैं?
- मकान मालिक की क्या शर्तें हैं?
तो आपने देखा कि उनकी प्राथमिकताएं और चिंताएं कितनी अलग हैं? सूरज के सवाल मुख्य रूप से भविष्य पर केंद्रित हैं और प्रॉपर्टी और उससे जुड़ी संभावनाओं पर ध्यान देते हैं, वहीं, पंकज किराए के रूझानों के बारे में ज्यादा चिंतित हैं।
इसी तरह, फंडामेंटल एनालिसिस लंबी अवधि के निवेशकों की मदद कर सकता है, जबकि शेयरों का टेक्निकल एनालिसिस छोटी अवधि के ट्रेडरों के लिए उपयोगी साबित हो सकता है।
टेक्निकल एनालिसिस, फंडामेंटल एनालिसिस से कैसे अलग है ये जानने से पहले, आइए, टेक्निकल एनालिसिस को बेहतर तरीके से समझ लेते हैं:
टेक्निकल एनालिसिस क्या है?
मानिए कि एक व्यापारी है जो शेयर बाज़ार में व्यापार कर के छोटी अवधि में मुनाफा कमाना चाहता है। वह काफी समय से किसी स्टॉक को फॉलो कर रहा है। इससे जुड़े आंकड़े यहां देखें:
- फिलहाल शेयर ₹80 की कीमत पर कारोबार कर रहा है।
- कुछ दिनों के बाद यह गिरकर लगभग ₹60 पर आ जाता है।
शुरुआत में, आप सोच सकते हैं कि यह स्टॉक निवेश के लायक नहीं है क्योंकि यह डाउनट्रेंड पर है यानी गिरावट की ओर जा रहा है। दूसरी ओर, व्यापारी इसे शेयर खरीदने के अवसर के रूप में देखता है।
लेकिन एक शेयर जो कुछ दिनों से लगातार गिर रहा है वह खरीद का अवसर कैसे हो सकता है? शायद यही सवाल आपके दिमाग में चल रहा है, है कि नहीं? व्यापारी की इस सोच के पीछे एक ठोस तर्क है। आइए एक नज़र डालते हैं कि वह क्या है:
- वह व्यापारी असल में अपने 52-सप्ताह के प्राइस चार्ट का उपयोग करके शेयर के पिछले मूल्य रूझानों को पढ़कर उनका विश्लेषण कर रहा है।
- प्राइस चार्ट का गहन विश्लेषण करने पर, उसने पाया कि पूरे 52-सप्ताह की अवधि में स्टॉक में कई उतार-चढ़ाव आए हैं।
- इसकी कीमत में उतार-चढ़ाव के बावजूद, शेयर ₹50 से नीचे नहीं गिरा है और, यह हमेशा ₹50 के आसपास आकर वापस छलांग लगाता है।
- चूंकि शेयर 52-सप्ताह की अवधि में इसी पैटर्न पर कारोबार कर रहा है, व्यापारी ने निष्कर्ष निकाला कि यह संभावना है कि इस बार भी ऐसा ही होगा।
- इस विश्लेषण के आधार पर, व्यापारी ने मौजूदा मूल्य (₹60) पर शेयर ख़रीदा।
- इसलिए, अगर शेयर आगे भी नीचे गिरता है, तो व्यापारी निश्चिंत है कि कीमत ₹50 से नीचे नहीं आएगी। और कुछ ही हफ्तों या महीनों में इसमें वापस उछाल आएगा।
- जैसे ही शेयर ₹60 के ऊपर छलांग लगाएगा, व्यापारी उस शेयर को मुनाफ़े पर बेच देगा।
यह तकनीक जिसे व्यापारी छोटी अवधि में खरीद के अवसर की पहचान करने के लिए उपयोग करते हैं, वह शेयर के टेक्निकल एनालिसिस का एक बड़ा उदाहरण है।
टेक्निकल एनालिसिस की परिभाषा
टेक्निकल एनालिसिस को एक ऐसी तकनीक के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो ऐतिहासिक डाटा का उपयोग करके शेयरों के भविष्य के मूल्य रूझानों का अनुमान लगाती है। इसमें ट्रेडिंग के अवसरों की पहचान करने के लिए चार्ट, ग्राफ, पैटर्न और रूझानों का अध्ययन शामिल है। दो सबसे महत्वपूर्ण शेयर डाटा जो शेयर का टेक्निकल एनालिसिस करते हैं, वे हैं - मूल्य और मात्रा यानी शेयर की कीमत और ट्रेड वॉल्यूम।
अब जब आप जानते हैं कि टेक्निकल एनालिसिस क्या है, तो आइए देखें कि यह फंडामेंटल एनालिसिस से अलग कैसे है।
फंडामेंटल एनालिसिस बनाम टेक्निकल एनालिसिस
जैसा कि आप अब तक जान चुके हैं, फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस, दोनों निश्चित रूप से एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। वे कंपनी के स्टॉक का विश्लेषण करने के 2 तरीके हैं। चलिए, इन दोनों के बीच कुछ प्राथमिक अंतरों पर एक नज़र डालते हैं:
फंडामेंटल एनालिसिस |
टेक्निकल एनालिसिस |
|
आंकड़ों के स्रोत |
फंडामेंटल एनालिसिस किसी कंपनी के वित्त, मैनेजमेंट और इंडस्ट्री से जुड़े डाटा का उपयोग करता है। |
टेक्निकल एनालिसिस एक कंपनी के शेयरों की ऐतिहासिक कीमत और ट्रेड वॉल्यूम के रूझानों का उपयोग करता है। |
विश्लेषण का उद्देश्य |
इस तकनीक का उपयोग किसी कंपनी के मूल्य का पता लगाने और यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि बाज़ार में शेयर का मूल्यांकन कम है या ज्यादा, यानी शेयर अंडरवैल्यूड है या ओवरवैल्यूड |
इस तकनीक का उपयोग व्यापारिक अवसरों की पहचान करने के लिए किया जाता है। |
समय-सीमा |
फंडामेंटल एनालिसिस में लंबी अवधि के निवेश का नज़रिया होता है। |
टेक्निकल एनालिसिस में निवेश का नज़रिया छोटी अवधि का होता है। |
आंकड़ों की जाँच |
यह दृष्टिकोण एक कंपनी के एसेट, लायाबिलिटी, राजस्व, व्यय, कैश फ्लो और फाइनेंशियल रेशियोज़ की जांच करता है। |
यह किसी शेयर के मूल्य और मात्रा चार्ट, ग्राफ, रुझान और पैटर्न का अध्ययन करता है। |
जानकारी की प्रकृति |
फंडामेंटल एनालिसिस में निवेश का फैसला कंपनी से जुड़ी जानकारी पर आधारित होता है। |
टेक्निकल एनालिसिस में ट्रेडिंग का फैसला बाज़ार की जानकारी के आधार पर किया जाता है। |
निष्कर्ष
जैसा कि आपने देखा, फंडामेंटल एनालिसिस में निवेश का फैसले कंपनी से जुड़ी जानकारी पर आधारित होते हैं। यहां आपको एक अहम डॉक्यूमेंट ध्यान में आ रहा होगा, जिसे हमने पिछले अध्याय में पढ़ा था, हम बात कर रहे हैं वार्षिक रिपोर्ट की। कंपनी द्वारा तैयार किए गए इस दस्तावेज़ में बहुत-सी अहम जानकारी होती है जो फंडामेंट एनालिसिस को संभव बनाती है।
वार्षिक रिपोर्ट के बारे में और जानने के लिए अगले अध्याय की ओर बढ़ें।
अब तक आपने पढ़ा
- फंडामेंटल एनालिसिस लंबी अवधि के निवेशकों की मदद कर सकता है, जबकि टेक्निकल एनालिसिस छोटी अवधि के व्यापारियों के लिए उपयोगी साबित हो सकता है।
- टेक्निकल एनालिसिस को एक ऐसी तकनीक के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो ऐतिहासिक डाटा का उपयोग कर के शेयरों के भविष्य के मूल्य रुझानों का अनुमान लगाती है। इसमें ट्रेड अवसरों की पहचान करने के लिए चार्ट, ग्राफ, पैटर्न और रुझानों का अध्ययन शामिल है।
- फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस कई पहलुओं पर एक दूसरे से अलग हैं, जैसे उपयोग किए गए डाटा का स्रोत, आंकड़ों की जांच, निवेश की समय-सीमा, और विश्लेषण का उद्देश्य आदि।
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