भारत में एनआरआई अनुकूल नीतियां

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स्मार्ट मनी के दूसरे मॉड्यूल में आपका स्वागत है।  पिछले मॉड्यूल की तरह, हम इस मॉड्यूल में भी हम अनिवासी भारतीयों पर अपना ध्यान जारी रखेंगे, इसकी शुरुआत हम भारत में एनआरआई नीतियों से करेंगे। जैसा कि आप पहले से ही जानते हैं, पिछले कुछ वर्षों में, भारतीय अर्थव्यवस्था में उछाल आया है। इस कारण हमारा देश निवेश के लिए एक पसंदीदा स्थान बन गया है।

हमारे एनआरआई भाइयों के लिए हमारी बढ़ती अर्थव्यवस्था में निवेश करने को आसान बनाने के लिए, भारत सरकार ने उनके लिए बहुत सारी योजनाएं शुरू की हैं। इतना ही नहीं एनआरआई निवेशकों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए कई नीतियां भी बनाई गईं हैं। इन्हीं के बारे में हम इस अध्याय में जानेंगे। आइए भारत में एनआरआई निवेशकों के लिए अनुकूल कुछ नीतियों पर एक नज़र डालते हैं।

1. इनकम repatriation नीति

अनिवासी भारतीय जो विदेशों में अपनी इनकम अर्जित करते हैं, वे NRIs के लिए भारत सरकार की योजनाओं अन्य सर्वोत्तम निवेश योजनाओं में निवेश करते हैं।  इन निवेशों से होने वाली आय आमतौर पर विशेष भारतीय बैंक खातों में रखी जाती है।

एनआरआई ऐसे व्यक्ति होते हैं जो वर्तमान में भारत में नहीं रहते हैं, इसलिए वे इन निवेशों से उत्पन्न इनकम को अपने निवास के देश में वापस स्थानांतरित करना चाहते हैं। इस स्थानांतरण को repatriation कहा जाता है।

भारत में ऐसी प्रगतिशील एनआरआई नीतियां हैं जिनके कारण अनिवासी भारतीय भारत में उनके द्वारा अर्जित इनकम को बिना किसी सीमा के अपने निवास के देश में स्वतंत्र रूप से वापस repatriate कर सकते हैं अथवा ले जा सकते हैं। अगर उनके द्वारा अर्जित इनकम संपत्ति की बिक्री से आती है, तो एनआरआई प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 1 मिलियन अमरीकी डॉलर तक स्वतंत्र रूप से repatriate कर सकते हैं, जो अभी भी काफी अधिक है।

2. पोर्टफोलियो निवेश योजना (पीआईएस)

पोर्टफोलियो निवेश योजना (पीआईएस) भारत में सबसे महत्वपूर्ण एनआरआई नीतियों में से एक है। यह प्रभावी रूप से अनिवासी भारतीयों को सेकेंड्री पूंजी बाज़ारों में उनके लिए भारत में बनी कुछ बेहतरीन निवेश योजनाओं में निवेश करने की अनुमति देता है। इस नीति के ज़रिए एनआरआई और भारतीय मूल के व्यक्ति (पीआईओ) स्टॉक एक्सचेंजों के माध्यम से भारतीय कंपनियों के शेयर खरीद सकते हैं।

एनआरआई, स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध किसी भी भारतीय कंपनी में निवेश करने के लिए स्वतंत्र हैं। हालांकि कुछ ऐसी कंपनियां हैं जिनमें एनआरआई निवेश प्रतिबंधित है। इतना ही नहीं, कंपनी और जिस उद्योग में वह काम करते हैं, उसके आधार पर एक अधिकतम सीमा भी है (जो कंपनी की paid up capital का एक प्रतिशत है) जिससे अधिक अनिवासी भारतीय निवेश नहीं कर सकते हैं।

इन सीमाओं के बावजूद, पोर्टफोलियो निवेश योजना भारत में सबसे अधिक एनआरआई अनुकूल नीतियों में से एक है।

3. भारत में व्यवसाय स्थापित करना

एक एनआरआई होने के नाते, यदि आप भारत में एक व्यवसाय स्थापित करने में रुचि रखते हैं, तो आपके लिए कुछ अच्छी खबर है। भारत सरकार ने अनिवासी भारतीयों के लिए भारत में व्यवसाय स्थापित करना बेहद आसान बना दिया है। इतना ही नहीं उन्हें व्यवसाय करने के तरीके को भी चुनने की स्वतंत्रता दी गई है।

उदाहरण के लिए, कंपनी अधिनियम, 2013 एक एनआरआई को एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी, या एक Limited Liability Partnership (एलएलपी) बनाने के बीच चयन करने की अनुमति देता है।  और हाल ही में 2021 तक, भारत सरकार ने भी NRI को व्यवसायों के उपरोक्त रूपों के अलावा एक One Person Company (OPC) बनाने की अनुमति दी है।

4. उधार लेने और उधार देने की नीतियां

भारतीय रिजर्व बैंक ने अनिवासी भारतीयों के लिए भारतीय बैंकों से ऋण और ऋण सुविधाओं के लाभ उठाने को आसान बनाने के लिए कई नीति और नियामक परिवर्तन किए हैं। वर्तमान में, भारतीय बैंक से ऋण प्राप्त करने के लिए अनिवासी भारतीयों की क्षमता के संबंध में कोई प्रतिबंध नहीं है। हालांकि उन्हें एक collateral यानि व्यक्तिगत ज़मानत के मामले में ज़मानत देने वाले से कोई प्रतिभूति रखने के लिए कहा जा सकता है।

इतना ही नहीं, भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के अनुसार, एक एनआरआई अपने एनआरई और एनआरओ बैंक खातों से अपनी फिक्स्ड डिपॉजिट को प्रतिभूति के रूप में सुरक्षित करके स्वतंत्र रूप से ओवरड्राफ्ट सुविधाओं का लाभ उठा सकता है।  साथ ही, उनके द्वारा लिए जा सकने वाले ऋण की राशि की भी कोई सीमा नहीं होती है।

इसके अतिरिक्त, वे एक भारतीय निवासी को 3 वर्ष से कम अवधि के लिए और प्रचलित बैंक दरों से 2% अधिक की ब्याज दर पर भी पैसा उधार दे सकते हैं।  भारत में इस प्रकार की एनआरआई नीतियों के कारण ही अनिवासी भारतीय पीयर-टू-पीयर उधार की ओर रुख करके अपने धन का उचित उपयोग कर सकते हैं।

समापन

जैसा कि आप ऊपर से देख सकते हैं, भारत में बहुत सारी एनआरआई अनुकूल नीतियां हैं जिनका आप उपयोग कर सकते हैं। अब आप इस अध्याय से काफी कुछ जान चुके होंगे। तो आइए अनिवासी भारतीयों के लिए भारत में कुछ बेहतरीन निवेश योजनाओं के बारे में अधिक जानने के लिए अगला वीडियो देखते हैं। एक बार जब आप वीडियो को समझ लें तो, कुछ प्रमुख टैक्स कानूनों के बारे में जानने के लिए अगले अध्याय पर जाएं, जिन्हें अनिवासी भारतीयों को ध्यान में रखना चाहिए।

ए क्विक रीकैप

  • अनिवासी भारतीय भारत में अपने द्वारा अर्जित इनकम को बिना किसी सीमा के अपने निवास के देश में स्वतंत्र रूप से repatriate कर सकते हैं।
  • पोर्टफोलियो निवेश योजना (पीआईएस) भारत में सबसे महत्वपूर्ण एनआरआई नीतियों में से एक है। यह प्रभावी रूप से अनिवासी भारतीयों को सेकेंड्री पूंजी बाज़ारों में NRIs के लिए भारत में कुछ बेहतरीन निवेश योजनाओं में निवेश करने की अनुमति देता है।
  • कंपनी अधिनियम, 2013 एक अनिवासी भारतीय को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, पब्लिक लिमिटेड कंपनी या Limited Liability Partnership (एलएलपी) बनाने के बीच चयन करने की अनुमति देता है।
  • एक एनआरआई अपने एनआरई और एनआरओ बैंक खातों से अपनी फिक्स्ड डिपॉजिट को प्रतिभूति के रूप में सुरक्षित करके स्वतंत्र रूप से ओवरड्राफ्ट सुविधाओं का लाभ उठा सकता है। साथ ही, उनके द्वारा लिए जा सकने वाले ऋण की राशि की भी कोई सीमा नहीं है।

प्रश्नोत्तरी

1. ‘Repatriation of funds’ का क्या अर्थ है?

Repatriation वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा विदेशी मुद्रा में धन स्वदेश में स्थानांतरित किया जाता है। उदाहरण के लिए, जब कोई अनिवासी भारतीय अपने एनआरओ खाते से अपने देश में बैंक खाते में धन स्थानांतरित करता है, तो यह ‘repatriation of funds’ कहलाता है।

2. One Person Company (ओपीसी) क्या है? क्या एनआरआई भारत में ओपीसी स्थापित कर सकते हैं?

एक One Person Company एक ऐसी कंपनी है जिसमें शेयरधारक के रूप में सिर्फ एक ही व्यक्ति है। भारत सरकार ने हाल ही में अनिवासी भारतीयों को भारत में One Person Company (ओपीसी) बनाने की अनुमति दी है। यह अन्य प्रकार के व्यवसायों के अतिरिक्त है जो अनिवासी भारतीय अपने गृह देश में स्थापित कर सकते हैं, जैसे कि प्राइवेट लिमिटेड कंपनियां, पब्लिक लिमिटेड कंपनियां, या Limited Liability Partnership (एलएलपी)।

3. क्या एक एनआरआई भारतीय बैंक से पैसा उधार ले सकता है?

भारतीय रिजर्व बैंक ने अनिवासी भारतीयों के लिए भारतीय बैंकों से ऋण और ऋण सुविधाओं का लाभ उठाने को आसान बनाने के लिए कई नीति और नियामक परिवर्तन किए हैं। वर्तमान में, भारतीय बैंक से ऋण प्राप्त करने के लिए अनिवासी भारतीयों की क्षमता के संबंध में कोई प्रतिबंध नहीं है, हालांकि उन्हें एक प्रतिभूति रखने के लिए कहा जा सकता है।

इतना ही नहीं भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के अनुसार, एक एनआरआई अपने एनआरई और एनआरओ बैंक खातों से अपनी फिक्स्ड डिपॉजिट को प्रतिभूति के रूप में सुरक्षित करके स्वतंत्र रूप से ओवरड्राफ्ट सुविधाओं का लाभ उठा सकता है।  साथ ही, उनके द्वारा लिए जा सकने वाले ऋण की राशि की भी कोई सीमा नहीं है।

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