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शेयर बाजार का परिचय

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शेयर बाज़ार के मुख्य खिलाड़ी

4.3

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जब भी कभी, आप एक स्कूल के बारे में सोचते हैं तो आपके दिमाग में पहली बात क्या आती है ? अगर आप भी अधिकांश लोगों की तरह हैं, तो आप एक ऐसी क्लास के बारे में सोचते होंगे, जहाँ ब्लैक बोर्ड के पास खड़ा एक शिक्षक, छात्रों के ग्रुप को पढ़ा रहा होगा। लेकिन जब आप गौर करेंगे, तो जानेंगे कि एक स्कूल सिर्फ शिक्षकों और छात्रों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उससे कहीं बढ़कर है।

वहाँ स्कूल के प्रिंसिपल हैं, प्रबंधन समिति है, दान-दाता और योगदानकर्ता भी हैं, और यही नहीं, ऐसे निवेशक भी हैं जिन्होंने स्कूल की स्थापना और इसे चलाने के लिए धनराशि दी है। और फिर वो सरकारी-समितीयां भी हैं जो हर क्लास के लिए पाठ्यक्रम और शिक्षा नीति बनाते हैं। इससे आपको यह पता चलता है कि स्कूल को चलाने में कई और लोग, संगठन और सिस्टम भी शामिल हैं।

शेयर बाज़ार के मामले में भी यह व्यवस्था लागू होती है। पहली नज़र में, यह एक ऐसी जगह लगती है जहाँ खरीदार और विक्रेता शेयर में व्यापार करते हैं। लेकिन करीब से देखने पर, आप देखेंगे कि कई प्रमुख खिलाड़ी या संगठन हैं जो शेयर बाज़ार को पूरा करते हैं। चलिए उन्हें अच्छी तरह से जानते हैं।

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी)

वर्ष 1988 में स्थापित, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड, जिसे स्टॉक एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया या सेबी भी कहा जाता है, वह सरकारी इकाई है जो देश के वित्तीय बाज़ारों के नियंत्रण के लिए ज़िम्मेदार है। सेबी के मुख्य कार्यों में, भारतीय शेयर बाज़ार को बढ़ावा देना, निवेशकों के हितों की सुरक्षा करना और बाज़ार में होने वाली सभी गतिविधियों का नियंत्रण करना शामिल है।

आइए इस बात पर एक नज़र डालते हैं कि वित्तीय बाज़ारों मे संतुलन बनाए रखने के लिए सेबी क्या करता है:

  • सेबी उन नियम और अधिनियमों को बनाता है जिन के आधार पर शेयर बाज़ार काम करता है
  • कई स्टॉक और कमोडिटी एक्सचेंजों के संचालन पर नज़र रखता है|
  • रीटेल इन्वेस्टर्स के हितों की रक्षा करता है|
  • यह सुनिश्चित करता है कि बाज़ारों में कोई हेरफेर न हो|
  • स्टॉकब्रोकर, कॉर्पोरेट्स और दूसरे बाज़ार सहभागियों को नियंत्रण में रखता है और उन पर नज़र रखता है |

स्टॉक एक्सचेंज

मान लें कि आपके पास बेचने के लिए एक घर है। अब खरीदार से जुड़ने के लिए आप किससे संपर्क करते हैं? एक रियल एस्टेट एजेंट से, हैं ना ? बस इसी तरह, भारत में स्टॉक एक्सचेंज वित्तीय मध्यस्थ या एजेंट है जो खरीदारों और विक्रेताओं को जोड़ते हैं और किसी भी एक्सचेंज पर सूचीबद्ध शेयरों के व्यापार की सुविधा देते है।

भारत में दो प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज हैं- बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई)। इन दो एक्सचेंजों के अलावा, कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज और मेट्रोपोलिटन स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया जैसे अन्य छोटे एक्सचेंज भी हैं जो वर्तमान में चालू हैं।

भारत में स्टॉक एक्सचेंजों की पूरी सूची जानने चाहते हैं? यहाँ भारत के 23 स्टॉक एक्सचेंजों की सूची है -

  1. यूपी स्टॉक एक्सचेंज, कानपुर
  2. वडोदरा स्टॉक एक्सचेंज, वडोदरा
  3. कोयंबटूर स्टॉक एक्सचेंज, कोयंबटूर
  4. मेरठ स्टॉक एक्सचेंज, मेरठ
  5. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज, मुंबई
  6. ओवर द काउंटर एक्सचेंज ऑफ इंडिया, मुंबई
  7. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज, मुंबई
  8. अहमदाबाद स्टॉक एक्सचेंज, अहमदाबाद
  9. बैंगलोर स्टॉक एक्सचेंज, बैंगलोर
  10. भुवनेश्वर स्टॉक एक्सचेंज, भुवनेश्वर
  11. कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज, कोलकाता
  12. कोचीन स्टॉक एक्सचेंज, कोचीन
  13. दिल्ली स्टॉक एक्सचेंज, दिल्ली
  14. गुवाहाटी स्टॉक एक्सचेंज, गुवाहाटी
  15. हैदराबाद स्टॉक एक्सचेंज, हैदराबाद
  16. जयपुर स्टॉक एक्सचेंज, जयपुर
  17. कैनरा स्टॉक एक्सचेंज, मंगलोर
  18. लुधियाना स्टॉक एक्सचेंज, लुधियाना
  19. चेन्नई स्टॉक एक्सचेंज, चेन्नई
  20. एमपी स्टॉक एक्सचेंज, इंदौर
  21. मगध स्टॉक एक्सचेंज, पटना
  22. पुणे स्टॉक एक्सचेंज, पुणे
  23. कैपिटल स्टॉक एक्सचेंज केरल लिमिटेड, तिरुवनंतपुरम, केरल

डिपॉज़िटरीज़

एक डिपॉजिटरी आपको खाते में  शेयरों के डीमैटरियलाइज्ड(डिजिटल) शेयर सर्टिफिकेट्स को स्टोर करने की सुविधा देता है। इस खाते को डीमैट अकाउंट के रूप में जाना जाता है। यह एक डिजिटल -अकाउंट है जो इलेक्ट्रॉनिक-फॉर्म में आपके सभी शेयरों के लिए स्टोरेज का काम करता है।

भारत में, दो डिपॉजिटरी हैं जो  वर्तमान में काम कर रही हैं - नेशनल सिक्योरिटीज़ डिपॉज़िटरी लिमिटेड (NSDL) और सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज़ लिमिटेड (CDSL)

डिपॉजिटरी प्रतिभागी

डिपॉजिटरी प्रतिभागी या डिपॉजिटरी पार्टीसीपेंट (डीपी) एक रजिस्टर्ड एजेंट होता है जो आपके और डिपॉजिटरी के बीच मध्यस्थ का काम करता है। एक निवेशक के रूप में, आप सीधे डिपॉजिटरी के साथ डीमैट खाता नहीं खोल सकते। डिपॉजिटरी के साथ आपके सभी लेन-देन को केवल एक डीपी के माध्यम से ही करने होते हैं।

स्टॉकब्रोकर

स्टॉकब्रोकर वित्तीय मध्यस्थों का एक और हिस्सा है जो शेयर बाज़ारों में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। ये संस्थाएं स्टॉक एक्सचेंजों के साथ ट्रेडिंग मेंबर के तौर पर रजिस्टर्ड होती हैं। ये संस्थाएं स्टॉक एक्सचेंजों और आप जैसे निवेशकों / व्यापारियों के बीच एक कड़ी के रूप में काम करते हैं। शेयर बाज़ार में शेयरों को खरीदने और बेचने के लिए, आपको अपनी पसंद के स्टॉकब्रोकर के साथ एक ट्रेडिंग खाता खोलना जरूरी होता है।

एक ट्रेडिंग खाता आपको वित्तीय बाज़ारों तक पहुंच प्रदान करता है और आपको किसी कंपनी के शेयर या दूसरी सिक्योरिटीज़/शेयरों  को खरीदने या बेचने की सुविधा देता है। एक स्टॉकब्रोकर आमतौर पर उसके द्वारा किए गए हर ट्रेडिंग या लेन-देन के लिए एक 'फ़ीस' लेता है जिसे 'ब्रोकरेज' कहते हैं। कुछ संस्थाएं जैसे एंजेल ब्रोकिंग, स्टॉकब्रोकर और डिपॉज़िटरी पार्टीसिपेंट, दोनों के रूप में काम करती हैं। तो, आप इनके साथ एक डीमैट अकाउंट और एक ट्रेडिंग अकाउंट दोनों खोल सकते हैं।

 

निवेशक और व्यापारी

जैसे आप शेयर बाज़ार में व्यापार करते हैं, वैसे ही कई अन्य व्यक्ति और ऐसे संस्थान भी हैं जो वहां शेयर खरीदते और बेचते हैं। यहाँ कई प्रकार के निवेशकों और व्यापारियों की एक सूची है -

संस्थागत निवेशक

संस्थागत निवेशक या इंस्टिट्यूशनल इनवेस्टर मूल रूप से वो कॉर्पोरेट इकाइयां हैं जो शेयर बाज़ार में निवेश करते हैं। चूंकि वे आर्थिक रूप से बहुत शक्तिशाली हैं, इसलिए संस्थागत निवेशकों में बाज़ार के चलन और उतार-चढ़ाव को प्रभावित करने की क्षमता होती हैं। उनकी राष्ट्रीयता के आधार पर उन्हें दो श्रेणियों में बाँटा गया है:

  • विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई)
  • घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई )

घरेलू ए.एम.सी.

एसेट मैनेजमेंट कंपनियां (एएमसी) एक तरह की संस्था है जो विभिन्न ग्राहकों से पूँजी इकट्ठा करती हैं और विभिन्न वित्तीय-बाज़ार फाइनेंशियल मार्केट सिक्योरिटीज़ में उसे इन्वेस्ट करती हैं। घरेलू एएमसी ऐसी संस्थाएँ हैं जो भारत से बाहर आधारित हैं, इनमें म्यूचुअल फंड हाउस जैसे आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड, एचडीएफसी म्यूचुअल फंड जैसी संस्थाएँ शामिल हैं।

खुदरा/रीटेल निवेशक (भारतीय और एनआरआई और ओसीआई)

आपके जैसे व्यक्ति जो शेयर बाज़ार में निवेश करते हैं उन्हें खुदरा या रीटेल निवेशक के रूप में जाना जाता है। वे अपनी आवासीय स्थिति के आधार पर नीचे दी गई तीन अलग-अलग श्रेणियों में बाँटे गए हैं:

  • निवासी भारतीय खुदरा निवेशक
  • अनिवासी भारतीय (एनआरआई) खुदरा निवेशक
  • ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (OCI) खुदरा निवेशक

 हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल (HNI)

ऐसे व्यक्ति जिनके पास 2 करोड़ रुपये से अधिक की निवेश योग्य पूँजी है और वह शेयर बाज़ार में निवेश और व्यापारिक गतिविधियों में भाग लेते हैं उन्हे उच्च हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल यानी नेट-मूल्य वाले व्यक्तियों(एचएनआई) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।

क्लीयरइंग कॉरपोरेशन

जब आप कोई ट्रेड करते हैं तो क्या होता है? मान लीजिए कि आप  ₹276 में एबीसी लिमिटेड का 1 शेयर खरीदने की योजना बना रहे हैं। आपका ट्रेड के सफल होने के लिए, एक विक्रेता होना चाहिए जो एबीसी लिमिटेड के 1 शेयर को  ₹276, की कीमत पर बेचने के लिए तैयार हो। यह मानते हुए कि ऐसा विक्रेता मौजूद है, आपके उस शेयर को खरीदने का ऑर्डर एग्जिक्यूट या पूरा कर दिया जाता है।  

फिर ₹276 आपके ट्रेडिंग खाते से काट लिए जाएँगे, क्योंकि आप खरीदार हैं और उसी वक्त ये  ₹276 विक्रेता के खाते में जमा हो जाता है। इसके साथ ही आपका ट्रेड किया गया 1 शेयर विक्रेता के डीमैट खाते से आपके डीमैट खाते में ट्रांसफर कर दिया जाएगा। यह काम अनिवार्य रूप से समाशोधन  और निपटान (क्लियरिंग और सेटलमेंट) की प्रक्रिया के दौरान होता है। और यही वो चरण है जहाँ क्लियरिंग कॉरपोरेशन अपना जादू दिखाते हैं।

इससे समझ सकते है की, एक क्लियरिंग कॉरपोरेशन बुनियादी रूप से दो काम करता है:

  • यह संस्थाएँ सुनिश्चित करती हैं कि खरीदारों के पास अपने ट्रेड के लिए भुगतान करने के लिए ज़रूरी राशि मौजूद है और वे विक्रेता के पास वो एसेट्स हैं जिन्हें वो चाहते हैं, ताकि किसी भी तरह की चूक ना हो।
  • वे यह सुनिश्चित करते हैं कि फंड्स और एसेट्स बिना किसी समस्या के सही खातों में ट्रांसफर कर दिया जाए। 

भारत में दो मुख्य क्लियरिंग कॉरपोरेशन हैं-

नेशनल सिक्योरिटी क्लियरिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (NSCCL), जो नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की सहायक कंपनी है और इंडियन क्लियरिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (ICCL), जो बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की एक सहायक कंपनी है।

बैंक

शेयर बाज़ार में बैंकों की भूमिका काफी साफ है। वे यह सुनिश्चित करने में मदद करते हैं कि आपके पास अपने ट्रेड को करने के लिए ज़रूरी धनराशि है। आपके बैंक खाते से राशि आपके ट्रेडिंग खाते में ट्रांसफर की जाती है, जिससे आप बिना किसी परेशानी के फ़ाइनेंशियल एसेट को खरीद या बेच सकते हैं। यह अहम है कि आप अपने डीमैट खाते, अपने ट्रेडिंग खाते और अपने बैंक खाते को लिंक करें, जिस से आपका ट्रेडिंग अनुभव आसान और बिना किसी परेशानी के चलता रहे।

अब तक आपने पढ़ा: 

  • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड एक सरकारी संस्था है जो देश में वित्तीय बाज़ारों के नियंत्रण के लिए जिम्मेदार है।
  • स्टॉक एक्सचेंज वित्तीय मध्यस्थ हैं जो खरीदारों और विक्रेताओं को जोड़ते हैं और उस एक्सचेंज पर सूचीबद्ध शेयरों के व्यापार की सुविधा देते हैं।
  • भारत में दो प्रमुख एक्सचेंज हैं - बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई)।
  • एक डिपॉजिटरी आपको खाते में शेयरों के डीमैटरियलाइज्ड शेयर सर्टिफिकेट्स को स्टोर करने की अनुमति देता है।
  • डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (डीपी) एक रजिस्टर्ड एजेंट होता है जो आपके और डिपॉज़िटरी के बीच मध्यस्थ का काम करता है।
  • स्टॉकब्रोकर स्टॉक एक्सचेंज और आप जैसे निवेशकों/ व्यापारियों के बीच एक कड़ी के रूप में काम करते हैं। शेयर बाज़ार में शेयरों को खरीदने और बेचने में सक्षम होने के लिए, आपको स्टॉकब्रोकर के साथ एक ट्रेडिंग खाता खोलने की ज़रूरत होती है।
  • निवेशकों और व्यापारियों की कई श्रेणियां हैं, जैसे संस्थागत निवेशक, घरेलू एएमसी, खुदरा निवेशक और हाइ नेटवर्थ इंडिविजुअल्स।
  • क्लियरिंग कॉरपोरेशन यह सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाते हैं कि क्लीयरिंग और सेटलमेंट की प्रक्रिया सुचारु रूप से चले। भारत में दो मुख्य क्लियरिंग कॉरपोरेशन हैं: नेशनल सिक्योरिटी क्लियरिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (NSCCL), जो नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की सहायक कंपनी है और इंडियन क्लियरिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (ICCL), जो बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की एक सहायक कंपनी है।
  • बैंक यह सुनिश्चित करने में सहायता करते हैं कि आपके पास अपने ट्रेडिंग करने के लिए ज़रूरी धनराशि है।
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