व्यक्तिगत वित्त के लिए मॉड्यूल

पोर्टफोलियो प्रबंधन

ज्ञान की शक्ति का क्रिया में अनुवाद करो। मुफ़्त खोलें* डीमैट खाता

* टी एंड सी लागू

निवेश रणनीतियाँ: सही रणनीति कैसे चुनें

4.1

icon icon

अब तो आप जानते हैं कि निवेश पोर्टफोलियो को बनाते समय रिस्क और रिटर्न प्रोफाइल को ज़रूर ध्यान में रखना चाहिए। लेकिन ये सभी सवाल यहीं खत्म नहीं होते। एक शुरुआती निवेशक के तौर पर , आपके दिमाग में बहुत सारे सवाल उठ रहे होंगे,

  • आपको कितना निवेश करना चाहिए?
  • निवेश करने का सबसे अच्छा समय क्या है?
  • आपको कितनी बार निवेश करना चाहिए?
  • निवेश के विभिन्न तरीके क्या हैं?

अगर ये कुछ सवाल आपके मन में हैं तो बस आगे पढ़ते रहिए। इस अध्याय में हम इन सब बातों को समझेंगे और आपको कुछ मूल निवेश रणनीतियों के बारे में बताएँगे जिसे आप अपनी निवेश के सफर में अपना सकते हैं। 

आपको कितना निवेश करना चाहिए?

इसमें कोई तय नियम नहीं है, यह एक बहुत ही व्यक्तिगत मामला है।  आप कितना निवेश करते हैं यह कई चीज़ों पर निर्भर करता है, जैसे

  • आपकी मासिक/वार्षिक आय
  • आपकी नौकरी की प्रकृति (वेतनभोगी या स्वरोजगार)
  • आपका निश्चित और नियमित खर्च
  • आप पर कितना कर्ज़ बकाया है

आपको कितना निवेश करना चाहिए, इसका अंदाज़ा लगाने के लिए आप व्यक्तिगत बजट तैयार करने से शुरुआत करें। इस बजट में मूल रूप से आपकी प्रति माह आय और खर्च का ब्योरा होना चाहिए। व्यय सेक्शन में  उन सभी निश्चित खर्चों को शामिल करें जो आप हर महीने उठाते हैं, जैसे किराया, बिजली की लागत और रोजमर्रा के किराने का सामान आदि। एक बार जब आप अपनी कमाई से इन निर्धारित खर्चों को घटा लेते हैं, तो जो आपके पास जो बचता है वो है आपकी डिस्पोज़ेबल इनकम।

उदाहरण 1:

मानिए कि गोविंद प्रत्येक महीने ₹50,000 कमाता है।

उसका मासिक खर्च इस प्रकार है:

  • मासिक किराया: ₹10,000
  • बिजली खर्च: ₹4000
  • किराने का सामान और अन्य उपयोगी चीजें: ₹5000
  • ईंधन की लागत: ₹1,000 

इस प्रकार वह प्रति महीने ₹20,000 खर्च करता है। उसके पास कुल ₹30,000 बचते हैं। ऐसे में वो क्या कर सकता है? वो इस बचत में से कुछ रुपये आपातकालीन खर्चों के लिए अलग रख कर प्रति महीने ₹15,000 निवेश कर सकता है। 

उदाहरण 2:

अब रोहित के बजट पर नज़र डालते हैं। गोविंद की ही तरह वह भी प्रति महीने ₹50,000 कमाता है। लेकिन वह अपने घर में रहता है इसलिए उसे किराया  नहीं देना होता। उसका मासिक खर्च इस तरह है:

  • बिजली खर्च: ₹4000 
  • किराने का सामान और अन्य ज़रूरी चीजें: ₹5000 
  • ईंधन की लागत: ₹1000 

इस तरह हर महीने उसका कुल खर्च ₹10,000 है। उसके हाथ में ₹40,000 बच जाते हैं। ऐसे में वो हर महीने आपातकालीन खर्चों के लिए कुछ पैसे अलग रख कर प्रति महीने ₹25,000 निवेश कर सकता है।

आपने देखा कि इन दोनों मामलों में निवेश की राशि कैसे बदलती है? इसलिए निवेश करने का निर्णय लेने से पहले अपनी ज़रूरतों को देखना अहम है।

निवेश करने का सबसे अच्छा समय क्या है?

जैसा कि हमने पहले ही मॉड्यूल 1 में देखा है कि निवेश शुरू करने का सबसे अच्छा समय है जितनी जल्दी हो सके। उदाहरण के तौर पर  शेयर बाजार या अचल संपत्ति जैसी संपत्ति में निवेश का सबसे बेहतर समय क्या है? ये सब फिर से आपकी निवेश रणनीति पर निर्भर करता है। आइए गोविंद और रोहित के उदाहरण से ही इसे बेहतर तरीके से समझते हैं। 

उदाहरण 1:

  • गोविंद रियल एस्टेट में निवेश करना चाहता है। वह कम पर खरीद और ज़्यादा में बेचने में विश्वास रखता है। उसके पास कुछ पूँजी तैयार है, लेकिन वह अपने पैसे लगाने से पहले रियल एस्टेट की कीमतों में गिरावट का इंतज़ार करता है। 
  • अभी प्रॉप्रर्टी की कीमत  ₹5000 प्रति वर्ग फुट है। 
  • 2 साल बाद जब गोविंद रियल एस्टेट में अपना निवेश करता है तो कीमत ₹3000  प्रति वर्ग फुट हो जाती है। 
  • 10 साल बाद जब कीमत आसमान छूकर ₹10,000 प्रति वर्ग फुट  पर पहुँच जाती है तो वह अपनी प्रॉपर्टी को ₹7000 प्रति वर्ग फुट के मुनाफ़े पर (₹10,000- ₹3,000) बेचता है।

 उदाहरण 2:

  • रोहित भी रियल एस्टेट में निवेश करना चाहते हैं। वह अभी निवेश करने को तैयार है  क्योंकि उसका मानना है कि भविष्य में कीमतें और बढ़ेंगी।
  • इसलिए वह आज अपना निवेश करता है,  जब प्रॉपर्टी की कीमत ₹5000 प्रति वर्ग फुट है। 
  • 2 साल बाद कीमत ₹3,000 प्रति वर्ग फुट हो जाती है। लेकिन कीमत गिरने के बावजूद रोहित घबराया नहीं। उसका मानना था कि कीमत फिर से बढ़ेंगी। 
  • 10 साल बाद कीमत ₹10,000 प्रति वर्ग फुट पहुँचकर आसमान छूती है। इसके बाद रोहित अपनी संपत्ति ₹5,000 प्रति वर्ग फुट के मुनाफ़े पर (₹10,000-₹5,000) बेचता है।

यह मुनाफा गोविंद के जितना तो नहीं था लेकिन रोहित ने गोविंद से 2 साल पहले संपत्ति खरीदी थी और उन वर्षों में उन्होंने निष्क्रिय आय कमाई जो गोविंद को नहीं मिली। इससे पता चलता है कि निवेश का समय हर व्यक्ति के लिए अलग होता है, जो उनकी रणनीति, उनके लक्ष्यों और उनके दृष्टिकोण पर निर्भर करती है।

कैसा निवेश चुनना है, ये आपकी उम्र पर भी निर्भर करता है। आप कितने साल के हैं, इसके आधार पर आप कई निवेश विकल्पों में निवेश करना चुन सकते हैं। चलिए उदाहरण के ज़रिए समझते हैं

  • जब आप अपने 20-30 साल के होते हैं तो आप अधिक रिस्क लेने को तैयार होते हैं,उस वक्त आप डायरेक्ट इक्विटी में निवेश कर सकते हैं। 
  • 30-40 की उम्र के बीच शायद आप म्यूचुअल फंड, गोल्ड और रियल एस्टेट जैसे कुछ स्थिर निवेश विकल्पों को चुनना पसंद करें। इस समय आप रिटायरमेंट को नज़र में रखकर निवेश विकल्प भी ढूँढ सकते हैं, जैसे पीपीएफ या बॉन्ड।
  • और 40 की उम्र के बाद आप बैंक डिपोजिट और अन्य सुरक्षित निवेश विकल्पों पर अधिक विश्वास कर सकते हैं। 

यही कारण है कि कई प्रकार के निवेशों में निवेश करने का सबसे अच्छा समय  निवेशक की उम्र और उन लक्ष्यों पर निर्भर करता है जो वे पूरा करना चाहते हैं।

 

आपको कितनी बार निवेश करना चाहिए?

कुछ निवेशक अपने पोर्टफोलियो में निरंतर पूँजी लगाते रहते हैं, जबकि कुछ निवेशक एक साथ बड़ी राशि का निवेश करते हैं और अपनी पूँजी बढ़ने का इंतज़ार करते हैं। आपकी आय, आपके निवेश की पसंद और आपके लक्ष्यों के आधार पर आप नीचे दी गई अवधियों में निवेश कर सकते हैं:

  • मासिक
  • त्रैमासिक
  • अर्द्धवार्षिक
  • वार्षिक

आप अपने लक्ष्यों के हिसाब से समय-समय पर अपने निवेश की फ्रिक्वेंसी को भी बदल सकते हैं।

निवेश के विभिन्न तरीके क्या हैं?

सबसे बुनियादी निवेश रणनीतियों में एकमुश्त निवेश और व्यवस्थित निवेश योजनाएं या सिस्टेमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) शामिल हैं।

एकमुश्त निवेश में आप एक साथ बड़ी राशि का निवेश करते हैं।  आप नीचे दी गई परिस्थितियों में  इस तरह के निवेश को चुन सकते हैं: 

  • अगर आप खुद का कारोबार करते हैं, क्योंकि हो सकता है कि आपकी आय की अवधि निर्धारित ना हो 
  • अगर आप ऐसी संपत्तियों में निवेश कर रहे हैं जहाँ एक साथ ही बड़ी राशि का भुगतान करना हो, जैसे रियल एस्टेट 
  • अगर आपके पास एकमुश्त राशि उपलब्ध हो

व्यवस्थित निवेश योजना में आप समय-समय पर छोटी मात्रा में निवेश करते हैं। नीचे दी गई परिस्थितियों में आप एसआइपी को चुन सकते हैं:

  • अगर आप एक वेतनभोगी कर्मचारी हैं, क्योंकि आपकी कमाई की अवधि निर्धारित है
  • आप अगर सआईपी रणनीति का समर्थन करने वाले एसेट में निवेश कर रहे हैंजैसे इक्विटी और म्यूचुअल फंड
  • अगर आपके पास एकमुश्त राशि ना हो

अपने पोर्टफोलियो को रीबैलेंस करना

एक बार जब आप अपने लक्ष्यों और ज़रूरतों के आधार पर एक निवेश पोर्टफोलियो बना लेते हैं,  तो सिर्फ उसे वैसे ही रहने देना काफी नहीं होता है। आपको हर बार अपने पोर्टफोलियो को चेक करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि आपके निवेश आपकी ज़रूरतों के हिसाब से प्रदर्शन कर रहे हैं। अगर ऐसा नहीं हो रहा हो तो आपको कुछ खराब प्रदर्शन करने वाली एसेसट को बेचने और उस पूँजी को अच्छा रिटर्न देने की संभावना रखने वाले एसेट में निवेश करने की ज़रूरत हो सकती हैइससे आपका पोर्टफोलियो रीबैलेंस हो जाता है। 

अपने पोर्टफोलियो को रीबैलेंस कब करें?

आप मासिक, त्रैमासिक, या वार्षिक आधार पर अपने पोर्टफोलियो को रीबैलेंस कर सकते हैं। आप अपने पोर्टफोलियो को तब भी रीबैलेंस कर सकते हैं जब आपके एसेट की कीमतों में बड़ा बदलाव आ जाए।   

उदाहरण के तौर पर मानिए कि आपने एक पोर्टफोलियो बनाया है जिसमें 50 प्रतिशत इक्विटी और 50 प्रतिशत फिक्स्ड इनकम निवेश शामिल हैं। आप इसे हर 6 महीने में रीबैलेंस कर सकते हैं। या आप इसे तब भी रीबैलेंस कर सकते हैं जब पोर्टफोलियो के किसी भी एक हिस्से में  10 % से ज़्यादा बदलाव आ जाए। यानी इस केस में, अगर इक्विटी कॉम्पोनेंट 40 प्रतिशत तक गिर जाता है तब आप अपने पोर्टफोलियो को रीबैलेंस कर सकते हैं।

निष्कर्ष

जब निवेश निर्णय लेने से पहले आपके व्यक्तिगत मैट्रिक्स की पहचान करने की बात आती है  तो हमने उन सभी आधारों को कवर कर लिया है। अगली बात जो आपको पता होनी चाहिए, वो ये है कि आपके निवेश पोर्टफोलियो को बनाने के लिए कौन से निवेश विकल्प चुनें। अगर आपका पहला विचार डायरेक्ट इक्विटी था, तो हमें आपकी सोच पसंद आई।  हालांकि  शेयर बाजार के अलावा भी कई अन्य निवेश विकल्प मौजूद हैं। इसे जुड़ी ज़्यादा जानकारी के लिए इस मॉड्यूल के अगले अध्याय पर जाएं।  

अब तक आपने पढ़ा

  • आपको कितना निवेश करना चाहिए, यह एक बहुत ही व्यक्तिगत मुद्दा है। यह कई कारकों पर निर्भर करता हैजैसे आपकी आय, आपकी नौकरी की प्रकृति, आपके निश्चित खर्च और आपके ऋण का स्तर।
  • निवेश करने का सबसे अच्छा समय क्या है? यह आपकी निवेश रणनीति, आपके लक्ष्यों और आपके दृष्टिकोण पर निर्भर करता है।
  • आपकी आयआपके निवेश की पसंद और आपके लक्ष्यों के आधार पर आप अपने निवेश को मासिक, त्रैमासिक, अर्धवार्षिक या सालाना कर सकते हैं।
  • एकमुश्त निवेश और व्यवस्थित निवेश योजनाएं (एसआईपी) दो सबसे बुनियादी निवेश रणनीतियाँ हैं।
  • एक बार जब आप अपने लक्ष्यों और ज़रूरतों के आधार पर निवेश पोर्टफोलियो का निर्माण कर लेते हैं  तो आपको अपने पोर्टफोलियो को दोबारा देखना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि आपके निवेश  आपकी पसंद के हिसाब से प्रदर्शन कर रहे हैं।
  • आप मासिक, त्रैमासिक, या वार्षिक आधार पर अपने पोर्टफोलियो को रीबैलेंस कर सकते हैं।
  • आपके पोर्टफोलियो को रीबैलेंस करने का दूसरा तरीका है किसी एसेट के मूल्य में एक बड़ा बदलाव आने पर रीबैलेंस करना।
icon

अपने ज्ञान का परीक्षण करें

इस अध्याय के लिए प्रश्नोत्तरी लें और इसे पूरा चिह्नित करें।

आप इस अध्याय का मूल्यांकन कैसे करेंगे?

टिप्पणियाँ (0)

एक टिप्पणी जोड़े

के साथ व्यापार करने के लिए तैयार?

logo
Open an account