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बीमा
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भारत में बीमा की शुरुआत कैसे हुई
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जीवन बीमा करवाना विमान से ये जानते हुए गिरने जैसा है कि आपका पैराशूट 100% खुल जाएगा।
क्या आपके पास बीमा है? आपके पास कौन से उत्पाद हैं जो बीमाकृत हैं?
आज हजारों तरह के बीमा मौजूद हैं, जिनमें जीवन, स्वास्थ्य, अग्नि, घर से लेकर किराएदार, यात्रा, यहां तक कि फोन, लैपटॉप और हमारे पास मौजूद कारें शामिल हैं।
क्या भारतीयों को जोखिम लेना पसंद है?
भारतीयों को शायद जोखिम लेना पसंद नहीं, क्योंकि वे 3000 ईसा पूर्व से मनुस्मृति, धर्मशास्त्र और अर्थशास्त्र में बीमा का पाठ सीखते आ रहे हैं। प्राचीन युग में अगर किसी व्यक्ति या गांव को प्राकृतिक आपदाएं झेलनी पड़ती हैं, तो पड़ोसी गांव व समुदाय उनकी सहायता के लिए आगे आते हैं। समय के साथ-साथ इस प्रक्रिया का आधुनिकीकरण हो गया है जिसे हम आज बीमा कहते हैं।
चलिए 3000 ई.पू. में चलते हैं
परिस्थिति 1:
राजू बंगाल क्षेत्र में समुद्र के निकट एक छोटे से गांव का निवासी है। इस साल ज़्यादा अधिक बारिश के कारण उनके गांव में बाढ़ आ गई है। संकट की इस घड़ी में आस-पास के गांवों ने धन इकट्ठा किया, जिसे प्रभावित क्षेत्र के लोगों के बीच बांटा गया।
करीब 3000 ईसा पूर्व में यह एक आम बात थी। ग्रामीण संसाधनों को इकट्ठा किया जाता था जिन्हें अकाल, बाढ़ आदि प्राकृतिक आपदाओं के मामले में वितरित किया जा सके। यह आधुनिक समय के बीमा की झलक की तरह था।
परिस्थिति 2:
संयुक्त परिवारों ने जरूरत के समय में सदस्य को वित्तीय सहायता प्रदान करके दुख और चिंताएं साझा की।
जमीला ने पिछले साल अपने पिता को खो दिया। अब उसे शादी करने की जरूरत है। उसके परिवार के सभी सदस्यों ने उसकी शादी के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जिससे जमीला की शानदार शादी हुई।
संयुक्त परिवारों का एकल परिवारों में बदलना और आधुनिक समय के तनाव ने बीमा के वैकल्पिक तरीकों को जन्म दिया। बीमा शब्द का मतलब समय के साथ बदला है, लेकिन इसका एक मतलब आज भी वही है- आपको अप्रत्याशित समय में बचाना।
आधुनिक बीमा का भारत में प्रवेश
अब जब हम जानते हैं कि "बीमा" शब्द से दुनिया का परिचय कैसे हुआ, तो अब जानते हैं कि भारत में आधुनिक बीमा कैसे आया?
आप शायद भारत के औपनिवेशिक इतिहास के बारे में जानते होंगे। और अपेक्षित रूप से, हमारी बीमा की दुनिया भी इंग्लैंड से ही लाई गई थी। ब्रिटिश अन्य देशों के साथ भारतीय वस्तुओं का व्यापार करना चाहते थे। इसलिए उन्हें सामान्य बीमा की आवश्यकता थी जो भारतीय बाजार में कई विकल्प लेकर आया। इन बीमा विकल्पों ने उचित आचरण और सही व्यापार प्रथाओं को सुनिश्चित किया।
जीवन बीमा की भी आवश्यकता पैदा हुई, जिसे भारत में तब पेश किया गया जब ओरिएंटल लाइफ इंश्योरेंस कंपनी कोलकाता में वर्ष 1818 में स्थापित हुई। लेकिन 1834 में यह विफल हो गई। यह पहली बीमा कंपनी थी जिसने भारतीय जमीन पर काम करना शुरू किया था।
साल 1870 में, भारत में बीमा क्षेत्र के लिए कुछ समाचार आया, इसने ब्रिटिश बीमा अधिनियम के पारित होने का संंदेश दिया। इसने बहुत सारी ब्रिटिश बीमा कंपनियों को भारत में स्वतंत्र रूप से कार्य करने की अनुमति, जिससे भारतीय कंपनियों को कड़ी प्रतियोगिता मिली।
हैरी और जय की मुलाकात
ब्रिटिश काल में जय और हैरी सबसे अच्छे दोस्त थे। वे दोनों एक सुरक्षित जीवन जीना चाहते थे इसलिए उन्हें जीवन बीमा की आवश्यकता थी। वे बीमा प्रदान करने वाली कई कंपनियों में गए, जिनके नाम अल्बर्ट लाइफ एश्योरेंस व रॉयल इंश्योरेंस आदि थे।
ये हैरानी की बात नहीं थी कि जय को उसी जीवन बीमा के लिए ₹600 का प्रीमियम देना पड़ा जिसके लिए हैरी ने ₹500 का प्रीमियम दिया था। जब भारत में बीमा उद्योग शुरू हुआ, तो भारतीयों को उसी बीमा के लिए ब्रिटिश निवासियों की तुलना में 20 फीसदी तक का ज्यादा प्रीमियम देना पड़ता था।
1870 में क्या बदला?
इस पैटर्न को तोड़ने के लिए 1870 में एक भारतीय द्वारा पहली बीमा कंपनी, बॉम्बे लाइफ एश्योरेंस कंपनी स्थापित हुई। इसने अतिरिक्त प्रीमियम के बिना भारतीयों का बीमा करना शुरू कर दिया।
बॉम्बे लाइफ एश्योरेंस कंपनी के बाद हैरी और जय समान प्रीमियम राशि का भुगतान करके समान लाभ उठा सकते थे।
साल 1900 के शुरुआत में भ्रष्टाचार बहुत अधिक था और बीमा उद्योग अत्यधिक अनियमित था। उद्योग कार्य को बेहतर करने के लिए भारतीय जीवन बीमा कंपनी अधिनियम 1912 पारित किया गया। इस अधिनियम ने बीमा उद्योग को व्यवस्थित करना शुरू किया और प्रीमियम और कंपनी के मूल्यांकन को ऐक्चूअरी से सत्यापित कराना अनिवार्य कर दिया।
आजादी से कुछ साल पहले, वर्ष 1938 में, भारत में करीब 178 बीमा कंपनियां थीं। उन्हें विनियमित करने के लिए बीमा अधिनियम 1938 को पारित किया गया था। यह जीवन और सामान्य बीमा, दोनों को शामिल करने वाला पहला अधिनियम था।
आजादी के बाद क्या हुआ?
स्वतंत्रता के ठीक बाद, बीमा उद्योग में भ्रष्ट्राचार और अनुचित व्यापार प्रथाओं ने भारत सरकार को जीवन बीमा क्षेत्र का राष्ट्रीयकरण करने के लिए मजबूर कर दिया। इसने भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) को जन्म दिया।
निष्कर्ष
भारतीय एलआईसी के नाम से अच्छी तरह से वाक़िफ़ हैं। यह दशकों से भारत की बीमा कंपनी रही है। भारतीय इसके विज्ञापनों को देखते और सुनते हुए बड़े हुए हैं। एलआईसी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अगले अध्याय पर जाएं।
अब तक आपने पढ़ा
- कोलकाता में 1818 में स्थापित की गई ओरिएंटल लाइफ इंश्योरेंस कंपनी पहली बीमा कंपनी थी जिसने भारतीय जमीन पर काम करना शुरू किया था।
- वर्ष 1870 में, ब्रिटिश बीमा अधिनियम पारित किया गया, जिसने बीमा कंपनियों के स्वतंत्र कार्य को सुनिश्चित किया।
- बॉम्बे लाइफ एश्योरेंस कंपनी की स्थापना 1870 में की गई थी, जिसने भारतीयों का बिना किसी अतिरिक्त प्रीमियम के बीमा किया।
- भारतीय जीवन बीमा कंपनी अधिनियम 1912 भ्रष्टाचार को कम करने के लिए पारित किया गया था।
- बीमा अधिनियम 1938 जीवन और सामान्य बीमा दोनों को शामिल करने वाला पहला अधिनियम था।
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