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मूल्यांकन का मैदान
4.3
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पिछले अध्याय में हमने देखा कि आप DCF मॉडल का उपयोग करके किसी कंपनी का मूल्य कैसे निर्धारित कर सकते हैं। ठीक इसी प्रकार, आप अन्य मूल्यांकन मॉडलों जैसे डिविडेंड डिस्काउंट मॉडल या मार्केट वैल्यू मूल्यांकन की मदद से शेयरधारकों को मिलने वाले मूल्य का पता लगा सकते हैं। लेकिन ये पता लगाने के बाद, अगला कदम क्या है? क्या यह सब एक मूल्यांकन आंकड़े पर पहुंचने के लिए नहीं किया गया - जो आपको यह पहचानने में मदद करता है कि किसी कंपनी के शेयर ओवरवैल्यूड है या अंडरवैल्यूड?
पिछले अध्याय से आइशर मोटर्स का उदाहरण लेते हुए, आइए, मूल्यांकन अभ्यास को पूरा करते हैं:
मूल्यांकन आंकड़े पर पहुँचना
आपको याद होगा कि DCF पद्धति का उपयोग करते हुए हमने आइशर मोटर्स के वर्तमान मूल्य की गणना ₹87,846.29 करोड़ की थी। इस संख्या का उपयोग हम कंपनी के शेयरों के आंतरिक मूल्य की पहचान करने के लिए कर सकते हैं। यहां वो फ़ॉर्मूला है जिसका हम उपयोग करेंगे:
प्रत्येक शेयर का आंतरिक मूल्य = कंपनी का कुल वर्तमान मूल्य ÷ शेयरों की कुल संख्या बकाया |
आइशर मोटर्स की वार्षिक रिपोर्ट का यह स्क्रीनशॉट आपको वर्ष 2019-20 के अंत तक बकाया शेयरों की कुल संख्या दर्शाता है।
फ़ॉर्मूले में इन मूल्यों को रखते हैं:
प्रत्येक शेयर का आंतरिक मूल्य
= ₹87,846.29 करोड़ ÷ ₹2.7304570 करोड़
= ₹32,172.74
यह वो मूल्यांकन नंबर है जो हमें DCF मॉडल से मिलता है।
अनुमान तय करना
आपने देखा कि DCF मॉडल के अनुसार आइशर मोटर्स के प्रत्येक शेयरों का आंतरिक मूल्य ₹32,172.74 है। क्या इसका मतलब यह है कि प्रत्येक शेयर का मूल्य इतना ही है? ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। क्योंकि यह मूल्यांकन संख्या स्पष्ट या सटीक नहीं है, यह एक अनुमान मात्र है। ऐसा इसलिए, क्योंकि DCF मॉडल कई अनुमानों पर निर्भर करता है। और अगर हम उन अनुमानों में से किसी को थोड़ा भी बदलना चाहें, तो अंतिम परिणाम में बहुत बड़ा अंतर आ सकता है।
चलिए, पिछले अध्याय के इन अनुमानों को देखते हैं
- पूर्वानुमान अवधि के लिए विकास दर (ग्रोथ रेट): 10%
- टर्मिनल विकास दर: 3%
- डिस्काउंट दर: 5%
क्या हो, अगर हम विकास दर को सिर्फ 2% बदलें और और इसे 12% पर ले आएँ? आइए देखते हैं कि यह आंतरिक मूल्य को कैसे प्रभावित करता है।
1. 12% पर कंपनी के फ्री कैश फ्लो की गणना
वर्ष |
विकास दर |
फ्री कैश फ्लो (करोड़ों रुपए में) |
टिप्पणियाँ |
आधार वर्ष |
1,241.68 |
पहली गणना के अनुसार |
|
1 वर्ष (2019-20) |
10% |
1,390.68 |
= 1,241.68 x (1 + 12%) |
2 वर्ष (2020-21) |
10% |
1,557.56 |
= 1,390.68 x (1 + 12%) |
3 वर्ष ((2021-22) |
10% |
1,744.47 |
= 1,557.56 x (1 + 12%) |
4 वर्ष (2022-23) |
10% |
1,953.81 |
= 1,744.47 x (1 + 12%) |
5 वर्ष (2023-24) |
10% |
2,188.26 |
= 1,953.81 x (1 + 12%) |
2. टर्मिनल वैल्यू
टर्मिनल वैल्यू अप्रभावित रहता है क्योंकि हमने सिर्फ फ्री कैश फ्लो के विकास दर के लिए अपनी धारणाओं को संशोधित किया है। छूट दर और टर्मिनल विकास दर एक समान है।
इसलिए टर्मिनल वैल्यू ₹1,02,986.50 करोड़ ही रहती है।
3. कंपनी के वर्तमान मूल्य पर भविष्य के कैश फ्लो और टर्मिनल वैल्यू पर छूट देना (डिस्काउंट करना)
छूट की दर समान रहती है लेकिन अनुमानित फ्री कैश फ्लो बदल गया है इसलिए हमें नई धारणा के लिए एक बार फिर से वर्तमान मूल्य की गणना करने की आवश्यकता है।
वर्ष |
FCF या टर्मिनल वैल्यू की राशि (करोड़ों रुपए में) |
छूट दर |
कैश फ्लो का वर्तमान मूल्य |
टिप्पणियां |
1 साल (2020-21) |
1,390.68 |
5% |
1,412.75 |
= 1,390.68 ÷ (1 + 5%)1 |
2 साल (2021-22) |
1,557.56 |
5% |
1,412.75 |
= 1,557.56 ÷ (1 + 5%)2 |
3 साल (2022-23) |
1,744.47 |
5% |
1,506.94 |
= 1,744.47 ÷ (1 + 5%)3 |
4 साल (2023-24) |
1,953.81 |
5% |
1,607.40 |
= 1,953.81 ÷ (1 + 5%)4 |
5 साल (2024-25) |
2,188.26 |
5% |
1,566.85 |
= 2,188.26 ÷ (1 + 5%)5 |
1,02,986.50 |
5% |
80,692.62 |
= 1,02,986.50 ÷ (1 + 5%)5 |
|
सभी उपस्थित मूल्यों का जोड़ |
88,258.73 |
4. प्रत्येक शेयर के आंतरिक मूल्य की गणना
नए वर्तमान मूल्य को फ़ॉर्मूले में लगाकर हम आंतरिक मूल्य देखते हैं:
प्रत्येक शेयर का आंतरिक मूल्य
= ₹88,258.73 करोड़ ÷ ₹ 2.7304570 करोड़
= ₹32,323.79
देखिए, आंतरिक मूल्य ₹32,172.74 प्रति शेयर से ₹32,323.79 प्रति शेयर में कैसे बदल गया? यह एक छोटा सा बदलाव लग सकता है। लेकिन अगर आप सभी अनुमानों को एक साथ बदलें, तो आंतरिक मूल्य में बदलाव ज़्यादा साफ दिखाई देता है। यही कारण है कि यह अनुमान लगाना और त्रुटी सीमा या एरर मार्जिन रखना ज़रूरी है।
आंतरिक मूल्य सीमा/ रेंज
अब जब आप जानते हैं कि आंकड़ों में बेहद मामूली बदलाव के लिए आंतरिक मूल्य कितना संवेदनशील है, तो आप इस बात से सहमत होंगे कि किसी कंपनी के आंतरिक मूल्य की पहचान के लिए एक निरपेक्ष आंकड़े के बजाय एक सीमा या रेंज का उपयोग करना अधिक समझदारी है। आदर्श रूप से, आप जो सीमा ले सकते हैं वह उस आंकड़े के दोनों तरफ से 10% का मार्जिन हो सकता है। आप चाहें तो इसे बढ़ा भी सकते हैं या इसे 5% तक सीमित भी कर सकते हैं।
आइशर मोटर्स के मामले में हम 10% का मार्जिन ले लेते हैं। आंतरिक मूल्य- ₹32,172.74 प्रति शेयर को देखते हुए हमने गणना की और यह उसी की ऊपरी और निचली सीमा है:
ऊपरी सीमा:
= ₹32,172.74 (1 + 10%)
= ₹35,390 प्रति शेयर
निचली सीमा:
= ₹32,172.74 (1 - 10%)
= ₹28,955 प्रति शेयर
यह हमें बताता है कि आइशर मोटर्स के शेयरों का आंतरिक मूल्य आदर्श रूप से ₹28,955 प्रति शेयर से ₹35,390 प्रति शेयर की सीमा में होना चाहिए।
यह सीमा आपको क्या बताती है?
हमारी गणना के अनुसार आंतरिक मूल्य सीमा ₹28,955 प्रति शेयर से ₹35,390 प्रति शेयर के बीच है। अब इसे आइशर मोटर्स की वर्तमान बाजार कीमत से तुलना करें, जो लगभग ₹20,000 , तो आप देखते हैं कि बाजार मूल्य हमारे आंतरिक मूल्य गणना की निचली सीमा से नीचे है।
इसका मतलब है कि शेयर अंडरवैल्यूड है।
मूल्य की तुलना के आधार पर निष्कर्ष
- अगर मौजूदा बाजार मूल्य, आंतरिक मूल्य की निचली सीमा से नीचे आता है, तो शेयर को अंडरवैल्यूड कहा जाता है। और यह एक नियम है कि निवेशक अंडरवैल्यूड शेयरों को खरीदना पसंद करते हैं क्योंकि आखिर में मूल्य सुधार यानी प्राइस करेक्शन, बाजार मूल्य को आंतरिक मूल्य के स्तर तक ले जाएगा।
- अगर मौजूदा बाजार मूल्य, आंतरिक मूल्य के दायरे में है तो शेयर को बाजार में फेयर वैल्यूड यानी सही कीमत वाला शेयर कहा जाता है। चूंकि उतार-चढ़ाव इस स्थिति को बदल भी सकता है, इसलिए इस चरण में शेयर खरीदना आम तौर पर उचित नहीं है। निवेशक अक्सर ऐसे शेयरों को होल्ड करते हैं या कभी-कभी उन्हें मुनाफ़े के लिए बेच देते हैं।
- अगर मौजूदा बाजार मूल्य, आंतरिक मूल्य के ऊपरी सीमा से ऊपर है, तो शेयर को ओवरवैल्यूड कहा जाता है। निवेशक ओवरवैल्यूड शेयरों को नहीं खरीदते हैं क्योंकि आखिर में प्राइस करेक्शन बाजार मूल्य को आंतरिक मूल्य के स्तर तक नीचे ले आएँगे। निवेशक, अक्सर अपने ओवरवैल्यूड शेयर मुनाफ़े पर बेच देते हैं।
त्रुटि मार्जिन की आवश्यकता
हमने DCF मॉडल के मामले में देखा कि इसमें कई अनुमान शामिल होते हैं, इसलिए त्रुटि सीमा या एरर मार्जिन का उपयोग करना आवश्यक है। लेकिन उन मूल्यांकन आंकड़ों का क्या जिन पर आप अन्य विधियों का उपयोग करके पहुंचते हैं? वो मॉडल भी कई मान्यताओं और अनुमानों पर काम करते हैं और इसलिए ही हमेशा आंतरिक मूल्य को एकल, पूर्ण मूल्य के बजाय एक बैंड या एक सीमा में देखने की सलाह दी जाती है।
यहाँ अलग-अलग पद्धतियों में मूल्यांकन के लिए किए गए अनुमान और मान्यताओं पर एक बार फिर से नज़र डालते हैं:
गोइंग कंसर्न की धारणा
ज़्यादातर मूल्यांकन मॉडल (शायद सिर्फ एसेट बेस्ड अप्रोच के लिक्विडेशन पहलू को छोड़कर) यह मानते हैं कि जिस कंपनी का मूल्यांकन किया जा रहा है वह भविष्य में चलती रहेगी। DCF पद्धति को ही लें, जहां कैश फ्लो का अनुमान इस आधार पर लगाया जाता है कि कंपनी भविष्य में व्यापार करती रहेगी। या फिर DDM मूल्यांकन को लें, जहां डिविडेंड का अनुमान भी इसी आधार पर लगाया जाता है। यहां तक कि मार्केट वैल्यू मूल्यांकन में भी लिक्विडेशन अप्रोच को विशिष्ट तौर पर नहीं देखा जाता।
विकास दर और कैश फ्लो से जुड़ी धारणाएं
वो मूल्यांकन मॉडल जो कैश फ्लो या डिविडेंड पर निर्भर करते हैं, वह यह मानते हैं कि ये तत्व निर्धारित दर से बढ़ते रहेंगे। यहां तक कि उन मामलों में भी, जहां ये धारणाएं बहुत रूढ़िवादी हैं, इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि आखिर में ये सभी अनुमान ही हैं। यानी, इनके गलत होने की संभावना हमेशा मौजूद होती है।
उदाहरण के तौर पर, डिविडेंड डिस्काउंट मॉडल अगले 5 वर्षों के लिए डिविडेंड भुगतान की एक निश्चित विकास दर मान कर चल सकता है। लेकिन हो सकता है कि 3 साल बाद, किसी कारण से कंपनी डिविडेंड दे ही ना पाए।
उद्योग के बारे में धारणाएं
उद्योग-उन्मुख धारणाएं भी किसी मूल्यांकन प्रक्रिया का एक आंतरिक हिस्सा है। कुछ तरीके दूसरों की तुलना में इसका ज़्यादा उपयोग करते हैं। बाजार-आधारित मूल्यांकन दृष्टिकोण, जहां एक कंपनी का मूल्य हाल ही में बेची गई समान कंपनी के मूल्य का उपयोग करके निर्धारित किया जाता है, वह उद्योग से जुड़े अनुमान पर काम करता है। अन्य मूल्यांकन मॉडल भी इन धाराणाओं को ध्यान में रखते हैं।
मैक्रोइकोनॉमिक परिदृश्य से जुड़ी धारणाएं
उद्योग से परे, कई व्यापक आर्थिक कारक हैं जो मूल्यांकन के लिए उपयोग किए जाने वाले मैट्रिक्स का निर्धारण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। GDP विकास दर, जोखिम मुक्त दर और यहां तक कि किसी देश की अर्थव्यवस्था को लेकर दृष्टिकोण भी इस प्रक्रिया को प्रभावित करता है।
अनुमान के साथ जुड़े जोखिम
ऊपर बताई गई धारणाओं में सबका अपना-अपना जोखिम है। जोखिम उस कंपनी पर भी निर्भर करता है जिसका आप मूल्यांकन करते हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर आप किसी स्टार्टअप का मूल्यांकन कर रहे हैं, तो आपके पास बहुत अधिक ऐतिहासिक डाटा नहीं होगा। और इसलिए आपको बहुत सी धारणाएँ या अनुमान लेकर चलना होगा, जिनकी भविष्य में गलत होने की संभावना है।
वहीं, अगर आप एक ईकॉमर्स कंपनी का मूल्यांकन कर रहे हैं, तो संभावना है कि एक अनंत संसाधनों वाले प्रमुख अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगी के बाज़ार में आ जाने से कंपनी के भविष्य का प्लान बिगाड़ जाए, जो कि एक बड़ा जोखिम है। इसी तरह, अगर आपकी कंपनी ऐसे उद्योग में काम करती है जिसे विशेष टैक्स लाभ मिलता है, तो सरकार द्वारा उन लाभों को संशोधित या वापस लेने का जोखिम हमेशा बना रहता है।
निष्कर्ष
मूल्यांकन के मैदान पर हमारी ये चर्चा यहीं खत्म होती है। माना कि ये मैदान बहुत समतल नहीं है, लेकिन संभावित त्रुटियों को ध्यान में रखते हुए आप कुछ हद तक, अनुमानों से जुड़े जोखिमों को कम कर सकते हैं। इसके अलावा, मूल्यांकन, विश्लेषकों और निवेशकों को कई प्रमुख रेशियो और संख्याओं तक पहुंचने में भी मदद करता है। और इसके बारे में हम स्मार्ट मनी के अगले अध्याय में जानेंगे
अब तक आपने पढ़ा
- प्रत्येक शेयर का आंतरिक मूल्य = कंपनी का कुल वर्तमान मूल्य ÷ शेयरों की कुल बकाया संख्या
- मूल्यांकन संख्या स्पष्ट या सटीक नहीं होती, ये बस एक अनुमान है। और अगर हम उन धारणाओं में से किसी को थोड़ा भी बदलते हैं, तो अंतिम परिणाम में बहुत अंतर आ सकता है।
- किसी कंपनी के आंतरिक मूल्य की पहचान करने के लिए एक निरपेक्ष वैल्यू के बजाय एक सीमा का उपयोग करना अधिक सही रहता है।
- अगर मौजूदा बाजार मूल्य, आंतरिक मूल्य के निचले सीमा से नीचे आता है, तो शेयर को अंडरवैल्यूड कहा जाता है।
- अगर मौजूदा बाजार मूल्य, आंतरिक मूल्य के दायरे में है, तो स्टॉक को बाजार में फेयरली वैल्यूड हा जाता है।
- अगर मौजूदा बाजार मूल्य, आंतरिक मूल्य के ऊपरी सीमा से ऊपर है, तो स्टॉक को ओवरवैल्यूड कहा जाता है।
- मूल्यांकन मॉडल बनाने के लिए कई मान्यताओं और अनुमानों का उपयोग किया जाता है।
- इनमें गोइंग कंसर्न की धारणा, कैश फ्लो का अनुमान, व्यापक आर्थिक स्थितियों और उद्योग के जुड़ी धारणाएं शामिल हैं।
- इन धारणाओं में सभी का अपना-अपना जोखिम है। जोखिम उस कंपनी पर भी निर्भर करता है जिसका आप मूल्यांकन कर रहे हैं।
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