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टैक्स भरने की प्रक्रिया और दस्तावेज
4.4
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आकाश, जिसकी अभी हाल ही में 5 लाख रुपए प्रतिवर्ष के पैकेज की नौकरी लगी है, वह यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि वह कैसे अपने और अपने परिवार के लिए टैक्स फाइल करे। उसके 61 वर्षीय पिता प्रतिवर्ष 3 लाख कमाते हैं, 55 वर्षीय माँ प्रतिवर्ष 2 लाख कमाती हैं और उनके दादा जो 85 वर्ष के हैं, प्रति वर्ष 4.5 लाख कमा रहे हैं।
क्या हम आकाश की मदद कर सकते हैं ?
आयकर विभाग, आपकी आय और कर के बारे में जानकारी दर्ज करने के लिए आयकर रिटर्न भरवाता है। करदाता को कितना कर देना होगा (टैक्स लाइबलिटी) इसकी गणना उसकी आय के आधार पर की जाती है। अगर रिटर्न से यह पता चलता है कि इस एक वर्ष के दौरान करदाता ने अतिरिक्त कर जमा किया है, तो वह व्यक्ति आयकर विभाग से आयकर वापसी (रिफ़ंड) प्राप्त करने का पात्र होगा।
इन्कम टैक्स कानून के अनुसार एक व्यक्ति या व्यवसाय, जो किसी वित्तीय वर्ष के दौरान कोई आय अर्जित कर रहे है, को हर साल रिटर्न फाइल करना चाहिए। यह आय हमें वेतन, व्यवसाय से मुनाफा, घर संपत्ती से प्राप्त आय या लाभांश, पूंजीगत लाभ, ब्याज या अन्य स्रोतों के रूप में प्राप्त हो सकती है।
एक निश्चित तारीख से पहले किसी भी व्यक्ति या व्यवसाय को इन्कम टैक्स रिटर्न फाइल करना होता है। अगर कोई करदाता निश्चित समय सीमा में रिटर्न फाइल करने में विफल रहता है तो उसे जुर्माना देना होता है।
आयकर रिटर्न किसे फाइल करना चाहिए?
आयकर अधिनियम के अनुसार, आयकर का भुगतान सिर्फ उन व्यक्तियों या व्यवसायों द्वारा किया जाना चाहिए जिनकी आय आयकर अधिनियम में बताए गए स्लैब के अंतर्गत कर–योग्य मानी जाती है। यहाँ नीचे उन संस्थाओं और व्यवसाय के बारे में बताया गया है जिन्हें भारत में अपने आईटीआर को अनिवार्य रूप से फाइल करना जरूरी है –
- 59 वर्ष की आयु तक के सभी व्यक्ति, जिनकी कुल आय वित्त वर्ष में 2.5 लाख रुपए से ज्यादा है, उन्हें आईटीआर फाइल करना जरूरी है। वरिष्ठ नागरिकों (60-79 वर्ष की आयु) के लिए यह लिमिट 3 लाख रुपए तक और सुपर वरिष्ठ नागरिकों के लिए (80 वर्ष और उससे अधिक आयु) यह लिमिट 5 लाख रुपए तक बढ़ जाती है। यह ध्यान रखना जरूरी है कि आय की गणना सेक्शन 80सी से 80यू के तहत कटौती और धारा 10 के तहत अन्य छूट में दी गई कटौती से पहले कर लेनी चाहिए।
- वह सभी पंजीकृत कंपनियाँ जो आय अर्जित करती हैं, इसका इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की उन्होंने वर्तमान वर्ष में कोई लाभ कमाया है या नहीं।
- वह लोग, जो उनके द्वारा पहले जमा कराए हुए अतिरिक्त आयकर / आयकर पर रिफंड का क्लेम करना चाहते हैं।
- वह व्यक्ति जिनके पास भारत के बाहर कोई संपत्ति या वित्तीय हित संस्थाएँ हैं।
- विदेशी कंपनियां जो भारत में किए गए लेनदेन पर संधि का लाभ (ट्रीटी बेनीफिट) उठाती हैं।
- वे एनआरआई जो भारत में एक वित्त वर्ष मे 2.50 लाख रुपए से ज्यादा कमाते हैं।
आईटीआर भरने के लिए आवश्यक दस्तावेज
अपनी ई-फाइलिंग प्रकिया शुरू करने से पहले यह जरूरी है कि इससे संबंधित निम्न दस्तावेज आपके पास हों -
- बैंक और डाकघर बचत खाता पासबुक, पीपीएफ खाता पासबुक
- सैलरी स्लिप
- आधार कार्ड, पैन कार्ड
- फॉर्म-16- आपके द्वारा दिए गए वेतन और काटे गाए टीडीएस का ब्योरा देने के लिए आपके नियोक्ता द्वारा आपको जारी किया गया टीडीएस प्रमाणपत्र
- बैंकों और डाकघर से प्राप्त ब्याज प्रमाण पत्र
- फॉर्म -16 ए, अगर टीडीएस को मौजूदा कर कानूनों के अनुसार निर्धारित सीमा से अधिक वेतन जैसे कि फिक्स्ड डिपॉजिट से प्राप्त ब्याज, आवर्ती जमा आदि के भुगतान पर काटा जाता है।
- अगर आपने कोई संपत्ति बेची है, तो खरीदार से फॉर्म -16 बी, जो आपके द्वारा भुगतान की गई राशि पर काटे गए टीडीएस को दिखाता है
- आपके द्वारा प्राप्त किराए पर काटे गए टीडीएस का विवरण प्रदान करने के लिए आपके किरायेदार से फॉर्म -16 सी
- फॉर्म 26AS - आपका समेकित वार्षिक कर विवरण। इसमें आपके पैन से जुड़े जमा करों के बारे में पूरी जानकारी होती है
- आपके नियोक्ता द्वारा काटा गया टीडीएस
- बैंकों द्वारा काटा गया टीडीएस
- आपके द्वारा किए गए भुगतान पर किसी भी अन्य संगठन द्वारा काटा गया टीडीएस
- आपके द्वारा जमा किए गए अग्रिम कर
- आपके द्वारा भुगतान किए गए स्व-मूल्यांकन कर
- टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट प्रूफ
- धारा 80 डी से 80 यू के तहत कटौती का दावा करने का प्रमाण (स्व और परिवार के लिए स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम, शिक्षा ऋण पर ब्याज)
- बैंक से होम लोन का स्टेटमेंट
फॉर्म 26एएस क्या है?
फॉर्म 26 एएस एक बहुत जरूरी दस्तावेज़ है, जो व्यक्तियों, कर्मचारियों और फ्रीलांसरों द्वारा किए गए भुगतान / निवेश पर स्रोत पर कटौती किए गए कर (टैक्स डिडकश्न एट सोर्स) के हिस्से को दिखाता है। यह करदाताओं को उनके द्वारा दिए गए किसी भी अतिरिक्त कर या अतिदेय कर भुगतान (ओवरड्यू टैक्स पेमेंट) के लिए धनवापसी (रिफ़ंड) का दावा करने में सक्षम बनाता है।
नया फॉर्म 26एएस, जो कि निर्धारण वर्ष (असेसमेंट ईयर) 2020-2021 से लागू हो गया है, को इसलिए पुनर्निर्मित किया गया है ताकि इससे लोगों को इन्कम टैक्स रिटर्न ऑनलाइन फाइल करने में आसानी हो और साथ ही साथ उन्हें किसी भी कर नियमों का पालना करने के लिए प्रोत्साहित कर सके।
नए फॉर्म 26एएस की एक महत्वपूर्ण विशेषता वित्तीय लेनदेन के स्टेटमेंट है। जैसा कि नाम से ही पता चलता है, यह ऐसे स्टेटमेंट है, जहां करदाता अपने किए गए उन सभी प्रमुख वित्तीय लेनदेन का उपयोग करते हैं जिससे उन्हें रिटर्न फाइल करते समय फायदा हो।
26एएस के नए प्रारूप (फॉर्मेट) में आपके आधार कार्ड विवरण, जन्म तिथि, ईमेल और घर का पता, आपके जन्म की तारीख और आपका मोबाइल नंबर भी दिखाई देता है।
यह दिखाता है कि क्या कोई कर कार्यवाही है जो कर अधिकारियों के पास लंबित है या पूरी हो चुकी है।
आधार को इनकम टैक्स रिटर्न से कैसे लिंक करें?
टैक्स रिटर्न फाइल करते समय प्रत्येक व्यक्तिगत करदाता को अपना आधार नंबर लिखना अनिवार्य है। अपने पैन कार्ड को अपने आधार नंबर से लिंक करना भी जरूरी है। जब तक आधार नंबर को नहीं लिखा जाता है, तब तक कोई भी डिजिटल या मैन्युअल रूप से टैक्स रिटर्न फ़ाइल नहीं कर सकता है। वरिष्ठ नागरिक अपना टैक्स रिटर्न मैन्युअल रूप से फाइल कर सकते हैं लेकिन वह नागरिक जो कि 80 साल की उम्र से कम है तो उन्हें तो इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ही अपना रिटर्न फाइल करना होगा।
अपने आधार नंबर को अपने आयकर रिटर्न से लिंक करने के लिए-
- आयकर वेबसाइट में दिये किए गए नए आईटीआर फॉर्म्स में दिये गए अतिरिक्त स्थानों में अपना नंबर लिखे।
- अगर आपने आधार नंबर के लिए आवेदन किया है, पर यह आपको अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है, तो आप 28 अंकों की नामांकन आईडी का उपयोग कर सकते हैं।
- अगर आधार नंबर को इलेक्ट्रॉनिक रूप से पहले जोड़ा गया हो तो वह अपने आप ही आईटीआर रूपों में लिख दिया जाता है।
सितंबर 2020 तक पिछले आईटीआर का वन टाइम वेरिफिकेशन
भारत के आयकर प्राधिकरण ने इस साल सितंबर तक, पहले से फाइल किए हुए रिटर्न के वन-टाइम वेरिफिकेशन की अनुमति दी है। इससे पहले कर दाताओं को वेरिफिकेशन करने के लिए रिटर्न भरने की तारीख से केवल 120 दिनों का समय दिया जाता था। सितंबर 2020 तक का वन-टाइम वेरिफिकेशन प्रावधान उन करदाताओं के लिए है जिन्होंने मूल्यांकन वर्ष 2015-16 से 2020-21 तक अपने टैक्स रिटर्न को वेरिफाई नहीं किया है।
जब भी कोई व्यक्ति ऑनलाइन रिटर्न फाइल करता है, तो उसे आईटीआर वी स्लिप को डाक द्वारा या डिजिटल रूप से सीपीसी, बेंगलुरु को भेजकर वेरिफाई कराना होता है। वेरिफिकेशन करदाता द्वारा यह पुष्टि करने की घोषणा है कि उसके द्वारा दिए गए विवरण में प्रदान की गई जानकारी सच और सही है। टैक्स रिटर्न वेरिफिकेशन बहुत जरूरी है क्योंकि रिटर्न की पुष्टि नहीं होने की स्थिति में, टैक्स फ़ाइल करने की प्रक्रिया अधूरी रह जाती है। इस प्रकार करदाता दंड का भागी बन जाता है।
आईटीआर फॉर्म में नया क्या है?
नए आईटी रिटर्न फॉर्म में कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण घोषित राहत उपाय शामिल हैं। ये नए टैक्स रिटर्न फॉर्म हाल ही में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा अधिसूचित किए गए थे।
फॉर्म्स में निम्नलिखित विशेषताएं हैं:
करदाताओं का व्यापक दायरा: व्यक्तियों, हिंदू अविभाजित परिवारों (एचयूएफ) के साथ-साथ भागीदारी फर्मों को भी शामिल किया गया है, जिन्होंने एक बैंक में 1 करोड़ रुपये से अधिक पैसे जमा किए हैं, 2 लाख रुपये का व्यक्तिगत यात्रा व्यय का भुगतान किया है, 1 लाख रुपये से अधिक का बिजली उपयोगिता बिल का भुगतान किया है।
अलग-अलग अनुसूची: शेड्यूल डीआई नामक एक अलग शेड्यूल को नए फॉर्म में जोड़ा गया है जो करदाता को निवेशित या खर्च की गई उस राशि को दिखाने के लिए है जिस पर उसे टैक्स रिबेट की जरूरत है।
आईटीआर -1 या आईटीआर -4 के जरिए एक घर के संयुक्त मालिकों को कर रिटर्न दाखिल करने से रोकने के लिए मौजूद पिछलेे संशोधन को अब हटा दिया गया है।
ई-फाइलिंग का महत्व
इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग या ई-फाइलिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें इंटरनेट पर टैक्स रिटर्न जमा करना शामिल है। यह एक सॉफ्टवेयर का उपयोग करके किया जाता है जिसे भारत के आयकर विभाग द्वारा पूर्व-अनुमोदित (प्री-अप्रूवड) किया गया है।
ई-फाइलिंग के ऐसे बहुत लाभ हैं जिन्होंने कर भुगतान की ऑनलाइन प्रणाली को तेजी से लोकप्रिय बना दिया है। करदाता को वित्तीय वर्ष में एक विशिष्ट अवधि के दौरान किसी भी सुविधाजनक समय पर अपने घर से कर रिटर्न फाइल करने की स्वतंत्रता है।
हालांकि कुछ व्यक्तियों के लिए आईटीआर दाखिल करना अनिवार्य नहीं है, फिर भी यह उनके लिए फायदेमंद हो सकता है। तो चलिए देखते हैं कि आईटीआर दाखिल करने वाले व्यक्ति को क्या लाभ हो सकता है:
रिफंड का दावा करते समय: एक बड़ी संभावना है कि भारत में आय या निवेश करने वाले व्यक्ति के नाम पर स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) की गई हो। अगर करदाता टीडीएस पर रिफंड का दावा करना चाहता है (कर नियमों के अनुसार), तो उसे इसके लिए आईटीआर फाइल करना होगा।
दस्तावेजों की वेरिफिकेशन में आसानी: आयकर रिटर्न आपको अपने इनकम चार्ट को स्थापित करने वाले दस्तावेज़ तैयार करने में मदद करता है, जिसका उपयोग लोन के लिए आवेदन करते समय किया जा सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि लोन के लिए आवेदन आपकी आय के आधार पर आपकी योग्यता की जांच करता है कि आप लोन लेने और उसे चुकाने के लिए योग्य हैं भी या नहीं। एक आईटीआर आपकी कुल आय का एक विस्तृत ब्योरा तो देता ही है इसके साथ ही यह वीजा और लोन एप्लिकेशन के दौरान सबसे ज्यादा स्वीकृत दस्तावेज़ है।
आय के प्रमाण के रूप में: आयकर रिटर्न दस्तावेज़ आय प्रमाण के रूप में काम करते हैं और आपके बीमाकर्ता को आकस्मिक मृत्यु या विकलांगता के मामले में भुगतान किए जाने वाले मुआवज़े को समझने में मदद करते हैं। चूंकि यह एक सरकारी निकाय को प्रस्तुत किया जाता है, इसलिए इसे एक वेरिफाइड और आधिकारिक दस्तावेज माना जाता है।
अपने आईटीआर को फाइल करने के लिए, आप सीधे ऑनलाइन फॉर्म भर सकते हैं या किसी पेशेवर की मदद ले सकते हैं। आयकर रिटर्न फॉर्म का नाम ‘सहज’ है और इसे आयकर विभाग की आधिकारिक वेबसाइट से या ऑनलाइन भरा जा सकता है। जब आप एक बार अपना रिटर्न फाइल कर देते हैं, तो आईटीआर-वी फॉर्म एक रसीद के रूप में मिलता है। इस फॉर्म को आपके रिटर्न भरने के 120 दिनों के अंदर वेरिफाई करना होता है।
आपको कौन-सा आईटीआर फॉर्म भरना चाहिए?
आयकर विभाग की वेबसाइट कई प्रकार के फॉर्म्स सूचीबद्ध करती है जो करदाताओं को अपनी आय के आधार पर भरने की आवश्यकता हो सकती है। हालांकि इनमें से कुछ फॉर्म भरने में आसान हैं,और कुछ फॉर्म्स में आपके लाभ और हानि के जैसे अतिरिक्त स्टेटमेंट की आवश्यकता होती है। फॉर्म्स के प्रकारों को अच्छे से समझने में आपकी मदद करने के लिए यहां एक छोटी-सी मार्गदर्शिका दी गई है:
ITR-1: सहज या ITR- 1 को उन व्यक्तियों द्वारा भरा जाना है, जो एक निवासी (सामान्य निवासी ना होने वालों के अलावा) जिनकी कुल आय 50 लाख रुपये तक और वेतन से आय, घर की संपत्ति, अन्य स्रोत (ब्याज आदि) और कृषि आय ₹5000 तक है।
ITR-2: यह फॉर्म उन व्यक्तियों और एचयूएफ द्वारा भरा जाना चाहिए, जिनके पास व्यवसाय या पेशे के लाभ से आय नहीं हो।
ITR -3: यह फॉर्म उन व्यक्तियों और एचयूएफ के लिए है, जो व्यवसाय या पेशे के लाभ से आय रखते हैं
ITR-4: (सुगम): अगर आपका व्यवसाय आपको अनुमानित आय देता है, तो आपको इस फॉर्म को भरने की आवश्यकता है। यह फॉर्म व्यक्तियों, एचयूएफ और फर्म (एलएलपी के अलावा) द्वारा भरा जा सकता है, जिनकी कुल आय 50 लाख रुपये तक है और व्यवसाय और पेशे से आय है, जिसकी गणना 44AD, 44ADA या 44AE के तहत की जाती है।
ITR स्टेटस ऑनलाइन कैसे चेक करें?
एक बार जब आप अपना आयकर रिटर्न भर देते हैं और इसे वेरिफाई कराते हैं, तो आपके टैक्स रिटर्न का स्टेटस 'वेरिफाईड’ हो जाता है। प्रोसेसिंग पूरी होने के बाद, स्टेटस 'ITR प्रोसेस्ड' हो जाता है।
अगर आप यह जानना चाहते हैं कि आपका टैक्स रिटर्न भरने के बाद किस चरण में है और अपना आईटीआर स्टेटस ऑनलाइन देखना चाहते हैं, तो नीचे इसकी प्रकिया बताई गई है:
विकल्प 1
लॉगिन क्रेडेंशियल के बिना
आप ई-फाइलिंग वेबसाइट के सबसे बाईं ओर आईटीआर स्थिति टैब पर क्लिक कर सकते हैं।
फिर आपको एक नए पेज पर निर्देशित किया जाता है, जहां आपको अपना पैन नंबर, आईटीआर रसीद संख्या और कैप्चा कोड भरना होता है।
एक बार यह पूरा हो जाने के बाद, आपके फाइलिंग की स्थिति स्क्रीन पर दिखाई देगी।
विकल्प 2
लॉगिन क्रेडेंशियल के साथ
ई-फाइलिंग वेबसाइट पर लॉगइन करें।
'रिटर्न / फॉर्म देखें' विकल्प पर क्लिक करें
ड्रॉपडाउन मेनू से, आयकर रिटर्न और मूल्यांकन वर्ष का चयन करें
एक बार यह हो जाने के बाद, आपके फाइलिंग की स्थिति (केवल वेरिफाईड या प्रोसेस्ड) स्क्रीन पर प्रदर्शित की जाएगी।
आयकर विभाग को आपकी आय और कराधान के बारे में सूचित रखना आपको कानून की नजर में सही रखेगा और आपकी वित्तीय योग्यता के बीच रोढ़े नहीं आने देगा। अब जब आप जानते हैं कि आपको अनिवार्य रूप से अपना आईटीआर भरना है या नहीं, तो आपको यह सुनिश्चित करने कि आवश्यकता है कि आप हर साल समय से पहले ये प्रक्रिया पूरी कर लें।
इनकम टैक्स रिटर्न कैसे डाउनलोड करें?
अंतिम समय के तनाव और दंड से बचने के लिए, समय पर आईटीआर दर्ज करना महत्वपूर्ण है। एक बार जब आप अपना आईटीआर दर्ज कर लेते हैं, तो आईटी विभाग द्वारा आयकर वेरिफिकेशन फॉर्म तैयार किया जाता है ताकि करदाता ई-फाइलिंग की वैधता को वेरिफाई कर सकें। ये तभी लागू होते हैं जब आपने बिना डिजिटल हस्ताक्षर के अपना रिटर्न दाखिल किया हो।
आयकर रिटर्न वेरिफिकेशन फॉर्म को आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है।
1.) इनकम टैक्स इंडिया की वेबसाइट https://portal.incometaxindiaefiling.gov.in/e-Filing/UserLogin/LoginHome.html?lang=eng पर लॉग इन करें
2.) 'रिटर्न / फॉर्म देखें' विकल्प पर क्लिक करके ई-फाइल टैक्स रिटर्न देखें
आयकर रिटर्न विकल्प का चयन करें
सभी वर्षों का विवरण जिसके लिए रिटर्न दर्ज किया जाता है, प्रदर्शित किया जाएगा
1.) ITR-V डाउनलोड करने के लिए रसीद नंबर पर क्लिक करें।
2.) 'ITR-V रसीद' का चयन करके डाउनलोड शुरू करें
3.) डाउनलोड किए गए दस्तावेज़ को खोलने के लिए अपना पासवर्ड दर्ज करें। पासवर्ड आपके जन्मतिथि के साथ निचले अक्षरों में आपका पैन नंबर है।
उदाहरण के लिए-
पैन - ASIJP2345P
जन्मतिथि- 31/12/1980
पासवर्ड - asijp2345p31121980
आपको ई-फाइलिंग के 120 दिनों के भीतर सीपीसी बैंगलोर को मुद्रित और हस्ताक्षरित दस्तावेज़ भेजने की आवश्यकता है। नेट बैंकिंग और एटीएम आदि के माध्यम से ओटीपी जनरेट कर आयकर रिटर्न का इ-वेरिफिकेशन करने का भी विकल्प मौजूद है।
निष्कर्ष
अब जब आप करों को दर्ज करने की प्रक्रिया और दस्तावेजों को समझते हैं, तो हम अगले बड़े विषय पर आगे बढ़ते हैं– सही टैक्स रिकॉर्ड रखने के लिए 10 अहम बातें। इसके लिए हमें अगले अध्याय पर जाना होगा।
अब तक आपने पढ़ा
- करदाता की कर देयता की गणना उसकी आय के आधार पर की जाती है।
- आयकर कानूनों के अनुसार, रिटर्न हर साल एक व्यक्ति या व्यवसाय जो किसी वित्तीय वर्ष के दौरान कोई आय अर्जित करता है, के द्वारा दायर किया जाना चाहिए।
- अपनी ई-फाइलिंग प्रक्रिया शुरू करने से पहले सभी संबंधित दस्तावेजों जमा करना महत्वपूर्ण है।
- इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग या ई-फाइलिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें इंटरनेट पर टैक्स रिटर्न जमा करना शामिल है।
अपने ज्ञान का परीक्षण करें
इस अध्याय के लिए प्रश्नोत्तरी लें और इसे पूरा चिह्नित करें।
आप इस अध्याय का मूल्यांकन कैसे करेंगे?
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