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टैक्स की बचत

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* टी एंड सी लागू

धारा 80CCC आयकर अधिनियम

4.2

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क्या आपको पता है कि टैक्स सेविंग एक ट्रिक है? इसमें बहुत सारे नियम शामिल हैं जो हमारी कानून प्रणाली के अनुभाग हैं।

हमने टैक्स बचत करने के कुछ तरीके सीख लिए हैं। क्या ऐसे और तरीके हैं जिनसे आप अपनी आय पर की गई कटौती पर छूट प्राप्त कर सकते हैं? चलिए देखते हैं!

बेनी के साथ क्या हो रहा है?

बेनी का वेतन पैकेज 11 लाख रुपए प्रति वर्ष है। उसने करों से छूट का लाभ उठाने के लिए पैसे बचाना शुरू कर दिया है।

एक साल में उसने उसके बचत खाते से ₹10,000 अर्जित किए हैं। उसके पास एक फिक्स्ड डिपॉजिट है, जिस पर उसे ₹15,000 की वार्षिक ब्याज आय मिलती है। उसने पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) में ₹70,000 और टैक्स-सेविंग म्यूचुअल फंड में ₹30,000 का निवेश किए है।

उसने जीवन बीमा पॉलिसी में भी निवेश किया, जिसके लिए उसने ₹50,000 का प्रीमियम अदा किया। उसने रिटायरमेंट योजना के लिए ₹20,000 का निवेश भी किया है। 

उपरोक्त आंकड़ों से बेनी की कुल आय की गणना इस प्रकार है:

आय की प्रकृति 

राशि (₹ में)

वेतन

11,00,000

अन्य स्त्रोत 

85,000 (बचत खाता और एफडी)

कुल आय

11,85,000

उसकी कटौती यहां है:

कटौती

राशि (₹ में)

80सी

1,20,000 (बीमा पॉलिसी का प्रीमियम+पीपीएफ)

80सीसीसी

20,000 (सेवानिवृत्ति+वार्षिकी योजना)

80Cडी

40,000 (एनपीएस+एपीवाई)

कुल 

1,80,0000

इस अध्याय में हम धारा 80सीसीसी के बारे में विस्तार से जानेंगे। धारा 80सीसीसी जीवन बीमा पेंशन योजना खरीदने में आपके द्वारा किए गए निवेश के लिए कटौती की अनुमति देता है। कटौती का दावा करने के योग्य होने के लिए कई पहलू और शर्तें हैं जिन्हें आपको पूरा करना होगा। आइए इन्हें विस्तार से समझते हैं।

धारा 80सीसीसी क्या है?

आयकर अधिनियम 1961 की एक धारा, 80सीसीसी के तहत जीवन बीमा पेंशन पॉलिसी में आपके द्वारा निवेश की जाने वाली राशि को कटौती की अनुमित देती है। जीवन बीमा पेंशन योजना, जो मैच्यूरिटी के बाद वार्षिकी भुगतान करती है, उसे खरीदने या नवीनीकृत करने के लिए जो प्रीमियम आप चुकाते हैं वह धारा 80CCC के तहत कटौती के योग्य है।

धारा 80सीसीसी के तहत कटौती का दावा करने की पात्रता के मानदंड क्या हैं?

इस धारा के तहत कुछ शर्तें निर्धारित हैं जिन्हें आपको कर लाभ प्राप्त करने के लिए पूरा करना होगा।  इनमें निम्नलिखित शामिल हैं -

  • केवल व्यक्तिगत करदाता इस कटौती के पात्र हैं। हिंदू अनडिवाइडेड फेमिली (एचयूएफ), कॉर्पोरेट, बॉडी ऑफ इंडिविजुअल (बीओआई), एसोसिएशन ऑफ पर्सन्स (एओपी) या ट्रस्ट इस धारा के तहत कटौती का दावा नहीं कर सकते हैं।
  • कटौती का दावा करने के लिए व्यक्तिगत करदाताओं को निवासी या गैर-निवासी होना चाहिए।
  • निवेश एक पेंशन योजना में किया जाना चाहिए जो इसकी मैच्योरिटी के बाद वार्षिकी का भुगतान करे।
  • पेंशन योजना को एक अनुमोदित बीमा कंपनी द्वारा प्रस्तुत किया जाना चाहिए जो भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) के साथ पंजीकृत हो।

धारा 80सीसीसी के तहत कटौती का लाभ उठाने के लिए नियम और शर्तें क्या हैं?

जब सेक्शन 80सीसीसी के तहत कटौती का दावा किया जाता है तो उल्लेखित पात्रता मानदंड के अलावा आपको निम्नलिखित नियमों और शर्तों को भी ध्यान में रखना चाहिए:

  • आप जो प्रीमियम देते हैं वह या तो नई पेंशन योजना खरीदने के लिए होना चाहिए या मौजूदा पेंशन योजना को नवीनीकृत करने के लिए होना चाहिए।
  • पेंशन योजना में जो धनराशि जमा होती है उसका केवल सेक्शन 10 (23 एएबी) के तहत निर्धारित प्रावधानों के अनुसार भुगतान किया जाना चाहिए।
  • मान लीजिए कि आपके द्वारा निवेश की गई पेंशन योजना कोई भी बोनस या ब्याज कमाती है और वही आपको वार्षिकी भुगतान के साथ वापस मिलता है। ऐसी स्थिति में  बोनस या ब्याज को कटौती नहीं माना जाएगा। इस तरह का बोनस या ब्याज आपके लिए कर योग्य होगा।
  • पेंशन योजना से आपको जो पेंशन मिलेगी वह कर योग्य आय मानी जाएगी।
  • अगर करदाता पेंशन योजना को छोड़ना चाहता है तो आपको इसके लिए जो मूल्य प्राप्त होगा वह कर योग्य होगा।
  • धारा 88 के तहत अप्रैल 2006 से पहले वार्षिकी योजनाओं में किए गए निवेश पर दिए जाने वाले रिबेट को अब अनुमति नहीं दी जाएगी।
  • मान लीजिए कि आपने अप्रैल 2006 से पहले कोई राशि पेंशन योजना में जमा की है। उस स्थिति में, ऐसी जमा राशि धारा 80सीसीसी के तहत कटौती की पात्र नहीं होगी।

सेक्शन 10 (23एएबी) क्या है, और यह धारा 80सीसीसी से कैसे जुड़ा है?

ध्यान देने वाली जरूरी बात यह है कि पेंशन योजना सेक्शन 80सीसीसी  के तहत किसी भी कटौती का दावा करने के लिए सेक्शन 10 (23एएबी) के तहत निर्धारित तरीके से धन का भुगतान होना चाहिए। इस अनुभाग को और यह सेक्शन 80सीसीसी के साथ कैसे जुड़ा हुआ है, जानना आवश्यक है।

आयकर अधिनियम 1961 के अनुसार धारा 10 (23एएबी) धारा 10 की एक उपधारा है। अगर आप एक ऐसे फंड से आय अर्जित करते हैं जिसे एलआईसी सहित किसी मान्यता प्राप्त बीमा कंपनी द्वारा स्थापित किया गया है, तो धारा 10 इस पर छूट की अनुमति देती है।

मान लीजिए कि फंड को अगस्त 1996 से पहले पेंशन योजना के रूप में स्थापित किया गया है और आप वार्षिकी भुगतान प्राप्त करने की इच्छा से फंड में कोई योगदान करते हैं। ऐसी स्थिति में फंड की आय को छूट दी जाएगी।

केवल वो फंड्स जो बीमा नियंत्रक या भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) द्वारा अनुमोदित है, और बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम 1999 की धारा 3 (1) के तहत स्थापित किए गए, वही कटौती के पात्र हैं।

धारा 10 (23एएबी) के तहत आपको फंड की आय पर छूट का दावा करने की अनुमति है। धारा 80सीसीसी के तहत आपको इस तरह के फंडों के प्रति योगदान पर कटौती करने की अनुमति है। जब फंड जमा होते हैं तो आपके द्वारा अर्जित ब्याज के साथ उन्का पेंशन के रूप में भुगतान किया जाता है। पेंशन कर योग्य है।

 

धारा 80सीसीसी कटौती के बारे में याद रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें

  • अनुभाग के तहत कटौती की अनुमति दी जाती है, जो अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक है।
  • धारा 80सीसीसी धारा 80सी और 80सीसीडी (1) के साथ जुड़ी है। इसलिए सभी तीन वर्गों के तहत अधिकतम कटौती 1.5 लाख से अधिक नहीं हो सकती है। उदाहरण के लिए, अगर आप सेक्शन 80सीसीसी के तहत 10 साल के फिक्स्ड डिपोजिट स्कीम या ईएलएसएस योजना (धारा 80सी के तहत पात्रता) में ₹50,000 और 2 लाख रुपए तक पेंशन योजना में रखते हैं तो आप 1.5 लाख रुपए की कुल कटौती के पात्र होंगे। शेष ₹50,000 आपकी कर योग्य आय का हिस्सा होगा।
  • आपके द्वारा खरीदी गई पेंशन योजना को ऐसी कंपनी से खरीदा जाना चाहिए जो सार्वजनिक या निजी क्षेत्र की हो और आईआरडीए के साथ पंजीकृत हो।
  • कटौती करते समय, देनदारी की गणना के वित्तीय वर्ष के लिए भुगतान किया गया प्रीमियम ही मान्य होता है। अगर आप एक वर्ष से अधिक समय तक प्रीमियम का भुगतान करते हैं, तो भी कटौती की अनुमति पिछले वर्ष के प्रीमियम की ही रहेगी। यह वह वर्ष है जिसके लिए कर देनदारी की गणना की जा रही है। उदाहरण के तौर पर अगर आप वित्तीय वर्ष 2019-20 में प्रीमियम के रूप में ₹1,00,000 का प्रीमियम देते हैं, जिसमें वर्ष 2019-20 के लिए ₹25,000 और अगले तीन वित्तीय वर्षों के लिए ₹75,000 हैं। तो क्लेम के लिए केवल ₹25,000 की राशि मान्य होगी।  
  • जब आप सिंगल प्रीमियम पेंशन योजना में निवेश करते हैं, तो कटौती केवल उसी वर्ष के लिए दी जाएगी जिसके लिए प्रीमियम का भुगतान किया जाता है। अगले वर्षों में जब आप कवरेज का लाभ उठाते हैं, तो कटौती की अनुमति नहीं होगी।
  • आपको अपनी कर योग्य आय से पेंशन योजना में योगदान करना होगा। अगर किसी अज्ञात स्रोत से अर्जित आय का पेंशन योजना में निवेश किया जाता है तो कटौती की अनुमति नहीं दी जाएगी।

निष्कर्ष

अब जब आप धारा 80सीसीसी को विस्तार से समझ गए हैं, तो अब अगले विषय पर आगे बढ़ते हैं - आयकर अधिनियम के अन्य खंड। आगे पढ़ने के लिए अगले अध्याय पर जाएँ। 

अब तक आपने पढ़ा

  1. जीवन बीमा पेंशन पॉलिसी में आपके द्वारा निवेश की गई राशि को आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80सीसीसी के तहत कटौती की अनुमति है।
  2. आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80सीसीसी के दो लाभ हैं:

क.  यह आपकी कर योग्य आय को कम कर सकती है और करों को बचाने में आपकी मदद कर सकती है।

ख.  आप जीवन बीमा पेंशन योजना में निवेश करके रिटायरमेंट फंड बना सकते हैं।

  1. अगर आप एलआईसी सहित एक मान्यता प्राप्त बीमा कंपनी द्वारा स्थापित फंड से आय अर्जित करते हैं तो धारा10 इस पर छूट की अनुमति देती है।
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