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निवेश विश्लेषण 101
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फाइनेंशियल स्टेमेंट 101: अ गाइड टू अंडरस्टैंडिंग फाइनेंशियल स्टेटमेंट 101
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आपको अगर अपनी आय और आपने इसे पिछले महीने कैसे खर्च किया, इसका विश्लेषण करना हो तो आप क्या करेंगे? आमतौर पर आप अपनी आय के अलग-अलग स्रोत की लिस्ट को उस महीने के आपके खर्चों की लिस्ट के मुकाबले आकेंगे, है ना? फाइनेंस की दुनिया में आय और व्यय की यह लिस्ट जिसे आपने अभी तैयार किया है- इसे फाइनेंशियल स्टेटमेंट माना जाता है।
ठीक इसी तरह हर कंपनी चाहे वो स्टॉक एक्सचेंज में सूचिबद्ध हो या ना हो, हर साल वह कई फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स तैयार करती है। यह आम तौर पर 12 महीने की अवधि के लिए तैयार की जाती हैं। 12 महीने की यह अवधि एक वित्तीय वर्ष के रूप में जानी जाती है। यह वित्त वर्ष हर साल 1अप्रैल शुरू होता है और अगले वर्ष 31 मार्च को समाप्त होता है।
जैसे आप अपनी आय-व्यय की सूची के माध्यम से अपनी वित्तीय स्थिति के बारे में बेहतर जानकारी हासिल कर सकते हैं, ठीक उसी तरह आप किसी कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन और उसकी वित्तीय स्थिति को उसकी फाइनेंशियल स्टेटमेंट को पढ़कर भी समझ सकते हैं।
इस अध्याय में हम आपको फाइनेंशियल स्टेटमेंट की मूल बातों के बारे में बताएँगे। हम कंपनी की अलग-अलग फाइनेंशियल स्टेटमेंट पर भी ध्यान देंगे और यह समझने की कोशिश करेंगे कि वो एक निवेशक के रूप में कैसे आपकी मदद कर सकते हैं।
फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स क्या हैं?
तकनीकी परिभाषा के अनुसार किसी भी इकाई, किसी व्यक्ति या व्यवसाय की वित्तीय और लेखा संबंधी जानकारी देने वाली रिपोर्ट को फाइनेंशियल स्टेटमेंट कहा जाता है। यह निश्चित रूप से किसी इकाई की वित्तीय स्थिति और प्रदर्शन की रिपोर्ट है, इसलिए इसे फाइनेंशियल रिपोर्ट के रूप में भी जाना जाता है। आप जैसे निवेशकों के लिए कंपनियां नियमित रूप से फाइनेंशियल स्टेटमेंट तैयार करती हैं। ताकि आपको उनकी वित्तीय गतिविधियों की स्पष्ट और संक्षिप्त जानकारी मिल सके।
कंपनी की फाइनेंशियल स्टेटमेंट क्या होती हैं?
आइए एक कंपनी के विभिन्न फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स पर एक नज़र डालते हैं। मुख्य रूप से तीन प्राथमिक फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स होती हैं जिसके बारे में आपको पता होना चाहिए। प्रॉफिटऔर लॉस स्टेटमेंट, बैलेंस शीट और कैश फ्लो स्टेटमेंट।
प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट
प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट को इनकम स्टेटमेंट के रूप में जाना जाता है। यानी ये स्टेटमेंट वित्तीय वर्ष के अंत में कंपनी के नेट मुनाफ़े और घाटे के बारे में जानकारी देती है।
इस स्टेटमेंट के इनकम सेक्शन में कंपनी द्वारा अर्जित राजस्व के सभी स्रोतों की जानकारी शामिल होती है। इसमें ऑपरेटिंग इनकम और नॉन ऑपरेटिंग इनकम दोनों ही शामिल रहते हैं। जैसे टाटा मोटर्स जैसी कंपनी के मामले में ऑटोमोबाइल के निर्माण से प्राप्त आय ऑपरेटिंग इनकम है। जबकि संपत्ति की बिक्री से जो आय होगी उसे नॉन ऑपरेटिंग इनकम कहते हैं।
व्यय या एक्सपेंडिचर सेक्शन में कंपनी द्वारा किए गए तमाम व्यय का विवरण शामिल रहता है, जैसे वेतन, यात्रा लागत, उपकरण की लागत और संपत्ति का विमूल्यन आदि। इसके अलावा इस स्टेटमेंट में कंपनी द्वारा भुगतान किए गए करों की जानकारी भी शामिल रहती है।
एक निवेशक के रूप में प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट का उपयोग करके आप बड़ी आसानी से यह जान सकते हैं कि कंपनी ने एक वर्ष में कितना कमाया और कितना खर्च किया है। इससे आप कंपनी के मुनाफ़े का आकलन कर सकते हैं।
बैलेंस शीट
किसी कंपनी की बैलेंस शीट एक रिपोर्ट है जो आपको उस कंपनी की संपत्ति और देनदारियों का एक समग्र जानकारी देती है। यह आम तौर पर दो भागों में विभाजित होती है – ऐसेट और इक्विटी और लायबिलिटी/ देनदारी।
बैलेंस शीट का एसेट पक्ष कंपनी के स्वामित्व वाली सभी लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म एसेट के बारे में जानकारी देता है। उदाहरण के तौर पर अगर किसी कंपनी के पास ज़मीन का प्लॉट है, तो उसे बैलेंस शीट में गैर-वर्तमान या नॉन-प्रेज़ेंट एसेट के भाग के तहत दिखाया जाएगा। इसी प्रकार कंपनी के बैंक खाते में मौजूद नक़दी वर्तमान या प्रेज़ेंट एसेट भाग के तहत दिखाई जाएगी।
किसी कंपनी की बैलेंस शीट की इक्विटी और देनदारियां कंपनी की शेयर कैपिटल और उसकी लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म देनदारियों को दर्शाती है। उदाहरण के तौर पर अगर किसी कंपनी ने बैंक से कर्ज़ लिया है, तो उसे बैलेंस शीट में लॉन्ग टर्म लायबिलिटी के अनुभाग के तहत दिखाया जाएगा। ठीक इसी तरह अगर कंपनी आने वाले वर्षों के अंदर ही अपने लेनदारों के कुछ पैसों का भुगतान करती है, तो वह वर्तमान देनदारियों के तहत दिखाई जाएगी।
एक निवेशक के रूप में किसी कंपनी की बैलेंस शीट आपके लिए बहुत उपयोगी है क्योंकि यह आपको उस कंपनी की संपत्ति और उसकी देनदारियों के बारे में जानकारी देती है।
कैश फ्लो स्टेटमेंट
इसमें यह पता चलता है कि किसी वित्तीय वर्ष में किसी कंपनी द्वारा कितनी नक़दी अर्जित की गई और कितनी खर्च की गई। अब आप सोचते होंगे कि कैश फ्लो स्टेटमेंट प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट के समान ही है लेकिन ऐसा नहीं है।
प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट में आम तौर पर विमूल्यन जैसी गैर-नकद चीज़ें भी शामिल होती हैं। जबकि कैश फ्लो स्टेटमेंट में केवल उन चीज़ों को शामिल किया जाता है जो नक़दी के इनफ्लो और आउटफ्लो का कारण बनते हैं।
कैश फ्लो स्टेटमेंट आमतौर पर तीन मुख्य भागों में विभाजित होती है - ऑपरेटिंग एक्टिविटी से आने वाला कैश फ्लो, निवेश से आने वाला फाइनेंसिंग से आने वाला कैश फ्लो।
कैश फ्लो स्टेटमेंट के आधार पर किसी कंपनी की नक़दी बनाने की क्षमता को बड़ी आसानी से माप सकते हैं। इस रिपोर्ट का उपयोग आप यह जानने के लिए भी कर सकते हैं कि किसी कंपनी को उसकी नक़दी कहां से मिलती है और इस नक़दी को वह खर्च कैसे करती है।
फाइनेंशियल स्टेटमेंट में शामिल नोट्स
नोट्स को आम तौर पर मूल रिपोर्टों में से किसी एक के रूप में नहीं माना जाता लेकिन वो किसी कंपनी की फाइनेंशियल स्टेटमेंट का एक अभिन्न अंग है। फाइनेंशियल स्टेटमेंट का एक हिस्सा, यह नोट्स आपको बाकी तीन स्टेटमेंट में मौजूद आइटमों की डीटेल में जानकारी देते हैं।
ये अध्याय तो सिर्फ शुरुआत है। इस अध्याय और आने वाले मॉड्यूल में हम इन फाइनेंशियल स्टेटमेंट को ठीक से पढ़ने और समझने के बारे में जानेंगे।
निष्कर्ष
इन तीन मुख्य फाइनेंशियल स्टेटमेंट के अलावा एक और दस्तावेज़ है जो कंपनी एनालिसिस का एक केंद्रीय हिस्सा भी है। यह है वार्षिक/ एनुअल रिपोर्ट है। यह क्या है? और इसे कौन तैयार करता है? इससे आपको क्या पता चलता है? इस मॉड्यूल के अगले अध्याय में हम इन सवालों का जवाब जानेंगे।
अब तक आपने पढ़ा
- ऐसी रिपोर्ट जो किसी भी संस्था, किसी व्यक्ति या व्यवसाय की वित्तीय और लेखा संबंधी जानकारी को प्रदर्शित करती है उसे फाइनेंशियल स्टेटमेंट कहा जाता है।
- आम तौर पर हर कंपनी हर साल 12 महीने की अवधि के लिए कई फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स तैयार करती है।
- इस 12 महीने की अवधि को एक वित्तीय वर्ष के रूप में जाना जाता है। यह वित्तीय वर्ष प्रत्येक वर्ष 1 अप्रैल से शुरू होता है और अगले वर्ष 31 मार्च को समाप्त होता है।
- तीन प्राथमिक फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स हैं: प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट, बैलेंस शीट और कैश फ्लो स्टेटमेंट।
- प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट, इनकम स्टेटमेंट के रूप में भी जाना जाता है। यह आपको वित्तीय वर्ष के अंत में किसी कंपनी की आय और व्यय और उसके नेट मुनाफ़े और घाटे की जानकारी देता है।
- बैलेंस शीट एक रिपोर्ट है जो आपको एक कंपनी की संपत्ति और देनदारियों का समग्र विवरण देती है। यह आम तौर पर तीन भागों में विभाजित है – संपत्ति, इक्विटी और लायबिलिटी/ देनदारी।
- कैश फ्लो स्टेटमेंट से पता चलता है कि किसी वित्तीय वर्ष में किसी कंपनी द्वारा कितनी नक़दी अर्जित की गई और कितनी खर्च की गई है।
- फाइनेंशियल स्टेटमेंट का एक हिस्सा बनाने वाले यह नोट्स आपको उपरोक्त तीन विवरणों में शामिल आइटमों की गहराई से जानकारी देते हैं।
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